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राम मंदिर ट्रस्ट में नृत्यगोपाल दास और चंपत राय की एंट्री की क्या है अहमियत?

राम मंदिर निर्माण और देखरेख के लिए मोदी सरकार द्वारा गठित किए गए श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में आखिरकार मंहत नृत्यगोपाल दास और वीएचपी के उपाध्यक्ष चंपत राय को जगह मिल ही गई है. इसकी औपचारिक घोषणा बैठक में कर दी जाएगी.

रामजन्मभूमि न्यास के प्रमुख महंत नृत्यगोपाल दास रामजन्मभूमि न्यास के प्रमुख महंत नृत्यगोपाल दास
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली,
  • 19 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 6:56 PM IST

  • अयोध्या आंदोलन में रहा वीएचपी का अहम किरदार
  • नृत्यगोपाल दास और चंपत राय की ट्रस्ट में हुई एंट्री

अयोध्या आंदोलन से जुड़े रहे महंत नृत्य गोपाल दास और वीएचपी नेता चंपत राय की राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट में आखिरकार एंट्री के रास्ते साफ हो गए हैं. राम मंदिर आंदोलन में अहम किरदार निभाने वाले इन दोनों लोगों को राम मंदिर ट्रस्ट में ट्रस्टी के रूप से आज शामिल किया जा सकता है. जब ट्रस्ट की घोषणा की गई थी तब ट्रस्टियों की सूची में महंत नृत्यगोपाल दास और चंपत राय दोनों का नाम नहीं होना चौंकाने वाला था, क्योंकि इन दोनों लोगों ने पूरे राम मंदिर आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी.

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नृत्यगोपाल दास का राम मंदिर आंदोलन में किरदार

नृत्यगोपाल दास दशकों तक राम मंदिर आंदोलन के संरक्षक की भूमिका में रहे हैं. मंदिर निर्माण के लिए घोषित किए गए ट्रस्ट में उनका नाम न होने से सभी को हैरानी हुई थी. नृत्यगोपाल दास लगातार मंदिर निर्माण के लिए होने वाले कार्यों में अगुवा की भूमिका निभाते रहे हैं. इनकी अगुवाई में लंबे समय से राम मंदिर निर्माण के लिए चंदा भी एकत्र किया जाता रहा है. नृत्यगोपाल दास पर बाबरी विध्वंस में शामिल रहने का आरोप है और इस मामले में लखनऊ की सीबीआई कोर्ट में उनके खिलाफ मुकदमा भी चल रहा है.

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महंत नृत्यगोपाल दास का संबंध राममंदिर से सिर्फ शीर्ष धर्माचार्य के रूप में ही नहीं बल्कि मंदिर आंदोलन के एक नायक की भूमिका में भी रहा है. उन्होंने समय-समय पर मंदिर आंदोलन की अगुवाई भी की. इसके साथ ही निचली अदालत से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक उन्होंने कानूनी लड़ाई लड़ने का काम भी किया.

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राम मंदिर आंदोलन के साथ महंत नृत्यगोपाल दास ने अनेक मोड़ देखे हैं. कुछ दौर ऐसे भी आए, जब आंदोलन के अंजाम को लेकर संशय भी पैदा हुआ पर महंत नृत्यगोपालदास अपने मिजाज के अनुरूप पूरी दृढ़ता से रामजन्मभूमि की मुक्ति के साथ मंदिर निर्माण का स्वप्न साकार करने में लगे रहे. 

चंपत राय की मंदिर आंदोलन में भूमिका

वहीं, दूसरी ओर विश्व हिंदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय भी राम मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे हैं. फिलहाल राय अयोध्या में ही रह रहे हैं और वीएचपी के काम को विस्तार दे रहे हैं. इसी का नतीजा है कि उन्हें राम मंदिर ट्रस्ट में शामिल करने का फैसला लिया गया है. सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई के दौरान चंपत राय अदालत में मौजूद रहते थे. हाल ही में चंपत राय ने दावा किया था कि राम मंदिर का निर्माण वीएचपी के ही मॉडल पर होगा. विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) की राम मंदिर के राष्ट्रव्यापी जन आंदोलन खड़ा करने में अहम भूमिका अदा की थी.

वीएचपी की राम मंदिर आंदोलन में भूमिका

बता दें कि 29 अगस्त, 1964 को मुंबई के संदीपनि आश्रम में जन्मी विश्व हिंदू परिषद ने करीब 20 साल बाद 1984 में दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित अपनी पहली धर्म संसद में अयोध्या, मथुरा और काशी के धर्मस्थलों को हिंदुओं को सौंपने का प्रस्ताव पारित किया था. इस प्रस्ताव को ओंकार भावे ने धर्मसंसद में रखा था. इसके बाद 21 जुलाई, 1984 को अयोध्या के वाल्मीकि भवन में बैठक कर विहिप ने रामजन्मभूमि यज्ञ समिति का गठन किया.

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इसका अध्यक्ष उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गुरु गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ को व महामंत्री दाऊदयाल खन्ना को बनाया गया, जबकि महंत रामचंद्रदास परमहंस और महंत नृत्यगोपाल दास उपाध्यक्ष चुने गए. 1985 में विहिप ने मंदिर निर्माण से जुड़ी गतिविधियां फिर तेज कीं और श्री रामजन्मभूमि न्यास का गठन किया गया, जिसकी कमान नृत्यगोपाल दास को सौंपी गई थी.

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वीएचपी की सक्रियता का ही नतीजा था कि 1989 में पालमपुर अधिवेशन में बीजेपी ने रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर निर्माण को अपने चुनाव घोषणापत्र में शामिल करने का ऐलान कर दिया. नौ नवंबर 1989 को वीएचपी ने पूरे देश में शिलापूजन कार्यक्रम की घोषणा कर माहौल गर्म कर दिया. 24 जून 90 को वीएचपी के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की बैठक हरिद्वार में हुई जिसमें 30 अक्टूबर (देवोत्थानी एकादशी) से मंदिर के लिए कारसेवा करने का ऐलान किया गया.

ऐलान के मुताबिक बड़ी संख्या में कारसेवक अयोध्या पहुंचे और उत्तर प्रदेश की तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार की तमाम सख्ती के बावजूद विवादित ढांचे पर चढ़ कर न सिर्फ झंडा फहराया बल्कि ढांचे को आंशिक रूप से क्षति भी पहुंचाई. हालांकि ढांचे की रक्षा के लिए सुरक्षाबलों ने गोलीबारी की जिसमें कई कारसेवकों की जान भी गंवानी पड़ी. इसके दो दिन बाद अयोध्या में ही एकत्र रहे हजारों कारसेवकों ने फिर ढांचे को निशाना बनाया और उनका मुकाबला एक बार फिर पुलिस की गोलियों से हुआ. इस दिन भी कई कारसेवक हताहत हुए. इस घटनाक्रम ने पूरे देश के हिंदुओं में ज्वार पैदा कर दिया.

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छह दिसंबर, 92 की घटना को भी इसी घटनाक्रम की परिणति के रूप में देखा जाता है. विश्व हिंदू परिषद ने मंदिर के लिए सिर्फ आंदोलन का रास्ता ही अपनाया हो ऐसा भी नहीं है. परिषद ने जब-जब सुलह समझौते की कोशिश हुई तो उसमें भी सक्रिय भागीदारी की. इसमें वीएचपी और नृत्यगोपाल दास की अहम भूमिका रही. इसी का नतीजा है कि अब राममंदिर के बने ट्रस्ट में नृत्यगोपाल दास और वीएचपी से चंपत राय को जगह दी गई है.

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