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सांस की बीमारी भारत में सबसे ज्यादा, 7400 डॉक्टरों ने किए खुलासे

आपको ये जानकार आश्चर्य होगा कि देश में 50 फीसदी से ज्यादा मरीज सांस से जुड़ी किसी ना किसी बीमारी से पीड़ित होने के कारण डॉक्टर के पास जाते हैं. दूसरे नंबर पर पेट रोगों के शिकार मरीजों का नंबर आता है.

प्रदूषित हवा का शरीर के कई अंगों पर असर प्रदूषित हवा का शरीर के कई अंगों पर असर
अमित कुमार दुबे/अनु जैन रोहतगी
  • नई दिल्ली,
  • 28 अप्रैल 2016,
  • अपडेटेड 9:51 AM IST

आपको ये जानकार आश्चर्य होगा कि देश में 50 फीसदी से ज्यादा मरीज सांस से जुड़ी किसी ना किसी बीमारी से पीड़ित होने के कारण डॉक्टर के पास जाते हैं. दूसरे नंबर पर पेट रोगों के शिकार मरीजों का नंबर आता है. ये खुलासा एक स्टडी में हुआ है. चेस्ट रिसर्च फाउंडेशन ने सरकारी एजेंसी के सहयोग से देश के 880 शहरों, कस्बों के 13,250 फिजिशियन से बात की. इनमें से 7400 डॉक्टरों ने अपने मरीजों का पूरा रिकार्ड रखा था. उसी के आधार पर 204,912 मरीजों के रिकॉर्ड की जांच की गई और उनके लक्षणों और लिए जाने वाले इलाज से पता चला कि लोगों में सांस की बीमारियां लगातार बढ़ रही हैं और इसकी सबसे बड़ी वजह बढ़ता वायु प्रदूषण सामने आई.

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प्रदूषित हवा का शरीर के कई अंगों पर असर
दरअसल एक दिन में हमें अपने लंगस और शरीर के और अंगों को ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए दस हजार लीटर हवा की जरूरत पड़ती है और ऐसे में दूषित हवा ना केवल लंगस को बीमार कर रही है बल्कि और अंग भी प्रभावित हो रहे हैं. सर्वे में ये भी बात सामने आई कि सांस की बीमारियों से जूझ रहे देशभर के मरीजों के लक्षणों में काफी समानता है जबकि पेट की बीमारियों में ये समानता नहीं देखी गई.

लोगों को आगाह करने की कोशिश
मई को विश्व अस्थमा दिवस है और इसी अवसर पर लोगों को अस्थमा से जागरुक करने के लिए इस रिपोर्ट को सार्वजनिक किया गया. इस अवसर पर एम्स के चेस्ट रोग विभाग के हेड डॉ. रनबीर गुलेरिया ने बताया कि बच्चों में अस्थमा अटैक तेजी से बढ़ रहा है और इसकी बड़ी वजह प्रदूषण ही सामने आ रहा है उन्होंने ये भी चेताया कि आउटडोर प्रदूषण के साथ इंडोर प्रदूषण लंगस को कमजोर करने, बच्चों में लंगस विकसित ना होने देने और अस्थमा का बड़ा कारण है. घरों मे जलने वाले चूल्हे अंदर ही अंदर लोगों को सांस की बीमारियों का शिकार बना रहे हैं. इसे कम वजन वाले, प्रीमैच्योर बच्चों की पैदाइश हो रही है. नवजात की मौत के बढ़ते मामले भी प्रदूषण के साथ जोड़े जा रहे हैं. हाल ही में डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट देश को प्रदूषण का आइना दिखा चुकी है जिसके अनुसार विश्व की 20 सबसे प्रदूषित शहरों में 13 भारत में मौजूद हैं जिसमें देश की राजधानी दिल्ली की नाम सबसे ऊपर ही आता है.

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