
आम आदमी पार्टी के विधायकों के खिलाफ लाभ का पद मामले में जुलाई 2015 में याचिका दाखिल करने वाले वकील ने कहा एक किताब पढ़कर उन्हें विधायकों के खिलाफ याचिका डालने की प्रेरणा मिली. इस याचिका में AAP के 20 विधायकों परे लाभ का पद संभालने का आरोप लगाया गया था.
सूत्रों ने बताया कि इस याचिका पर चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजी गई अपनी राय में ये 20 विधायक अयोग्य घोषित करने के पात्र हैं क्योंकि उन्होंने लाभ का पद धारण किया था. ऐसा होने की स्थिति में दिल्ली में इन 20 सीटों पर उप-चुनाव हो सकते हैं. शनिवार को इस मामले में 20 विधायकों ने राष्ट्रति रामनाथ कोविंद से मुलाकात का वक्त मांगा है.
राष्ट्रपति के पास याचिका दाखिल करने वाले वकील प्रशांत पटेल से पूछा गया कि यह विचार उनके मन में कैसे आया तो उन्होंने कहा कि दिल्ली विधानसभा के पूर्व सचिव एस के शर्मा द्वारा लिखी गई किताब ‘दिल्ली सरकार की शक्तियां और सीमाएं' में इस विषय पर एक अध्याय था.
पटेल कहा, ‘मैंने लाभ का पद के संबंध में याचिका दायर की थी और इसे जुलाई 2015 में स्वीकार किया गया था. ऐसा नहीं है कि बीजेपी और कांग्रेस ने संसदीय सचिवों की नियुक्ति नहीं की. वो नियुक्तियां भी अवैध थीं, लेकिन उसपर किसी ने आपत्ति नहीं की.’ पटेल ने इस आरोप को खारिज कर दिया कि चुनाव आयोग ने AAP विधायकों का पक्ष सुनने के लिये उन्हें मौका नहीं दिया.
याचिकाकर्ता ने कहा, ‘जुलाई 2016 से मार्च 2017 के बीच 11 सुनवाई हुई और प्रत्येक सुनवाई 2-3 घंटे चली.’ पटेल ने कहा कि इंदिरा जयसिंह जैसी वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने दिल्ली सरकार का प्रतिनिधित्व किया और कई अन्य शीर्ष वकीलों ने बीजेपी और कांग्रेस का प्रतिनिधित्व किया.
दिल्ली में सत्ताधारी AAP ने इससे पहले पटेल की याचिका को बीजेपी के इशारे पर दायर किया हुआ बताया था. पटेल ने उन आरोपों को खारिज कर दिया.