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अम्मा की परछाई शशिकला बनी AIADMK की 'चिनम्मा',बन सकती हैं पार्टी महासचिव

तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता के बाद ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) की कमान संभालने वाली प्रबल दावेदार शशिकला नटराजन को मिलने के साफ संकेत सामने आए हैं. पार्टी की ओर से रविवार को जारी की गई प्रेस विज्ञप्तियों में उन्हें चिनम्मा(छोटी अम्मा) कहकर संबोधित किया गया है. ऐसे में उनके पार्टी महासचिव बननी की अटकलों को बल मिला है.

जयललिता की करीबी थीं शशिकला जयललिता की करीबी थीं शशिकला
सबा नाज़
  • नई दिल्ली,
  • 12 दिसंबर 2016,
  • अपडेटेड 9:36 AM IST

तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता के बाद ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIADMK) की कमान संभालने वाली प्रबल दावेदार शशिकला नटराजन को मिलने के साफ संकेत सामने आए हैं. पार्टी की ओर से रविवार को जारी की गई प्रेस विज्ञप्तियों में उन्हें चिनम्मा(छोटी अम्मा) कहकर संबोधित किया गया है. ऐसे में उनके पार्टी महासचिव बननी की अटकलों को बल मिला है.

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अंग्रेजी अखबार 'द टाइम्स ऑफ इंडिया' के अनुसार अम्मा की सबसे करीबी समझे जाने वाली शशिकला को पहली बार पार्टी की ओर से जारी औपचारिक बयान में चिनम्मा कहा गया है. इतना ही नहीं पार्टी की तरफ से डाले गए पोस्ट पर भी उन्हें ये सम्मान दिया गया. बताया जा रहा है कि रविवार को शशिकला से मिलकर पार्टी के वरिष्ठ लोगों ने उनसे पार्टी की कमान संभालने की अपील की.

अन्ना द्रमुक में पार्टी अध्यक्ष का पद नहीं है यहां जनरल सेक्रेटरी के रूप में जयललिता ही सर्वेसर्वा थीं और उनके निधन से यह पद खाली पड़ा है. जानकारों की नजर में शशिकला आंखे इसी पद पर गड़ी हैं. वो खुद या अपने सबसे विश्वस्त को ही रिमोर्ट कंट्रोल थमाना चाहती हैं.

जयललिता तक कैसे पहुंची शशिकला?
शशिकला से जयललिता की मुलाकात 1980 के दशक में हुई थी. तब वो पार्टी की प्रचार सचिव थीं. इसकी नींव 1977 में रखी गई. तब एमजी रामाचंद्रन ने आईएएस अधिकारी वीएस चंद्रलेखा को तमिलनाडु की पहली महिला जिलाधीश नियुक्त किया. उन्हें कुड्डुर जिला सौंपा गया. चंद्रलेखा को जल्दी आगे बढ़ने की ललक थी. वो स्थानीय मीडिया में अपनी गतिविधियों को छपते देखना चाहती थी और इसी वजह से उन्होंने एक पीआरओ की नियुक्ति की. ये पीआरओ थे एम नटराजन यानी शशिकला के पति. एम नटराजन ने स्थानीय अखबारों के पत्रकारों के जरिए चंद्रलेखा को जल्द ही स्टार बना दिया और उनके चर्चे मुख्यमंत्री एमजीआर तक पहुंचने लगे. एमजीआर से चंद्रलेखा की नजदिकियां बढ़ीं और उन्हें मदुरई ट्रांसफर कर दिया गया. चंद्रलेखा के साथ ही नटराजन और उनकी पत्नी शशिकला भी मदुरई पहुंच गए.

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जयललिता से शशिकला की पहली मुलाकात
1981 में एमजीआर तमिलनाडु की राजनीति में जयललिता को लेकर आए और उन्हें पार्टी की प्रचार सचिव नियुक्त किया. फिल्म स्टार के रूप में वो खासा प्रसिद्ध तो पहले से थी हीं, वो राज्य जहां लोग फिल्मी कथानक को वास्तविक जिंदगी में हाथों हाथ लेते हैं जल्द ही वहां के लोगों को उनमें एमजीआर की छवि दिखने लगी. 1982 में एमजीआर ने जयललिता को राज्यसभा भेजा. तब तक पार्टी में यह संदेश जा चुका था कि वो जयललिता को अपनी उत्तराधिकारी के रूप में तैयार कर रहे हैं. जयललिता रैलियां करने लगीं. ऐसी ही एक रैली का आयोजन मदुरई में किया गया. यह महिला रैली थी और इसी दौरान एमजीआर ने शशिकला से कहा कि वो जयललिता का ख्याल रखें और यह भी कि रैली सफल हो. इसी रैली में जयललिता को महिला अधिकारों की योद्धा के रूप में प्रचारित किया गया. रैली बेहद सफल रही और साथ ही शशिकला का जयललिता के जीवन में सफल प्रवेश भी.

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