
एक के बाद एक करके आते हुए तीन पश्चिमी विक्षोभों ने पूरे उत्तर भारत में मौसम को बदल कर रख दिया है. पश्चिमी विक्षोभ ने अप्रैल के पहले हफ्ते में अपना करिश्मा दिखाया और दिल्ली समेत उत्तर भारत के तमाम इलाकों में पलक झपकते मौसम बदल गया. बादलों की आवाजाही के बीच कई इलाकों में हल्की बारिश हुई, जम्मू कश्मीर, हिमाचल, उत्तराखंड में ज्यादातर जगहों पर बारिश रिकॉर्ड की गई.
अभी नहीं थमेगा सिलसिला
मौसम विभाग के मुताबिक अब यह पश्चिमी विक्षोभ आगे निकल चुका है, लेकिन इसका मतलब यह कतई नहीं है कि उत्तर भारत में बारिश का सिलसिला थमने जा रहा है. जी हां इस पश्चिमी विक्षोभ के पीछे एक दूसरा वेस्टर्न डिस्टरबेंस दाखिल हो चुका है. इसकी वजह से 10 अप्रैल को जम्मू कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड में रुक रुक कर बारिश होती रहेगी.
मैदानी इलाकों में कई जगहों पर तेज हवाओं के साथ बारिश की संभावना बनी रहेगी, लेकिन इस पश्चिमी विक्षोभ के पीछे एक तीसरा वेस्टर्न डिस्टरबेंस है जो 11 अप्रैल को पूरे उत्तर पश्चिम भारत में अपना असर दिखाएगा. दिल्ली समेत उत्तर-पश्चिम भारत के ज्यादातर मैदानी इलाकों में गरज के साथ बारिश होने की संभावना है और इसी के साथ कई इलाकों में ओलावृष्टि की भी आशंका है.
मौसम विभाग के डीजीएम डॉ. देवेंद्र प्रधान का कहना है कि वैसे तो यह तीनों पश्चिमी विक्षोभ कमजोर हैं, लेकिन इनकी वजह से बारिश और ओलावृष्टि हो रही है. क्योंकि इस समय उत्तर भारत में बंगाल की खाड़ी से आई हुई पूर्वा हवाएं पहले से मौजूद हैं और यही वजह है कि कमजोर पश्चिमी विक्षोभ के बावजूद पहाड़ों पर लगातार रुक रुक कर बारिश हो रही है.
मौसम विभाग का कहना है 10 अप्रैल से लेकर 12 अप्रैल तक उत्तराखंड और हिमाचल के ज्यादातर इलाकों में गरज के साथ बारिश होगी. हिमालय के निचले इलाकों में कई जगहों पर ओलावृष्टि की आशंका भी बनी रहेगी.
गेहूं को नुकसान, गन्ना को फायदा
10 अप्रैल से लेकर 11 अप्रैल तक दिल्ली एनसीआर के ज्यादातर इलाकों में बादलों की आवाजाही रहेगी और यहां पर बारिश के एक या दो दौर दर्ज किए जाएंगे. मौसम विभाग के निदेशक चरण सिंह के मुताबिक अप्रैल के महीने में इस तरह की बारिश कोई पहली बार नहीं हो रही है, लेकिन इस बारिश के चलते उत्तर और पश्चिम भारत में गेहूं की पकी और कटी हुई फसल को निश्चित तौर पर नुकसान पहुंचेगा. लेकिन इसका दूसरा पक्ष यह है कि गन्ने की खेती करने वाले किसानों के लिए यह बारिश वरदान साबित होगी.