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वन नेशन, वन लैंग्वेज: कमल हसन बोले- अंग्रेजी है देश की आम भाषा

वन नेशन, वन लैंग्वेज का विरोध थमता नजर नहीं आ रहा है. अब एक्टर कमल हसन ने कहा कि देश में अंग्रेजी आम भाषा बन गई है, लेकिन यह महज संयोग है. इससे पहले एक्टर रजनीकांत ने किसी भी भाषा को थोपने का विरोध किया था. उन्होंने कहा कि दक्षिण के राज्यों पर हिंदी थोपना दुर्भाग्यपूर्ण है.

एमएनएम प्रमुख कमल हासन (फोटो-IANS) एमएनएम प्रमुख कमल हासन (फोटो-IANS)
अक्षया नाथ
  • चेन्नई,
  • 20 सितंबर 2019,
  • अपडेटेड 11:55 AM IST

  • अंग्रेजी बन गई है देश की आम भाषा- कमल हासन
  • 'मातृभाषा की स्थिति के साथ छेड़छाड़ मंजूर नहीं'

वन नेशन, वन लैंग्वेज का विरोध थमता नजर नहीं आ रहा है. अब एक्टर कमल हसन ने कहा कि देश में अंग्रेजी आम भाषा बन गई है, लेकिन यह महज संयोग है. इससे पहले एक्टर रजनीकांत ने किसी भी भाषा को थोपने का विरोध किया था. उन्होंने कहा कि दक्षिण के राज्यों पर हिंदी थोपना दुर्भाग्यपूर्ण है.

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मक्कल निधि मैय्यम के प्रमुख कमल हासन ने कहा कि अंग्रेजी देश की सामान्य भाषा बन गई है. उन्होंने कहा कि हालांकि ये अनौपचारिक तरीके से हुआ है लेकिन अंग्रेजी देश की सामान्य भाषा बन गई है. कमल हासन का ये बयान अभिनेता रजनीकांत के उस बयान के बाद आया है जब उन्होंने कहा कि देश के विकास के लिए एक सामान्य भाषा की जरूरत है.

रजनीकांत ने भी हिन्दी भाषा थोपने की कोशिशों का विरोध किया था और कहा था कि हिन्दी ही नहीं किसी भाषा को देश पर थोपा नहीं जाना चाहिए. कमल हासन ने कहा कि वे दूसरी भाषाएं भी सीखते रहे हैं. लेकिन ये तभी तक ही संभव है जब तक कि उनकी मातृभाषा के साथ छेड़छाड़ नहीं की जाती है. उन्होंने कहा कि भाषा को लेकर दूसरों का सुझाव स्वीकार है, लेकिन यदि कोई उनकी मातृभाषा की पोजिशन के साथ छेड़छाड़ करता है तो वे इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे.

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बता दें कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की हिंदी भाषा को देश की भाषा बनाने के प्रस्ताव पर तमिल अभिनेता और राजनेता कमल हासन ने सोमवार को कहा था कि किसी 'शाह, सुलतान या सम्राट' को विविधता में एकता के वादे को तोड़ना नहीं चाहिए, जिसे भारत को गणराज्य बनाने के समय किया गया था. कमल हासन ने कहा था कि विविधता में एकता एक वादा है, जिसे हमने भारत को गणराज्य बनाने के समय किया था. अब किसी शाह, सुलतान या सम्राट को उस वादे को नहीं तोड़ना चाहिए. हम सभी भाषाओं का सम्मान करते हैं, लेकिन हमारी मातृभाषा हमेशा तमिल रहेगी."

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