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देश में औसतन हर एक घंटे में एक महिला दहेज संबंधी कारणों से मौत का शिकार होती है. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़े बताते हैं कि विभिन्न राज्यों से साल 2014 में दहेज हत्या के 8,455 मामले सामने आए.
केंद्र सरकार की ओर से जुलाई 2015 में जारी आंकड़ों के मुताबिक, बीते तीन सालों में देश में दहेज संबंधी कारणों से मौत का आंकड़ा 24,771 था. जिनमें से 7,048 मामले सिर्फ उत्तर प्रदेश से थे. इसके बाद बिहार और मध्य प्रदेश में क्रमश: 3,830 और 2,252 मौतों का आंकड़ा सामने आया.
क्या कहता है दहेज से जुड़ा कानून
दहेज प्रताड़ना से जुड़े मामले देखने के लिए दहेज निषेध कानून 1961, के अलावा आईपीसी की धारा 304बी और धारा 498ए के तहत कानूनी प्रावधान किए गए हैं. दहेज निषेध कानून, 1961 की धारा 3 के अनुसार, दहेज लेने या देने का अपराध करने वाले को कम से कम पांच साल की जेल साथ कम से कम 15 हजार रुपये या उतनी राशि जितनी कीमत का गिफ्ट दिया गया हो, इनमें से जो भी ज्यादा हो, के जुर्माने की सजा दी जा सकती है.
दहेज मांगने पर ये है सजा
आईपीसी की धारा 498-ए दहेज के लिए उत्पीड़न से जुड़ी है. इसमें महिला के पति और उसके रिश्तेदारों की ओर से दहेज की मांग पर सजा का प्रावधान है. ऐसे मामलों में 3 साल की कैद और जुर्माना हो सकता है. इसके अलावा आईपीसी की धारा 406 के तहत अगर महिला का पति या उसके ससुराल के लोग उसके मायके से मिला पैसा या सामान उसे सौंपने से मना करते हैं तो इस मामले में भी तीन साल की कैद और जुर्माना हो सकता है.
दहेज हत्या पर उम्रकैद की सजा
आईपीसी की धारा 304बी में यह प्रावधान है कि दहेज के लिए हत्या का मामला साबित होने पर कम से कम सात साल की सजा से लेकर उम्रकैद तक दी जा सकती है. कानून के मुताबिक, यदि शादी के सात साल के भीतर असामान्य परिस्थितियों में लड़की की मौत होती है और मौत से पहले दहेज प्रताड़ना का आरोप साबित हो जाता है तो महिला के पति और रिश्तेदारों को ये सजा हो सकती है.