
यूपीए शासन के कोल घोटाले से सबक लेते हुए छत्तीसगढ़ सरकार ने अपने खनिज संसाधनों के आवंटन और लाइसेंस की प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया है, ताकि कोई भी शख्स या फिर राजनैतिक दल सरकार पर आरोप ना लगा पाए.
दरअसल राज्य में 2018 में विधानसभा चुनाव है. खनिज विभाग की जिम्मेदारी खुद मुख्यमंत्री रमन सिंह के हाथों में है, लिहाजा उनकी छवि पर कोई आंच ना आए, इसके लिए सरकार ने पारदर्शिता पर जोर देते हुए सारी प्रक्रिया ऑनलाइन कर दी है. इस पूरे सिस्टम पर करीब 8 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं.
प्रदेश का खनिज मुख्यालय सोनाखान ई-ऑक्शन पर जोर दे रहा है. उसने सभी मुख्य खनिजों की खदानों को ऑनलाइन करने के साथ नीलामी और खनन के ऑपरेशन को भी एक क्लिक में पूरा करने की तैयारी कर ली है. खनिज विभाग की यह भी कोशिश है कि अब खदानों की नीलामी वित्तीय वर्ष के शुरू में ही कर दी जाए. डॉ. रमन सिंह ने ई-ऑक्शन के बाद नीलामी सिस्टम की समीक्षा की. इसे सरकार के इज ऑफ़ डूइंग बिजनेस की दिशा में ठोस प्रयास माना जा रहा है.
इसके मुताबिक ही विभाग ने मेजर मिनरल्स को ऑनलाइन ऑक्शन सिस्टम में लेने की तैयारी शुरू का दी गई है. इसके लिए विभाग एक सॉफ्टवेयर तैयार किया है. 'खनिज ऑनलाइन' नाम के इस सॉफ्टवेयर में सभी खदानों की विस्तृत जानकारी के साथ उनके अगले ऑक्शन के डेट्स समेत तमाम जानकारियां शामिल की गई है.
राज्य में हीरा, सोना, कोयला ,लोहा, टिन और दूसरे महत्वपूर्ण खनिज प्रदार्थ बहुतायत में हैं. कई देशी-विदेशी कंपनियां इसके कब्जे में लगी हुई है. हीरा और सोना खदानों के लिए डि बियर्स और रियोटिंटो समेत कई कंपनियां कतार में है. यही हाल कोयला और लोहे की खदानों को लेकर है.
बीजेपी और उसके थिंक टैंक नहीं चाहते कि खदानों के आवंटन को लेकर मुख्यमंत्री सिंह पर विपक्ष कोई हमला करे. करीब साल भर का वक्त चुनाव के लिए बचा है. ऐसे समय मुख्यमंत्री की छवि निखारने के लिए उनसे जुड़े विभागों की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जा रहा है.
राज्य में कुल माइन एरिया 1000 वर्ग किमी है. कुल मेजर मिनरल्स की 253 खदानें है. सबसे अधिक 140 खदानें लाइम स्टोन की हैं. इसके साथ ही आयरन ओर की 22 , कोयले की 50 और सोने की 1 खदान है. इसके अलावा हीरे की आधा दर्जन खदाने हैं. इनके आवंटन के न होने वाली प्रक्रिया में शामिल होने से पहले ठेकेदार या फर्मों को लॉग इन पासवर्ड दिया जाएगा.
इस ऑनलाइन ऑक्शन में इसके आधार पर वे आवेदन के पूरे सिस्टम में भाग ले सकेंगे. खदानों की लीज हासिल करने के एप्लिकेशन, सुरक्षा निधि भुगतान, लीज डीड , ट्रांजिट पास सब कुछ उसी वक्त जारी होगा ताकि माइनिंग का काम बिना देर किए जल्द से जल्द शुरू हो सके.
ई- टेंडरिंग के इस पूरे सिस्टम पर अब तक 8 करोड़ रुपये खर्च कर दिए गए हैं. मुख्यमंत्री रमन सिंह इसे जल्द ही लांच करेंगे. राज्य के खनिज सचिव सुबोध सिंह के मुताबिक यह अपग्रेड सिस्टम पूरी तरह से ना केवल पारदर्शी है, बल्कि इसमें किसी भी तरह की टेम्परिंग और हैकिंग की कोई संभावना नहीं है.