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खुला खत: हमारे जाहिलपने का एहसास कराने के लिए शुक्रिया अनुष्का

टीम इंडिया के सेमीफाइनल में हारने के बाद अनुष्का शर्मा को खुला खत.

अनुष्का शर्मा अनुष्का शर्मा
विकास त्रिवेदी
  • नई दिल्ली,
  • 26 मार्च 2015,
  • अपडेटेड 11:51 PM IST

बिंदास अनुष्का शर्मा,
मोहब्बत है तो मोहब्बत है. किसी भी टीम की जीत मोहब्बत से बढ़कर नहीं हो सकती है. अच्छा हुआ जो वर्ल्डकप खिताब जीतने से एक कदम पहले हम हार गए. किसी ने सही ही कहा है कि ऐसा देश वर्ल्डकप खिताब जीतने या फाइनल में पहुंचने के लायक नहीं है.

अनुष्का शर्मा तुम तब तक वो हर मैच देखने जाना, जब तक ये जाहिल देश किसी खेल को अपने हास्यबोध के लिए महिला से जोड़ना न बंद कर दे. जब तक हम इस देश के नागरिक किसी खेल की जीत या हार को महिलाओं से जोड़कर देखना न बंद कर दें, तुम तब तक उस दर्शकों की उछलती भीड़ में जाती रहना. कैमरे भले ही तुम्हारा पीछा करें. फेसबुक, ट्विटर जोंक की तरह भले ही तुम्हारे पीछे लगी रहें, पर तुम इस देश को हमारे जाहिलपने का एहसास कराने के लिए जाती रहना.

क्रिकेट के इतिहास में अगर सट्टे के दौर को हटा दिया जाए तो शायद ही कोई खिलाड़ी या टीम होगी, जो हारने के लिए खेली हो. मैच में कैमरे के अनुष्का शर्मा की तरह मुड़ते ही फेसबुक, ट्विटर में चुटकियों के दौर शुरू हो गए. बची कुची कसर विराट कोहली के एक रन पर आउट होने ने पूरी कर दी. फेसबुक, ट्विटर पर ऐसे भी बेवकूफ पढ़ने को नसीब हुए जिन्होंने अनुष्का को डायन तक करार दे दिया. ये उस देश की कहानी है जो विश्व विजेता बनने के लिए सुबह से मैच से दिली तौर पर अपने अपने उत्साह और जुनून से जुड़ी हुई है. नवरात्रों में मां की पूजा कर जीत के लिए दुआ करने वाले एक महिला से कमेंटनुमा मजे लेने से बाज नहीं आए.

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अनुष्का हम बहुत मौकापरस्त हैं. मौका मिला नहीं कि अपनी क्रिएटिविटी दिखाने से बाज नहीं आते हैं. जिंदगी हंसकर जीनी चाहिए, इस सबक को हमने कुछ ज्यादा ही सीरियसली ले लिया है. लेकिन इस हंसी के लिए हम किसी की निजी जिंदगी पर चटकारा लेने से भी बाज नहीं आ रहे हैं. मामला लाइक और कमेंट का है. अपनी फेसबुक पोस्ट पर 'हाहहाहा, लोल' टाइप कमेंट किसे नहीं पसंद. अनुष्का शर्मा या विराट कोहली हमारी पोस्ट देखने थोड़ी आ रहे हैं. इसलिए जो मन करे कह दो. सेलेब्रिटी हैं, इतना तो झेलना ही पड़ेगा. निजी जिंदगी चुपचाप जीनी थी तो हिमालय चले जाएं. सोसाइटी में रहोगे तो अपने कमेंट और हास्यबोध की खातिर हम कमेंटनुमा रेप करते रहेंगे. शर्म आती है कि हम ऐसा सोचते हैं.

अनुष्का, आज जब विराट कोहली के आउट होने के बाद सोशल मीडिया पर नजर गई तो तुम पर किए भद्दे कमेंट से मेरा जी उचट गया. ये कैसी सोच हो गई है, हम सबकी. वक्त बदलता गया, खिलाड़ी और महिलाएं बदलती गईं. 2011 में दीपिका पादुकोण और अब तुम. सब बदलता गया, बन हमारी सोच नहीं बदली. मैं खुद भी क्रिकेट फैन हूं लेकिन अपने देश की हार के लिए मैं तुम्हारे स्टेडियम में जाने को तो जिम्मेदार नहीं मानता. तुम्हें भी तो एक क्रिकेट फैन होने के नाते स्टेडियम में जाने का बराबर हक था और हक है.

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अनुष्का एक बात और है. हम थोड़े कंफ्यूज लोग हैं. हम जो आज तुम्हारी खिंचाई कर रहे हैं. हम वही थे जो फिल्म एनएच-10 में तुम्हारी एक्टिंग और महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार पर स्टेट्स लिखते दिख रहे थे. हम लोग बड़े तो गए, मैच्योर भी कहलाने लगे. लेकिन समझ और अपनी खुशियों के लिए हम आज भी सबसे आसान और कमजोर दिख रहे शख्स का सहारा लेना नहीं भूले. लेकिन तुम इन सब पर ध्यान मत देना अनुष्का. तुम वो करती रहना जो तुम्हारा मन करे और ये तब तक जारी रखना जब तक हम सही गलत के फेर से ऊपर न उठ जाएं. क्योंकि तुम्ही ने तो एक बार कहा था,'जो करना था सो करना था.'

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