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आतंकी संगठन ISIS की विचारधारा की छुपे तौर पर भारत में घुसपैठ का बेचैन कर देने वाला सबूत सामने आया है. इंडिया टुडे की स्पेशल इंवेस्टीगेटिव टीम ने केरल में ऐसे कई मदरसों का पता लगाया है जहां बच्चों के दिमाग में कट्टरवादी विचारधारा का जहर घोला जा रहा है.
उपमहाद्वीप में सदियों से मदरसों को पवित्र कुरआन की रोशनी में शांति और प्रेम के संदेश को फैलाने वाले स्थानों के तौर पर जाना जाता रहा है. लेकिन इंडिया टुडे की जांच से सामने आया है कि केरल के कुछ मदरसे वहाबी विचारधारा को पढ़ाने में लगे हैं. ये सऊदी प्रायोजित कट्टरपंथी गुट हैं, जिसे विश्व भर में फैले आतंकवाद से जुड़ा माना जाता है.
पेट्रो डॉलर की भरमार वाले खाड़ी देशों से हवाला फंडिंग के जरिए पैसा हासिल करने वाले ये मदरसे आसानी से प्रभावित हो सकने वाले युवाओं में कट्टरवाद का जहर घोल रहे हैं. ये सब ISIS के उस शैतानी मंसूबे के मुताबिक है, जिसके तहत वो दुनिया भर में लड़ाई छेड़कर इस्लामी कैलिफेट (खिलाफत, शासन) बनाने के अपने लक्ष्य को हासिल करने की बात करता है.
कोझीकोड जिले के पुल्लोरम्माल में करुणा चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से चलाए जा रहे मदरसे के जॉइंट सेक्रेटरी ने मोहम्मद बशीर ने कबूल किया, “अगर हम सार्वजनिक तौर पर कैलिफेट की बात करें तो समस्या होगी. आसपास कई हिन्दू लोग हैं. अगर हम कैलिफेट की बात करेंगे तो हिन्दू हमें ISIS के लोग कहना शुरू कर देंगे. इसलिए हम सीधे नहीं कहते. हम बच्चों के दिलों में इसे आहिस्ता आहिस्ता बिठा रहे हैं.”
बता दें कि अमेरिकी समर्थित अंतर्राष्ट्रीय बलों ने ISIS की बीते साल कमर तोड़ कर रख दी. ISIS अपना अंतिम लक्ष्य काफिरों के खिलाफ युद्ध छेड़कर पूरी दुनिया में कैलिफेट स्थापित करने को बताता है.
इंडिया टुडे ने ISIS की इस नफरत वाली जहरीली सोच को केरल में बशीर की अगुआई जैसे कुछ मदरसों में पनपते हुए पाया. बशीर कहता है, “कैलिफेट ही आधार है, ये बच्चों के लिए बुनियादी बात है. तभी कैलिफेट के लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है. ये हमारे दिलों में है. इसे हम बच्चों के साथ आहिस्ता आहिस्ता साझा करते हैं. कोई जल्दी नहीं है. कैलिफेट एक दिन में नहीं बनती.”
मदरसों में ‘जाकिर नाइक’ बनाने का खुलासा
इंडिया टुडे की जांच में सामने आया कि कट्टरवादी इस्लाम की शिक्षा केरल में सिर्फ एक मदरसे तक ही सीमित नहीं है. कुछ और मदरसे भी विवादित इस्लामिक टीवी प्रचारक और भगोड़ा करार दिए गए जाकिर नाइ क जैसे ज्यादा से ज्यादा लोग तैयार करने में लगे हैं.
करांथुर में मदरसा चलाने वाले अब्दुल मलिक ने स्वीकार किया किया कि उसके सेंटर में नियमित तौर पर जाकिर नाइक के वीडियो बच्चों को दिखाए जाते हैं.
मलिक ने कहा, यहां हर कोई जाकिर नाइक के बारे में जानता है. यहां हम वीडियो क्लिप्स में जाकिर नाइक को महिलाओं और अन्य धार्मिक समूहों को इस्लाम अपनाने के लिए न्योता देते दिखाते हैं. फिर उन्हें इस्लाम को अपनाते हुए भी दिखाया जाता है. इंडिया टुडे की जांच से ये भी सामने आया कि इस तरह के ज्यादातर मदरसों को खाड़ी देशों में स्थित अज्ञात लोगों से फंडिंग मिलती है.
बशीर और मलिक, दोनों ने ही कबूल किया कि उन्हें आर्थिक मदद अरब दुनिया से भूमिगत हवाला चैनलों के जरिए मिलती है. बशीर ने कहा, ‘बैंकों के जरिए ऐसा करना मुश्किल है. ये हुंडी (हवाला) के जरिए होता है.’
इंडिया टुडे के अंडर कवर रिपोर्टर्स की ओर से मध्य पूर्व से फाइनेंसर्स के तौर पर अपनी काल्पनिक पहचान दिए जाने पर बशीर को यकीन हो गया कि यहां से फंडिंग हासिल की जा सकती है. बशीर ने 50 लाख रुपए की मांग की. बशीर ने ये भरोसा भी दिया कि पैसे को बिना किसी परेशानी हवाला नेटवर्क के जरिए हासिल कर लिया जाएगा.
अंडर कवर रिपोर्टर ने पूछा, ‘तो आप हमसे 50 लाख रुपए चाहते हैं?’ बशीर ने जवाब दिया, ‘फिलहाल 50 लाख रुपये इंशाअल्लाह!’ रिपोर्टर ने जानना चाहा, ‘क्या ये आपके आदमियों के लिए मुश्किल नहीं होगा, आपके एजेंट को इतनी बड़ी रकम भेजनी होगी?’ बशीर ने कहा, ‘वो 25-25 (लाख) की किश्तों में भेजेगा.’
वहीं मलिक ने हवाला ऑपरेटर्स और अपने जैसे कट्टरपंथी मदरसों के बीच दुनिया भर में फैले गठजोड़ का हवाला दिया. मलिक ने कहा, ‘विदेश में बहुत सारे हमारे भाई अलग अलग देशों में हैं. काले धन के हमारे लिए मायने हुंडी है. हुंडी का मतलब है कि आप वहां पैसा देते हैं तो कुछ एजेंसियां पैसे को सीधे हमें यहां दे देंगे. हम इसे इमारत के निर्माण और इन सब कामों के लिए हासिल करते हैं. हमारी अधिकतर फंडिंग विदेश से आती है.’
मलिक ने बताया कि हर दिन करोड़ों का लेनदेन केरल के विभिन्न मदरसों के लिए होता है. कोइलांडी के मरकाजुल जामिया मदरसा के प्रशासक अब्दुल गफ्फार ने बताया कि उसके सेंटर को खाड़ी क्षेत्र में फैले कुछ देशों से आर्थिक मदद मिलती है.
अंडर कवर रिपोर्टर ने पूछा, ‘आपको ये फंड कहां से मिलता है.’ गफ्फार ने जवाब दिया, ‘हर जगह से, जैसे कि दुबई, सऊदी, ओमान, कतर. सब जगह से. ये नियमित रूप से आता है.’ गफ्फार ने बताया कि उसका हवाला ऑपरेशन दुबई के डेरा में स्थित है. वहीं से खाड़ी देशों से उसके मदरसे के लिए पैसा आता है.
अंडर कवर रिपोर्टर ने पूछा, ‘तो अगर पैसा दुबई में डिलिवर होता है, वहीं से क्या ये आपके मदरसे के लिए आ जाएगा?’ गफ्फार ने कहा, ‘ये निश्चित तौर पर होगा, 100 फीसदी.