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ऑपरेशन वर्दी: सेना की ड्रेस में आतंकियों ने खेला दहशत का खेल

देश भर में दुकानों में सेना, बीएसएफ और पुलिस की वर्दियां सज रही हैं. टोपियों से लेकर बूट, जूते सब टंग रहे हैं. जैकेट, स्वेटर, बैज, स्टार हर चीज सरेआम बिक रहा है. वर्दी बेचने का ये खेल दिल्ली से लेकर पठानकोट और श्रीगंगानगर से लेकर इंदौर-जालंधर तक चल रहा है.

आतंकी हमले में एक सनसनीखेज खुलासा आतंकी हमले में एक सनसनीखेज खुलासा
मुकेश कुमार
  • नई दिल्ली,
  • 06 जनवरी 2016,
  • अपडेटेड 8:35 PM IST

पंजाब में हुए दो आतंकी हमले में एक सनसनीखेज खुलासा हुआ है. दीनापुर और पठानकोट इन दोनों ही जगहों पर हुए आतंकी हमलों में दहशतगर्दों ने सेना की वर्दी का इस्तेमाल किया था. ऐसे बड़ा सवाल ये उठता है कि भारतीय सेना की वर्दी आतंकियों के हाथ कैसे लग जाती है. जिस वर्दी को पहनने और उतारने का एक सलीकेदार कानून है. उसको बेचने के नाम पर भारत में सुरक्षा और कानून की धज्जियां उड़ाई जा रही है.

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जानकारी के मुताबिक, देश भर में दुकानों में सेना, बीएसएफ और पुलिस की वर्दियां सज रही हैं. टोपियों से लेकर बूट, जूते सब टंग रहे हैं. जैकेट, स्वेटर, बैज, स्टार हर चीज सरेआम बिक रहा है. वर्दी बेचने का ये खेल दिल्ली से लेकर पठानकोट और श्रीगंगानगर से लेकर इंदौर-जालंधर तक चल रहा है. पठानकोट में इतने बड़े आतंकी हमले के बाद भी खुलेआम वर्दी निलाम हो रही है. इतनी दहशतगर्दी के बाद भी नींद नहीं टूटी है.

दुकानदार भी मान रहे हैं सुरक्षा में चूक
मध्य प्रदेश का आलम ये है कि खंडवा जेल से भागे हुए सिमी के पांच आतंकियों का अबतक कोई सुराग नहीं मिला है, लेकिन इंदौर में वर्दी की दुकान खुलेआम चल रही है. खरीदार की तो छोड़िए यहां तो दुकानदार खुद कह रहा है कि बड़ी चूक हो सकती है. क्योंकि यहां वर्दी को खरीदने और बेचने में पहचान पत्र की कोई जरूरत नहीं है. हालत ये है कि देश की सीमा से सटे कई शहरों में वर्दी धड़ल्ले से बिक रही है.

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रेहड़ी पटरी पर बेची जाती है सेना की वर्दी
सेना की वर्दी रेहड़ी पटरी पर बेचे जाने वाला सामान की तरह है, जिसे कोई भी खरीद सकता है. पंजाब और राजस्थान के सीमा से सटे शहरों में घुसपैठ भी आसान है. इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पाकिस्तान से भेजी जाने वाली आतंकियों की खेप कितनी आसानी से वर्दी हासिल कर लेती है. पुलिस और सेना की वर्दी में छिपे दहशतगर्दों से बड़ा खतरा मंडरा रहा है. लेकिन पुलिस-प्रशासन को कोई चिंता नहीं है.

कड़ी सख्ती के साथ कायदे कानून की जरूरत
आतंकियों के निशाने पर सबसे ज्यादा राजधानी दिल्ली होती है. लेकिन यहां का भी यही हाल है. यहां के बाजार में बेचे जा रहे इन पुराने कपड़ों से गरीबों को फायदा होता है, लेकिन इनमें आर्मी और पुलिस का बैज भी लगा होता है. जिन्हें कोई भी यहां से खरीद सकता है. जाहिर तौर पर खऱीदारों में कोई लुटेरा या दहशतगर्द भी हो सकता है. ऐसे में वर्दी बेचे जाने में कड़ी सख्ती और कायदे कानून को लागू करने का समय आ गया है.

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