
नागरिकता संशोधन कानून पर जामिया में हिंसा को विपक्षी नेताओं ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है. इस मसले पर दिल्ली में विपक्ष के नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर पुलिस पर सवाल उठाते हुए केंद्र सरकार को घेरा है. कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने कहा कि वीसी की अनुमति के बिना पुलिस यूनिवर्सिटी कैंपस में घुस सकती है. उन्होंने कहा कि यह गलत है और इसकी न्यायिक जांच होनी चाहिए.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में पुलिस के यूनिवर्सिटी कैंपस में घुसने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया गया. वहीं, सीपीआईएम नेता सीताराम येचुरी ने नागरिकता बिल को किसी धर्म से नहीं जोड़ने की बात कही. उन्होंने कहा कि इस मसले का हिंदू-मुस्लिम से कोई लेना-देना नहीं है.
प्रेस कॉन्फ्रेंस के मुख्य बिंदु
- ये प्रेस कॉन्फ्रेंस देश भर की विपक्षी पार्टियों की आवाज है.
- लाइब्रेरी और टॉयलेट में मौजूद छात्रों को पुलिस ने निशाना बनाया.
- यूनिवर्सिटी प्रशासन की अनुमति के बगैर पुलिस कैसे कैंपस में घुसी?
- देश के सभी हिस्सों में नागरिकता कानून के खिलाफ लोग सड़कों पर हैं.
- जामिया में जो हुआ उसकी हम भर्त्सना करते हैं.
क्या है घटना?
दिल्ली की जामिया मिल्लिया यूनिवर्सिटी के छात्र नागरिकता संशोधित कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. इस प्रदर्शन ने रविवार (15 दिसंबर) शाम उस वक्त हिंसा का रूप ले लिया जब न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में डीटीसी की बस को आग के हवाले कर दिया गया.
छात्रों का दावा है कि इस हिंसा में वो शामिल नहीं थे, बावजूद इसके पुलिस ने जामिया कैंपस के अंदर घुसकर छात्रों को बुरी तरह पीटा. वहीं, दिल्ली पुलिस का कहना है कि हिंसा फैला रहे लोगों को खेदड़ने के लिए उसकी तरफ से कार्रवाई की गई. हालांकि, जामिया प्रशासन ने भी दिल्ली पुलिस को ही जिम्मेदार बताया गया है. यूनिवर्सिटी की वीसी नजमा अख्तर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि पुलिस ने बिना इजाजत कैंपस में एंट्री ली. उन्होंने कहा कि जामिया की लाइब्रेरी में लाठीचार्ज किया गया. पुलिस कैंपस में आने से पहले एक फोन तो करती. हम इस मामले की उच्चस्तरीय जांच की मांग करते हैं और हम पुलिस के खिलाफ केस दर्ज कराएंगे.