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क्या हर हिंदुस्तानी को पक्की और भरोसेमंद पहचान देने के लिए बनाया गया आधार कार्ड गरीब लोगों के लिए मुसीबत बन गया है? क्या आधार कार्ड की वजह से बहुत से जरूरतमंद लोगों को सरकार की सुविधाओं से वंचित रहना पड़ रहा है? क्या आधार कार्ड के लिए जो डेटा हम देते हैं उसकी खरीद बिक्री हो रही है और क्या हमारी प्राइवेसी सरकार के हाथों में सुरक्षित है?
राज्यसभा में सरकार को आज आधार कार्ड को लेकर ऐसे ही मुश्किल सवालों से दो चार होना पड़ा. आधार कार्ड को लेकर सोमवार को राज्यसभा में जबरदस्त बहस हुई और विपक्षी सांसदों ने ये आरोप लगाया कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी करते हुए जबरदस्ती लोगों को आधार कार्ड बनवाने के लिए मजबूर कर रही है.
निर्दलीय सांसद राजीव चंद्रशेखर ने आधार कार्ड को लेकर IT मंत्री रविशंकर प्रसाद से ये सवाल पूछा कि जब दो रुपए में लोगों के प्राइवेट डाटा बेचे जा रहे हैं तो कैसे ये माना जा सकता है कि आधार कार्ड को लेकर जो जानकारी जमा की जा रही है वो सुरक्षित है.
सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कांग्रेस के जयराम रमेश ने कहा कि राशन, पेंशन, मनरेगा और मिड डे मील जैसे तमाम स्कीम से आधार को जोड़कर सरकार ये दिखाने में जुटी है कि इससे हजारों करोड़ रुपए की बचत हो रही है. जयराम रमेश ने कहा कि सरकार ये दावा कर रही है कि एलपीजी कनेक्शन को आधार कार्ड से जोड़ने पर 49 हजार करोड़ रुपए की सरकार को बचत हुई है.
जबकि सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस में से ज्यादातर बचत लोगों को आधार कार्ड से जोड़ने से नहीं बल्कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमत कम होने से हुआ है. जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि आधार कार्ड जरूरी किए जाने की वजह से राजस्थान से लेकर आंध्र प्रदेश तक लाखों गरीब लोगों को राशन और पेंशन जैसे सरकार की सुविधाओं से वंचित कर दिया गया है.
जयराम रमेश ने कहा कि सरकार कहती तो ये है की आधार कार्ड बनाना या ना बनाना अपनी इच्छा पर है लेकिन असलियत ये है. क्या आधार कार्ड बनवाने को और उसे तमाम सुविधाओं से जोड़ने को लोगों को मजबूर किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हालत वैसी ही है जैसा कि इमरजेंसी के दौरान नसबंदी की थी. बीजेपी से किसी सांसद ने कहा की आधार कार्ड यूपीए का ही बच्चा है.
उस पर जवाब देते हुए जयराम रमेश ने कहा यह बात सही है कि आधार कार्ड यूपीए सरकार का बच्चा है लेकिन इस बच्चे को भस्मासुर बीजेपी की सरकार ने बना दिया है. तृणमूल कांग्रेस के डेरेक ओ ब्रायन ने कहा की सरकार के दामों पर भरोसा कैसे किया जाए क्योंकि आधार कार्ड के डाटा जिन ऑपरेटर के पास हैं वो इसे बेच रहे हैं.
तमाम आरोपों पर जवाब देते हुए आईटी के मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आधार कार्ड के लिए जो डेटा लिए जाते हैं उनकी सुरक्षा ऐसी बेजोड़ है जिसकी तारीफ खुद वर्ल्ड बैंक ने की है. 34,000 ऑपरेटर के खिलाफ शिकायत मिलने के बाद उन्हें ब्लैकलिस्ट किया जा चुका है.
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आधार कार्ड को लेकर दिए गए अंतरिम आदेश का लोग हवाला तो देते हैं जिसमें कहा गया था कि आधार कार्ड जरूरी नहीं है लेकिन ये नहीं बताते कि आदेश सुप्रीम कोर्ट ने तब दिया था जब आधार को लेकर देश की संसद ने कानून नहीं पास किया था.
अब इसको लेकर कानून बन चुका है और इसमें तमाम शिकायतों से निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आधार को लेकर अगर कहीं से शिकायते मिलती है तो उसे जरुर ठीक किया जाएगा लेकिन आधार कार्ड को जरूरी सेवाओं से जोड़ने का काम जारी रहेगा क्योंकि इससे फर्जी लोगों की पहचान करने में मदद मिल रही है जो गलत तरीके से सरकारी फायदे का बेजा इस्तेमाल कर रहे थे.