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कोविंद के खिलाफ विपक्ष उतार सकता है संयुक्त उम्मीदवार, इन नामों पर चर्चा संभव!

राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के प्रत्याशी रामनाथ कोविंद के खिलाफ विपक्ष संयुक्त उम्मीदवार उतार सकता है. वाम दलों में सूत्रों ने सोमवार की रात यह बात कही. गैर-एनडीए दलों के 22 जून को इस मुद्दे पर चर्चा के लिए बैठक करने की उम्मीद है.

राष्ट्रपति उम्मीदवार पर 22 को विपक्ष की बैठक राष्ट्रपति उम्मीदवार पर 22 को विपक्ष की बैठक
अमित कुमार दुबे
  • नई दिल्ली,
  • 20 जून 2017,
  • अपडेटेड 10:00 AM IST

राष्ट्रपति चुनाव में एनडीए के प्रत्याशी रामनाथ कोविंद के खिलाफ विपक्ष संयुक्त उम्मीदवार उतार सकता है. वाम दलों में सूत्रों ने सोमवार की रात यह बात कही. गैर-एनडीए दलों के 22 जून को इस मुद्दे पर चर्चा के लिए बैठक करने की उम्मीद है.

सूत्रों के अनुसार पूर्व लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे, भारिपा बहुजन महासंघ के नेता और डॉ. बी आर अंबेडकर के पौत्र प्रकाश यशवंत अंबेडकर, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के पौत्र और सेवानिवृत नौकरशाह गोपालकृष्ण गांधी और कुछ अन्य नामों पर विपक्षी पार्टियां विचार कर रही हैं.

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सूत्रों ने यह भी कहा कि बीजेपी का सत्तारूढ़ पार्टी और आरएसएस से जुड़े नेता 71 वर्षीय कोविंद को प्रत्याशी बनाने के फैसले से विपक्षी दलों को आश्चर्य नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि ऐसा इसलिए क्योंकि बीजेपी पहली बार चुनाव जीतने के काफी करीब है और वह इस अवसर को नहीं जाने देगी.

एक सूत्र ने बताया, 'हम चुनाव लड़ेंगे. हम महसूस करते हैं कि एक संयुक्त विपक्षी उम्मीदवार होना चाहिए, चूंकि, बीजेपी ने एक दलित को नामित किया है, इसलिए विपक्षी पार्टियां उसी तर्ज पर अपने आम सहमति के उम्मीदवार को अंतिम रूप दे सकती हैं.'

बीजेपी ने हाल में दलितों पर हमले के मद्देनजर अगले आम चुनावों से पहले संभवत: अपनी छवि को दुरस्त करने को ध्यान में रखकर एकतरफा तरीके से राजनैतिक रूप से सर्वाधिक महत्वपूर्ण राज्य उत्तर प्रदेश से अपने उम्मीदवार को चुना. उन्होंने कहा कि विपक्ष में एकता है.

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उन्होंने कहा कि कोविंद के नाम की घोषणा से पहले विपक्षी पार्टियों ने किसी आदिवासी को अपना उम्मीदवार बनाने के बारे में सोचा था. सूत्र ने बताया, 'ऐसी चर्चा चल रही थी कि राजग झारखंड की राज्यपाल और आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू को उम्मीदवार बना सकता है. इसलिs, हम भी किसी आदिवासी व्यक्ति को उतारने पर विचार कर रहे हैं. चूंकि, उन्होंने एक दलित नेता को अपना प्रत्याशी बनाया है, इसलिए समीकरण अब बिल्कुल अलग हो गए हैं.

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