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आज एक मंच पर एकजुट होगा विपक्ष, मोदी सरकार होगी निशाने पर

मधु लिमये भारत के समाजवादी विचारों के निबंधकार और कार्यकर्ता थे जो 1970 के दशक में विशेष रूप से सक्रिय रहे. वे राममनोहर लोहिया के अनुयायी और जार्ज फर्नांडीज के सहकर्मी थे, वे जनता पार्टी के शासन में आने के समय बहुत सक्रिय रहे थे.

फाइल फोटो फाइल फोटो
लव रघुवंशी
  • नई दिल्ली,
  • 01 मई 2017,
  • अपडेटेड 1:10 PM IST

मोदी सरकार के खिलाफ पूरा विपक्ष आज एक साथ एक मंच पर इकट्ठा होगा. सभी विपक्षी दल स्वतंत्रता सेनानी, समाजवादी नेता दिवंगत मधु लिमये की जयंती के मौके पर एक साथ नजर आएंगे. कांग्रेस, एनसीपी, जेडीयू, सपा, आरजेडी, आरएलडी, सीपीएम, सीपीआई और जेडीएस के नेता मधु लिमये की 95वीं जयंती पर मंच साझा करेंगे.

समाजवादी पार्टी नेता मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव, जेडीयू के शरद यादव और केसी त्यागी, कांग्रेस के दिग्विजय सिंह और मोहन प्रकाश, सीपीएम के सीताराम येचुरी, सीपीआई के अतुल अंजान, आरएलडी के अजीत सिंह, एसजेपी के कमल मोरारका, एलएसपी के रघु ठाकुर, जेडीएस के कुंवर दानिश अली और सोशलिस्ट पार्टी के प्रेम सिंह इस कार्यक्रम में शामिल होंगे.

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गैर कांग्रेसी राजनीति के प्रणेता थे लिमये
मधु लिमये भारत के समाजवादी विचारों के निबंधकार और कार्यकर्ता थे जो 1970 के दशक में विशेष रूप से सक्रिय रहे. वे राममनोहर लोहिया के अनुयायी और जार्ज फर्नांडीज के सहकर्मी थे, वे जनता पार्टी के शासन में आने के समय बहुत सक्रिय रहे थे. लिमये राममनोहर लोहिया के साथ गैर कांग्रेसवाद राजनीति के प्रणेता थे. इस कार्यक्रम में लालू प्रसाद यादव को भी आमंत्रित किया गया था लेकिन वह अपने पार्टी के कार्यक्रम में व्यस्त होने के कारण इसमें शिरकत नहीं कर पाएंगे. केसी त्यागी ने बताया, ‘मधुजी की याद में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम में वृहद विपक्षी एकता होने की संभावना है. वामपंथियों और समाजवादियों के साथ-साथ कांग्रेस पार्टी के नेताओं के भी इस कार्यक्रम में शामिल होने से विपक्षी एकता को बल मिलेगा.

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यूपी को अब ये साथ नहीं पसंद?
लेकिन इस कार्यक्रम से पहले विपक्ष को एक जोरदार झटका लगा है. दरअसल, कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में आगामी स्थानीय चुनाव अपने दम पर लड़ने का फैसला किया है. इससे एक बार फिर विपक्ष की फूट सामने आ गई है. शनिवार को दिल्ली में यूपी के वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं की बैठक में ये फैसला लिया गया है. मीटिंग में पार्टी महासचिव गुलाम नबी आजाद और यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष राज बब्बर भी मौजूद थे. सूत्रों के मुताबिक बैठक में मौजूद ज्यादातर नेताओं का मानना था कि विधानसभा चुनाव के दौरान यूपी की जनता को समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का साथ पसंद नहीं आया है. लिहाजा अगर देश के सबसे बड़े राज्य में पार्टी को दोबारा जिंदा करना है तो स्थानीय चुनाव में अकेले ही उतरना बेहतर होगा. राज बब्बर ने मीडिया को बताया, ''हमने यह फैसला किया है कि आने वाले नगर निगम चुनाव में कांग्रेस बिना किसी पार्टी के साथ गठबंधन किए ही लड़ेगी. यह बात समाजवादी पार्टी पर भी लागू होती है यानी उसके साथ भी कोई गठबंधन नहीं किया जाएगा.'

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