
केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने बुधवार को पूर्व सैनिकों की लंबे समय से चली आ रही 'वन रैंक वन पेंशन' स्कीम का खाका जारी किया है. इसके तहत एरियर और पेंशन में संशोधन का भुगतान पेंशन संवितरण अधिकारियों द्वारा चार किस्तों में किया जाएगा. देशभर में 18 लाख पूर्व सैनिकों और युद्ध में शहीद हुए सैनिकों की विधवाओं को इसका लाभ मिलेगा.
गौरतलब है कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के जंतर-मंतर और देश के तमाम अन्य शहरों में पूर्व सैनिकों की नाराजगी और आक्रोश के बाद सरकार ने बीते साल नवंबर में इस ओर ऐतिहासिक फैसला लेते हुए OROP को लागू करने की घोषणा की थी.
कितना बढ़ा सरकारी खर्च
सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, वर्तमान दर पर OROP के कार्यान्वयन के कारण वार्षिक आवर्ती वित्तीय निहितार्थ 7500 करोड़ लगभग रुपये होगा. जबकि इस ओर 01/07/2014 से 31/12/2015 तक एरियर का खर्च 10,900 करोड़ रुपये रहेगा.
ओआरओपी के तहत बकाया एरियर और पेंशन में संशोधन का भुगतान पेंशन संवितरण अधिकारियों द्वारा चार किस्तों में किया जाएगा. हालांकि फैमिली पेंशनर्स और वीरता पुरस्कार पाने वालों को एक ही किश्त में एरियर का भुगतान किया जाएगा. इस पूरे वितरण से पेंशन के लिए रक्षा बजट 2015-16 में 54,000 करोड़ से 2016-17 में 65,000 करोड़ तक बढ़ जाएगा. जिससे लगभग 20 फीसदी की रक्षा पेंशन परिव्यय बढ़ रही है.
जुलाई 2014 से मिलेगा लाभ
नवंबर में रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता सितांशु कर ने ट्विटर पर जानकारी दी थी कि केंद्र सरकार ने वन रैंक वन पेंशन लागू करने के लिए अधिसूचना जारी कर दी है. उन्होंने बताया, 'पुराने पेंशनरों की पेंशन 2013 में रिटायर हुए लोगों की पेंशन के हिसाब से तय की जाएगी. ये फायदा उन्हें एक जुलाई 2014 से मिलेगा.'
इससे पहले रक्षा मंत्री ने कहा था, 'वन रैंक वन पेशन योजना 1 जुलाई 2014 से लागू होगी और पूर्व सैनिकों को चार छमाही किश्तों में एरियर मिलेगा. समान पद पर समान पेंशन मिलेगी.' पूर्व सैनिकों की विधवाओं को बकाया एकमुश्त दिया जाएगा. वन रैंक वन पेंशन के लिए 2013 को आधार वर्ष माना जाएगा.
पर्रिकर ने बताया कि हर पांच साल में पेंशन की समीक्षा होगी और स्वैच्छिक रिटायरमेंट यानी वीआरएस लेने वाले सैनिकों के लिए वन रैंक वन पेंशन का ऐलान बाद में किया जाएगा. एक सदस्यीय न्यायिक कमेटी भी बनाई जाएगी. हालांकि कई पूर्व सैनिक ने इसका विरोध किया है. उनकी मांग है कि पांच साल के बाद पेंशन रिवीजन के बदले इसकी एक साल हो या फिर दो साल में समीक्षा की जाए.