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एयरसेल मैक्सिस केस: चिदंबरम को राहत, गिरफ्तारी पर 5 जून तक रोक

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें पूछताछ के लिए पांच जून को अपने समक्ष उपस्थित होने के लिए कहा है. अदालत ने ईडी से चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका पर प्रतिक्रिया दाखिल करने के लिए कहा है और मामले की आगे की सुनवाई के लिए पांच जून की तारीख निर्धारित की है.

पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम
देवांग दुबे गौतम/पूनम शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 30 मई 2018,
  • अपडेटेड 5:56 PM IST

एयरसेल-मैक्सिस डील के मामले में पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को राहत मिली है. दिल्ली की एक विशेष अदालत ने पांच जून तक उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. विशेष न्यायाधीश ओ. पी. सैनी ने आदेश की घोषणा करते हुए उन्हें पांच जून को मामले की जांच में शामिल होने का निर्देश दिया.

वहीं आईएनएक्स मीडिया से जुड़े एक मामले में पी.चिदंबरम ने दिल्ली हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दायर की है.प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उन्हें पूछताछ के लिए पांच जून को अपने समक्ष उपस्थित होने के लिए कहा है.

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अदालत ने ईडी से चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका पर प्रतिक्रिया दाखिल करने के लिए कहा है और मामले की आगे की सुनवाई के लिए पांच जून की तारीख निर्धारित की है.

इससे पहले, अदालत ने एयरसेल-मैक्सिस डील मामले में पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम को अंतरिम सुरक्षा प्रदान करते हुए उनकी गिरफ्तारी पर 10 जुलाई तक रोक लगाई थी.  केंद्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि कार्ति के पिता पी. चिदंबरम 2006 में जब वित्त मंत्री थे, तो उन्होंने (कार्ति) एयरसेल-मैक्सिस डील में विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) से किस प्रकार मंजूरी हासिल की थी.

मालूम हो कि कार्ति चिदंबरम द्वारा साल 2006 में एयरसेल-मैक्सिस डील के तहत विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) की मंजूरी मिलने के मामले की जांच CBI और ED कर रहे हैं. उस समय पी चिदंबरम वित्तमंत्री थे.

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एयरसेल-मैक्सिस मामले में पूर्व वित्तमंत्री पी चिदंबरम पर आरोप है कि उन्होंने कथित तौर पर एयरसेल-मैक्सिस को एफडीआई के अनुमोदन के लिए आर्थिक मामलों की कैबिनेट कमेटी को नजरअंदाज कर दिया था.  ED के मुताबिक एयरसेल-मैक्सिस डील में तत्कालीन वित्तमंत्री पी चिदंबरम ने कैबिनेट कमेटी की अनुमति के बिना ही मंजूरी दी थी, जबकि ये डील 3500 करोड़ रुपये की थी.

नियमों के मुताबिक वित्तमंत्री 600 करोड़ रुपये तक की डील को ही मंजूरी दे सकते थे. एफआईपीबी ने फाइल को वित्तमंत्री के पास भेजा और उन्होंने इसे मंजूर कर दिया.

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