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पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने मोदी सरकार के 500 रुपये और 1000 रुपये के नोट बंद करने के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा है कि 2000 हजार रुपये का नोट लाना समझ से परे है. ये कैसे मदद करेगा? 2000 रुपये के नोट का लाभ समझ नहीं आ रहा है. ऐसे में कांग्रेस बंटी हुई नजर आ रही है, क्योंकि जनार्दन द्विदेदी ने फैसले का स्वागत किया है.
जर्नादन द्विवेदी ने कहा कि मोदी ने अपने चुनावी वायदे पूरे करने की ओर कदम बढ़ाया है. इस फैसले से अगर महंगे चुनावों पर भी रोक लगे तो बेहतर, क्योंकि राजनीति अब सिर्फ अमीरों के लिए रह गई है.
चिदंबरम ने कहा कि आर्थिक लाभ बहुत कम है और रुकावट बड़ी है. सवाल यह है कि नए नोट कब पुराने नोटों की जगह लाए जाएंगे. यह सरकार के लिए परीक्षा है. 1978 में इसी तरह का एक प्रयास जनता पार्टी की सरकार ने किया था जो कि फेल हो गया था.
पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि हमें समझ में नहीं आ रहा है कि जब 500 और 1000 के नोट बंद किए गए हैं तो 2000 रुपये का नोट क्यों जारी किया जा रहा. हमने कल फैसले का स्वागत किया था लेकिन हमें देखना होगा कि इससे हमारा उद्देश्य पूरा हो पा रहा है?
वहीं कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने भी मोदी सरकार के फैसले का स्वागत किया है. लेकिन उन्होंने कहा कि आम आदमी को होने वाली समस्याओं को ध्यान में रखा जाना चाहिए.