
इंडिया टुडे कॉन्क्लेव साउथ 2018 के अहम सत्र 'द सेल्फ इन सिनेमा: आर्टिक्यूलेटिंग द एंगर' में फिल्म निर्देशक पा. रंजीत ने शिरकत की. रंजीत, काला और कबाली जैसी फिल्मों का निर्देशन कर चुके हैं. रंजीत ने सुपरस्टार रजनीकांत के साथ काम का अनुभव, मीटू मूवमेंट, तमिल फिल्ममेकर्स के बीच जातिवाद और सेंसरशिप पर बात की.
रंजीत, काला और कबाली में रजनीकांत को निर्देशित कर चुके हैं. रंजीत ने कहा- "रजनीकांत कंपलीट एक्टर हैं. उनकी पिछली फिल्मों में कभी-कभार को छोड़ दिया जाए तो राजनीति की बात नहीं करती हैं. इसलिए ये अच्छा है कि वे फिल्मों में शोषित वर्ग के हीरो के रूप में पेश किए जाते हैं. उन्हें मेरी फिल्म 'मद्रास' पसंद है. इसलिए वे इसी तरह का कुछ मेरे साथ करना चाहते थे. उन्होंने मुझसे कहा कि वे अपने फैन्स को पसंद आने वाली फिल्म करना चाहते हैं, लेकिन इसमें उन्हें अलग तरह से दिखाया जाए. इसलिए उन्होंने मेरा चुनाव किया. "
रंजीत ने आगे कहा-"रजनीकांत किसी एक वर्ग के नहीं, बल्कि सारी जनता के हीरो बनना चाहते हैं. लेकिन मैं अपने सारे मुद्दे एक सुपरस्टार के जरिए सभी वर्गों के बीच ले जाना चाहता था. मुझे सेल्फिश कह सकते हैं. वे भी सभी के लिए फिल्म को अपीलिंग बनाने की कोशिश कर रहे थे. "
रंजीत ने जाति व्यवस्था को लेकर होने वाले भेदभाव पर भी सवाल उठाए. उन्होंने मीडिया कवरेज को लेकर कहा- "हमारे यहां काेविंद का नाम बिना राष्ट्रपति के टाइटल के साथ लिखा जाता है और मोदी के नाम के आगे प्रधानमंत्री लगाया जाता है. जब रंजीत से पूछा गया कि क्या ऐसा राष्ट्रपति के समुदाय को लेकर है तो उन्होंने कहा- निश्चित रूप से. बता दें कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद केआर नारायणन के बाद देश के दूसरे दलित राष्ट्रपति हैं.