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पद्मावत पर हंगामा अब भी जारी, करणी सेना बोली- स्मृति ईरानी के दबाव में काम कर रहे PM मोदी

करणी सेना के सुखदेव सिंह ने मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली है. हम वीएचपी नेता प्रवीण तोगड़िया का शुक्रिया करते हैं कि उन्होंने हमारे हक में आवाज़ उठाई.

पद्मावत पर बवाल जारी पद्मावत पर बवाल जारी
देव अंकुर
  • नई दिल्ली,
  • 23 जनवरी 2018,
  • अपडेटेड 2:50 PM IST

फिल्म पद्मावत को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिली है. राजस्थान और मध्यप्रदेश सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दोनों को कड़ी फटकार लगाई. कोर्ट ने याचिकाओं को खारिज किया, अब फिल्म पूरे देश में 25 जनवरी को ही रिलीज़ होगी. कोर्ट के फैसले के बाद भी करणी सेना का विरोध नहीं रुका है. करणी सेना ने इस मुद्दे पर केंद्र सरकार को भी निशाने पर लिया है.

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करणी सेना के सुखदेव सिंह ने मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने इस मुद्दे पर चुप्पी साध ली है. हम वीएचपी नेता प्रवीण तोगड़िया का शुक्रिया करते हैं कि उन्होंने हमारे हक में आवाज़ उठाई. उन्होंने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी पर भी निशाना साधा. सुखदेव सिंह बोले कि ईरानी फिल्म इंडस्ट्री से आती हैं, इसलिए इस प्रकार का भेदभाव हो रहा है. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी स्मृति ईरानी के दबाव में काम कर रहे हैं.

सड़कों पर उतरेगी करणी सेना

सुखदेव सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी हम फिल्म का विरोध करेंगे. राज्य सरकारें दोहरा मापदंड अपना रही हैं. सेंसर बोर्ड केंद्र सरकार के अंतर्गत आता है. अगर वह सच में फिल्म को बैन करना चाहते हैं तो उसके खिलाफ अध्यादेश लाना चाहिए. हम लोग इसके खिलाफ सड़कों पर उतरेंगे.

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वहीं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मध्य प्रदेश के कानून मंत्री रामपाल सिंह ने कहा कि हम अभी इस मसले पर कानून सलाह ले रहे हैं. जिससे कोर्ट के आदेश का उल्लंघन भी ना हो और लोगों की भावनाओं को ठेस भी ना पहुंचे.

कोर्ट ने राज्य सरकारों को फटकारा

सोमवार को हुई सुनवाई के दौरान राजस्थान-मध्यप्रदेश सरकार की ओर से वकील तुषार मेहता ने पैरवी की. उन्होंने कोर्ट से अपील कर कहा कि कानून व्यवस्था को देखते हुए फिल्म की रिलीज़ पर बैन लगना चाहिए.

इस पर सुप्रीम कोर्ट ने वकील तुषार मेहता के सवाल के पैराग्राफ के उस हिस्से को पढ़ा जिसमें कहा गया है कि चूंकि कुछ ग्रुपों ने हिंसा की चेतावनी दी है, इसलिए फिल्म की रिलीज़ पर रोक लगनी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि कानून व्यवस्था को बनाए रखना राज्य सरकार कर्तव्य है. कोर्ट ने कहा है कि इस याचिका को क्यों कबूला जाए.  

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