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पद्मावती पर संसद की स्थाई समिति में सुनवाई, भंसाली हाजिर हों!

पद्मावती फ़िल्म के विवाद के बाद फ़िल्म इंडस्ट्री ने जिस तरह अपनी नाराज़गी जताई थी, उसको देखते हुए कमिटी के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने तय किया सबसे पहले सबसे पहले पद्मावती फ़िल्म के डायरेक्टर संजय लीला भंसाली को बुलाया जाए.

प्रतीकात्मक तस्वीर प्रतीकात्मक तस्वीर
दिनेश अग्रहरि/हिमांशु मिश्रा
  • नई दिल्ली,
  • 28 नवंबर 2017,
  • अपडेटेड 12:23 PM IST

संसद की इन्फॉर्मेशन और टेक्नॉलजी की स्टैंडिंग कमेटी ने पद्मावती फ़िल्म विवाद पर फ़िल्म के डायरेक्टर संजय लीला भंसाली को 30 नवम्बर को कमेटी के सामने पेश होने को कहा है. गत 17 नवम्बर को कमिटी की पिछली बैठक में ज़्यादातर सदस्यों ने यह राय रखी थी कि कमिटी को फ़िल्म इंडस्ट्री के सामने आने वाली समस्याओं और चुनौतियों पर विचार के लिए इस इंडस्ट्री के लोगों को बुलाकर बात करनी चाहिए.

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पद्मावती फ़िल्म के विवाद के बाद फ़िल्म इंडस्ट्री ने जिस तरह अपनी नाराज़गी जताई थी, उसको देखते हुए कमिटी के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने तय किया सबसे पहले सबसे पहले पद्मावती फ़िल्म के डायरेक्टर संजय लीला भंसाली को बुलाया जाए.

कमिटी ने संजय लीला भंसाली को पेश होने के लिए उनसे फ़ोन पर और उनके ऑफ़िस में सम्पर्क किया है. हालांकि, अभी संजय लीला भंसाली से सम्पर्क नहीं हो पाया है, लेकिन कमेटी ने उनके ऑफ़िस को मैसेज दे दिया है. कमेटी चाहती हैं कि भंसाली 30 नवम्बर को कमेटी के सामने आएं और पद्मावती फ़िल्म विवाद पर अपनी बात को रखें.

गौरतलब है की इन्फॉर्मेशन और टेक्नॉलजी स्टैंडिंग कमेटी के तहत इन्फॉर्मेशन टेक्नॉलोजी, सूचना प्रसारण, टेलीकॉम मंत्रालय आते हैं. संसद की स्टैंडिंग पेटिशन ने भी पद्मावती फ़िल्म विवाद पर 30 नवम्बर को सीबीएफसी और सूचना प्रसारण मंत्रालय के अधिकारियों को समन किया है, यह जानने के लिए कि अभी तक उन्होंने पद्मावती फ़िल्म विवाद पर क्या किया है.

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कुछ गलत नहीं तो फिल्म दिखाने में क्या आपत्त‍ि है: गिरिराज सिंह

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा कि अगर पद्मावती फिल्म में कुछ गलत नहीं है तो उसे कुछ आपत्त‍ि करने वाले लोगों को दिखाने में क्या आपत्त‍ि है. उन्होंने कहा, 'संजय लीला भंसाली ने कुछ लोगों को स्पेशल स्क्रीनिंग कराई थी, जिन्होंने उनकी फ़िल्म की तारीफ़ की थी, लेकिन उन्होंने अभी तक उन लोगों को फिल्म नहीं दिखाई है, जिन्हें फ़िल्म की शूटिंग के पहले दिन से ही आपत्त‍ि है. आज पद्मावती को लेकर सिर्फ़ करणी सेना या राजपूत समाज को ही आपत्ति नहीं हैं, बल्कि देश सब लोगों आपत्ति है, क्योंकि पद्मावती देश के राष्ट्रभक्तों की शान हैं और उन्होंने अकेले जौहर नहीं किया था. अगर कोई किसी धर्म, इतिहास और व्यक्ति विशेष पर फ़िल्म बनाता है तो उसे इसकी इजाज़त पहले लेनी चाहिए. अब इस देश में इतिहास और धर्म के साथ छेड़छाड़ किसी को करने की इजाज़त नहीं दी जाएगी.

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