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राजपूत करणी सेना और अन्य संगठनों ने संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती में दिखाए गए कुछ सीन पर आपत्ति जताई है. उन्होंने इसे ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ बताया. फिल्म की रिलीज के विरोध में देशभर में प्रदर्शन हो रहे हैं.
तमाम आपत्तिजनक बयान भी चर्चा में बने हुए हैं. लेकिन जिन लोगों ने इस फिल्म को देखा है, उन्होंने इसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं पाया है. इन्हीं में से एक हैं वरिष्ठ स्तम्भकार वैदप्रताप वैदिक. उनका कहना है कि राजपूत समाज ही नहीं, हर भारतीय का सीना इस फिल्म को देखने के बाद गर्व से चौड़ा हो जाएगा. वेदप्रताप वैदिक ने फिल्म देखने के बाद आजतक से उन मु्द्दों पर बात की, जिनका जमकर विरोध हो रहा है.
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1 . अलाउद्दीन के साथ पद्मावती का ड्रीम सीक्वेंस:
फिल्म में ऐसा कोई सीन नहीं है, बल्कि पद्मावती को जब अलाउद्दीन की इच्छा का पता चलता है, जो उनका दुर्गा रूप देखने को मिलता है. 10-15 सेकंड के लिए एक बड़े आइने में पद्मावती ने मेहमान की फरमाइश का सम्मान करते हुए अलाउद्दीन को अपना रूप दिखाया और फिर परदा डाल दिया.
2. राजसभा में पद्मावती का घूमर डांस:
घूमर डांस किसी राजसभा में या अलाउद्दीन खिलजी के सामने नहीं होता है. ये घर में होता है, वह भी घर की स्त्रियों के बीच. जिस तरह शादी ब्याह में स्त्रियां नाचती हैं, उसी तरह पद्मावती घूमर नृत्य करती है. गाने के चार 4-5 मिनट बाद राजा रतन सेन ऊपर छज्जे पर आते हैं और इस नृत्य को देखते हैं. ये नृत्य बहुत मर्यादित और संयत तरीके से होता है. इसमें अश्लीलता जरा भी नहीं है.
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3. अलाउद्दीन का महिमा मंडन :
फिल्म में अलाउद्दीन खिलजी को किसी वीर राजा के रूप में नहीं, बल्कि खलनायक के रूप में दिखाया गया है. जो खिलजी शब्द है उसका सही पश्तो और फारसी उच्चारण गिलजई है. अलाउद्दीन का भस्मासुर रूप दिखाया गया है. वह अपने चाचा को मार देता है. वह एक धुर्त, अहंकारी, कपटी, दुश्चरित्र और रक्त पिपासु इंसान के रूप में परदे पर दिखता है.
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4. पद्मावती का अलाउद्दीन के प्रति आकर्षण:
पूरी फिल्म में पद्मावती का अलाउद्दीन के प्रति जरा भी आकर्षण दिखाई नहीं देता. पद्मावती अलाउद्दीन से लड़ती नजर आती है. वह अपने 800 सैनिकों को दासी का रूप देकर दिल्ली जाती है और अपने पति को जेल से छुड़ा लाती है. पद्मावती ने हजारों राजपूत महिलाओं के साथ जौहर किया, जो बहुत रोमांचक और मार्मिक दृश्य है.