
फिल्म 'पद्मावती' को लेकर मचे हंगामे के बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर ने गुरुवार को दावा किया कि आज जो ये जांबाज महाराजा एक फिल्मकार के पीछे पड़े हैं और दावा कर रहे हैं कि उनका सम्मान दांव पर लग गया है. यही महाराजा उस समय भाग खड़े हुए थे जब ब्रिटिश शासकों ने उनके मान सम्मान को रौंद दिया था.
मुंबई में टाटा लिटरेचर लाइव के आठवें संस्करण में प्रोफेसर पीटर फ्रैंकोपैन के साथ उद्घाटन समारोह के दौरान शशि थरूर से सवाल किया गया कि उनकी किताब 'एन एरा ऑफ डार्कनेस' (द ब्रिटिश एम्पायर इन इंडिया) में पीड़ा का भाव क्यों है. जबकि उनकी राय यह है कि भारतीयों ने अंग्रेजों का साथ दिया था. थरूर ने कहा कि यह हमारी गलती है. सही मायने में तो मैं पीड़ा को सही नहीं ठहराता हूं. उन्होंने कहा कि किताब में दर्जनों जगहों पर मैं खुद पर बहुत सख्त रहा हूं. कुछ ब्रिटिश समीक्षकों ने कहा है कि वह इस बात की व्याख्या क्यों नहीं करते कि ब्रिटिश कैसे जीत गए?
उन्होंने कहा कि असलियत तो यह है कि इन तथाकथित महाराजाओं में हर एक जो आज मुंबई के एक फिल्मकार के पीछे हाथ धोकर पड़े हैं, उन्हें उस समय अपने मान सम्मान की कोई चिंता नहीं थी जब ब्रिटिश इनके मान सम्मान को पैरों तले रौंद रहे थे. कांग्रेस नेता की यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावती को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है.
श्री राजपूत सेना और कुछ अन्य संगठनों ने फिल्मकार पर इतिहास को तोड़ मरोड़ कर परोसने और हिंदू भावनाओं को भड़काने का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासकों को आईना दिखाया था. उन्हें अहसास कराया था कि वे क्या कर रहे हैं.थरूर ने कहा कि महात्मा गांधी ने उन्हें आईना दिखाकर कहा था कि खुद को देखो, तुम खुद को शर्मसार कर रहे हो, क्या यही तुम्हारे मूल्य हैं?