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हाफिज सईद के संगठन JuD पर बैन PAK का एक और धोखा, दुनिया के दबाव में नया पैंतरा

Pakistan bans terrorist पाकिस्तान ने एक बार फिर आतंकी संगठनों पर कार्रवाई की है. उसने हाफिज सईद के संगठन पर बैन लगाया है, लेकिन पुलवामा हमले के गुनाहगार जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया है. ऐसे में पाकिस्तान की ये कार्रवाई दुनिया की आंखों में धूल झोंकने के समान ही है.

Pakistani Prime Minister Imran Khan (File) Pakistani Prime Minister Imran Khan (File)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 22 फरवरी 2019,
  • अपडेटेड 8:51 AM IST

जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद चौतरफा घिरे पाकिस्तान ने एक बार फिर आतंकी संगठनों पर दिखावे की कार्रवाई की है. गुरुवार को पाकिस्तान सरकार ने ग्लोबल आतंकी हाफिज़ सईद के संगठन जमात-उद-दावा और फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन पर बैन लगा दिया. इस एक्शन को पुलवामा के बाद बने दबाव में की गई कार्रवाई के तौर पर देखा जा रहा है, हालांकि इस फैसले में जैश-ए-मोहम्मद संगठन का नाम भी नहीं लिया गया है जो कि पुलवामा आतंकी हमले का असली गुनाहगार है.

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ऐसी कार्रवाई से क्या होगा?

ऐसा पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने इन संगठनों पर कार्रवाई की हो, इससे पहले भी जब उसपर अंतरराष्ट्रीय बनता है तो वह ऐसे पैंतरे अपनाता रहता है. अब एक बार फिर इसी दबाव में आकर पाकिस्तान ने ये कदम उठाया है. हालांकि, इससे कोई खास फर्क पड़ता नहीं दिखाई पड़ रहा है, क्योंकि इससे पहले भी जब-जब पाकिस्तान ने इन पर बैन लगाया है तो हर बार हाफिज़ सईद एक नए आतंकी संगठन के साथ दुनिया के सामने आया है.

उदाहरण के तौर पर लश्कर-ए-तैयबा पर बैन लगा तो उसने जमात-उद-दावा का नाम दे दिया. तमाम रोकों के बावजूद हाफिज आज भी खुलेआम रैलियां करता नजर आया है. हाफिज के संगठन पर बैन पहले भी लगता रहा है, इस बैन की अवधि खत्म हो गई थी जिसे पाकिस्तान ने आगे बढ़ाया है. इन संगठनों को हाफिज चैरिटी के तौर पर दिखाता है और आतंक फैलाने के लिए पैसा इकट्ठा करता है.

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क्या पुलवामा हमले का दबाव?

14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले का असली गुनाहगार जैश-ए-मोहम्मद है. भारत समेत अन्य देशों ने पाकिस्तान पर दबाव बनाया कि उसपर कार्रवाई की जाए. पाकिस्तान ने कार्रवाई तो की, लेकिन जैश पर नहीं. उसकी ओर से सिर्फ JuD समेत अन्य ऐसे संगठनों पर बैन लगाया गया जिनकी चैरिटी संदिग्ध है. यानी जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मौलाना मसूद अजहर अभी भी पाकिस्तान आर्मी की सिक्योरिटी में है.

पाकिस्तान को क्यों लेना पड़ा एक्शन?

दरअसल, पाकिस्तान का ये एक्शन भारत या किसी अन्य के दबाव में नहीं है बल्कि इसके पीछे उसका डर है. अंतरराष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की बैठक होनी है, जिसमें पाकिस्तान ग्रे लिस्ट में शामिल है. ये संस्था कुछ देशों को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए पैसा मुहैया कराती है. भारत की कोशिश है कि वह पाकिस्तान को FATF से ब्लैकलिस्ट करवाए ताकि उसे किसी तरह की मदद ना मिल पाए.

यहां ब्लैकलिस्ट होने का मतलब ये भी है कि पाकिस्तान की रेटिंग IMF, वर्ल्ड बैंक समेत अन्य अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं में भी गिरेगी और उसे बड़ा घाटा उठाना पड़ सकता है.

इधर संगठन पर बैन, उधर युद्ध की तैयारी!

बता दें एक तरफ से पाकिस्तान दुनिया के सामने खुद को आतंक ग्रसित देश दिखाने के लिए इन संगठनों पर कार्रवाई कर रहा है. तो वहीं दूसरी तरफ वह भारत के खिलाफ साजिश भी रच रहा है. गुरुवार को ही पाकिस्तान सुरक्षा समिति की बैठक में प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपनी सेना को खुली छूट दी है कि वह भारत पर कार्रवाई करे. जिसके बाद से ही सेना प्रमुख कमर बाजवा की अगुवाई में पाकिस्तानी सेना ने बॉर्डर पर गतिविधियां कर दी हैं.

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