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106 पन्नों की किताब बताएगी यूपी में आए शरणार्थियों की आपबीती

"नागरिक अधिकार मंच" के सौजन्य से "पाकिस्तान, अफगानिस्तान एवं बांग्लादेश से उत्तर प्रदेश में आए शरणार्थियों की आपबीती" शीर्षक से प्रकाशित पुस्तक में जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चित्रों के साथ उनके "नागरिकता संशोधन कानून" पर दिए गए बयानों को प्राथमिकता दी गई है उससे इस किताब की मंशा स्पष्ट हो जाती है.

पाकिस्तान, अफगानिस्तान एवं बांग्लादेश से उत्तर प्रदेश में आए शरणार्थियों की आपबीती पाकिस्तान, अफगानिस्तान एवं बांग्लादेश से उत्तर प्रदेश में आए शरणार्थियों की आपबीती
आशीष मिश्र
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  • 10 जनवरी 2020,
  • अपडेटेड 6:29 PM IST

"विभाजन के समय से हम पाकिस्तान में थे जहां हमारे पिता महेंद्र कुमार खेती करते थे. हिंदू होने के नाते उन्हें तरह-तरह से प्रताड़ित किया जाता था. बच्चों का जबरन धर्म परिवर्तन कराया जाता था. महिलाओं की सरेआम बेज्जती होती थी. मेरे चाचा बालचंद इसरानी के बेटे प्रकाश इसरानी का अपहरण कर फिरौती मांगी गई. फिरौती न देने पर जान से मारने की धमकी दी गई. जब हम लोगों ने फिरौती की रकम अदा की तब जाकर प्रकाश को छोड़ा गया."  उत्तर प्रदेश के आगरा शहर के कमला नगर में शरणार्थी के रूप में अस्थाई रूप से रहने वाले राजेश कुमार का यह बयान "पाकिस्तान, अफगानिस्तान एवं बांग्लादेश से उत्तर प्रदेश में आए शरणार्थियों की आपबीती" शीर्षक से प्रकाशित हुई किताब का हिस्सा है. इस किताब में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से यूपी में आए शरणार्थियों की आप बीती को लिपिबद्ध किया गया है. राजेश कुमार के पिता पाकिस्तान के सिंध प्रांत के शिकारपुर जिले में रहते थे जो अगस्त, 1991 में शरणार्थी के रूप में भारत आए थे. यह 106 पेज की किताब एक संगठन "नागरिक अधिकार मंच" के हवाले से प्रकाशित की गई है.

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इस किताब के मुखपृष्ठ के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का "नागरिकता संशोधन विधेयक" के संदर्भ में बयान छपा है जो किताब के भारतीय जनता पार्टी से जुड़ाव की ओर इशारा करता है. हालांकि भारतीय जनता पार्टी के नेता इस किताब के पीछे किसी भी तरह से पार्टी का हाथ होने से इनकार करते हैं.  किताब में जनपदवार शरणार्थियों का ब्यौरा दिया गया है. किताब में आगरा, रायबरेली, सहारनपुर, गोरखपुर, अलीगढ़, रामपुर, मुजफ्फरनगर, हापुड़, मथुरा, कानपुर नगर, प्रतापगढ़, वाराणसी, अमेठी, झांसी, बहराइच, लखीमपुर, खीरी, लखनऊ, मेरठ और पीलीभीत जिलों में अस्थाई तौर पर रह रहे शरणार्थियों की दास्तां बताई गई है.

कुल 80 शरणार्थियों की आपबीती के साथ उनके और उनके पारिवारिक सदस्यों के फोटो भी किताब में प्रकाशित किए गए हैं. यह किताब को "नागरिकता संशोधन कानून" के पक्ष में माहौल बनाने के लिए एक तार्किक दस्तावेज के रूप में आम जनता के समक्ष पेश करने की रणनीति है. भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता डॉक्टर चंद्र मोहन कहते हैं " देश और प्रदेश में रह रहे शरणार्थियों की दास्तान रोंगटे खड़े करने वाली है.

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लोगों को यह मालूम होना चाहिए कि इन लोगों के साथ पाकिस्तान में कैसा बर्ताव होता था?" "नागरिक अधिकार मंच" के सौजन्य से प्रकाशित इस पुस्तक में जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के चित्रों के साथ उनके "नागरिकता संशोधन कानून" पर दिए गए बयानों को प्राथमिकता दी गई है उससे इस किताब की मंशा स्पष्ट हो जाती है.

इस किताब को बड़े पैमाने पर उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं, नेताओं और प्रदेश में रह रहे बुद्धिजीवियों के बीच बंटवाने की योजना है. यह किताब नागरिकता संशोधन कानून के प्रति एक खास वर्ग में बने नकारात्मक माहौल को काउंटर करने के लिए भी सामने लायी गयी है.

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