
सीमा पर पाकिस्तान से सुलह की कोशिश नाकाम होती नजर आ रही है. अभी 5 दिन पहले ही भारत और पाकिस्तान के बीच डीजीएमओ स्तर की बातचीत हुई थी, जिसमें 2003 के संघर्ष विराम समझौते को पूरी तरह लागू करने पर सहमति बनी थी लेकिन आज फिर पाकिस्तान ने नापाक हरकत करते हुए सीमा पर सीजफायर का उल्लंघन किया है.
बीती रात जम्मू कश्मीर के अखनूर सेक्टर में सीमा पार से फायरिंग की गई जिसमें बीएसएफ के ASI एसएन यादव और कांस्टेबल वीके पांडे शहीद हो गए. इसके अलावा स्थानीय लोग भी इस गोलीबारी की चपेट में आकर घायल हो गए हैं. भारतीय सुरक्षा बल भी पाकिस्तान को इस कार्रवाई का मुंहतोड़ जवाब दे रहे हैं.
वहीं, पाकिस्तानी गोलाबारी को देखते हुए अखनूर सेक्टर के परगवाल के लोगों को सुरक्षित स्थान पर शिफ्ट किया गया है. साथ ही अरनिया और आरएस पुरा बॉर्डर इलाके के स्थानीय लोगों को भी अलर्ट किया गया है.
गौरतलब है कि एलओसी पर पिछले कुछ महीनों में संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाओं में लगातार तेजी आई है. इसी के मद्देनजर दोनों मुल्कों ने सीमा पर तनाव कम करने के लिए बातचीत का फैसला किया था. लेकिन सुलह की कोशिशों के बीच पाकिस्तान ने फिर सीमाई क्षेत्र को अशांत करने का काम शुरू कर दिया. इसके जरिए पाकिस्तान भारत में आतंकियों की घुसपैठ कराना चाह रहा है.
सीजफायर लागू करने पर सहमति
भारत के डीजीएमओ लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान और पाकिस्तान के मेजर जनरल साहिर शमशाद मिर्जा के बीच बातचीत के बाद दोनों सेनाओं ने समान बयान जारी कर कहा कि दोनों देश 15 साल पुराने संघर्ष विराम समझौते को पूरी तरह से लागू करने पर सहमत हुए थे. साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि दोनों ओर से संघर्ष विराम का उल्लंघन ना हो. विशेष हॉटलाइन संपर्क की पहल पाकिस्तानी डीजीएमओ की ओर से की गई थी.
बातचीत में दोनों डीजीएमओ सीमा पर संयम रखने और स्थानीय कमांडरों की फ्लैग मीटिंग के मौजूदा तंत्र के जरिए हल करने पर भी सहमत हुए थे. लेकिन पाकिस्तान की हालिया कार्रवाई से इन सभी कोशिशों पर पानी फिरता नजर आ रहा है.
गौरतलब है कि एलओसी पर पिछले कुछ महीनों में संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाओं में वृद्धि दर्ज की गई है. पाकिस्तानी आर्मी की ओर से इस साल अब तक कुल 909 बार सीजफायर तोड़ा जा चुका है जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 860 था.