Advertisement

पाकिस्तान ने आतंक के सबसे खौफनाक चेहरों के खिलाफ नहीं की कोई कार्रवाई

क्या कभी आपने देखे हैं बिलखती हुई मांओं के गोद में खामोश लेटे लाल, ख्वाबों को मरा देख चीखता हुआ बाप? छटपटाकर मर गईं खिलखिलाती हुई नौनिहाल नस्लें? दुनिया के हर गम पर वक्त अपना मरहम जरूर लगाता है पर ये वो गम है जिसका महरम किसी के पास नहीं. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पिछले हफ्ते ही पाकिस्तान की सरजमीन से आतंक और आतंकवाद को खत्म करने का दम भर रहे थे. फिर पाकिस्तान ने आतंक के तीन बड़े नामों को अपनी गोद में क्यों बिठा रखा है?

आतंक के सबसे खौफनाक चेहरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं आतंक के सबसे खौफनाक चेहरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं
मोनिका शर्मा/शम्स ताहिर खान
  • नई दिल्ली,
  • 24 सितंबर 2016,
  • अपडेटेड 8:24 AM IST

क्या कभी आपने देखे हैं बिलखती हुई मांओं के गोद में खामोश लेटे लाल, ख्वाबों को मरा देख चीखता हुआ बाप? छटपटाकर मर गईं खिलखिलाती हुई नौनिहाल नस्लें? दुनिया के हर गम पर वक्त अपना मरहम जरूर लगाता है पर ये वो गम है जिसका महरम किसी के पास नहीं. पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पिछले हफ्ते ही पाकिस्तान की सरजमीन से आतंक और आतंकवाद को खत्म करने का दम भर रहे थे. फिर पाकिस्तान ने आतंक के तीन बड़े नामों को अपनी गोद में क्यों बिठा रखा है?

Advertisement

पाकिस्तानी स्कूल पर हमला, भारतीय शहीदों के संस्कार
उनके आंसू जब गिरते हैं तो उनकी जमीन के दामन पर सूखते हैं. हमारे आंसू जब गिरते हैं तो हमारी जमीन के दामन पर सूखते हैं. क्योंकि आंसुओं का कोई मजहब नहीं होता, दर्द की कोई जात नहीं होती और गम का कोई इलाका नहीं होता.

1993 के बाद सीमापार से बंद नहीं हुआ आतंक
1993 का मुंबई धमाका वो पहला ऐसा आतंकवादी हमला था जिसने पाकिस्तान को सीधे कटघरे में खड़ा कर दिया था. उसके बाद से तो पिछले 23 सालों में ये सिलसिला ही चल पड़ा. ना जाने हिंदुस्तान के कितने शहर जख्मी और छलनी हो गए पर पाकिस्तान के रास्ते हिंदुस्तान आने वाला आतंक बंद नहीं हुआ. दरअसल पाकिस्तान को आतंक का अड्डा बनाने वालों में वहां की सरकार से ज्यादा फौज और आईएसआई का हाथ रहा है.

Advertisement

पाकिस्तान पर आतंक के आकाओं का कब्जा
यही असली मतलब है पाकिस्तान का. पाक फारसी शब्द है जबकि स्थान हिंदी. इन दोनों शब्दों को मिला कर बना था पाकिस्तान. लेकिन अब ये आतंक का अड्डा बन गया है. आतंकवादियों का पनाहगाह. आखिर कैसे एक पूरा मुल्क देखते ही देखते आतंक के चंगुल में फंस गया? कैसे एक पूरे मुल्क पर आतंकवादी संगठनों और उनके आकाओं ने कब्जा कर लिया?

भारत के सीने पर हैं कई जख्म
जवाब जानने से पहले हिंदुस्तान के किसी भी जख्मी शहर को याद कीजिए, 93 के लहुलुहालन मुंबई की कराह सुनिए. सबसे हरे जख्म उरी की आह महसूस कीजिए. आतंकवादी संगठन और उनके आकाओं के नाम याद कीजिए. देश के सबसे बड़े भगौड़े डॉन के बारे में सोचिए. बगदादी से पहले दुनिया के सबसे बड़े आतंकवादी के खात्मे के बारे में गौर कीजिए. कश्मीर में झांकिए तो जवाब मिल जाएगा.

मुंबई का हमला था पहला वार
हिंदुस्तान को आतंक का सबसे बड़ा और पहला जख्म 1993 में लहुलुहान मुंबई की शक्ल में मिला. पूरे मुंबई को धमाकों से दहला देने वाला चेहरा तभी आम हो गया था. पर दाऊद इब्राहीम तब तक चुपके से भाग चुका था. और फिर जाकर बस गया उसी पाकिस्तान में. कराची के घोषित पते पर आराम से रह रहा है वो.

Advertisement

संसद को दहलाया
13 दिसंबर 2001 को पहली बार आतंक संसद की दहलीज तक पहुंच गया था. आतंकवादियों को संसद भवन तक पहुंचाया था जैश के उसी मुखिया मौलना मसूद अज़हर ने जो कांधार हाईजैकिंग में सौदेबाजी के बाद रिहा हो गया था. और रिहाई के बाद वो भी सीधे जा पहुंचा उसी आतंक की जन्नत में. यानी पाकिस्तान में.

अमेरिका ने पाकिस्तान में घुस के मारा
अमेरिका पर हमला कर इसने तो पूरी दुनिया को दहला दिया था. वो अलकायदा का मुखिया था. पूरे दस साल तक अमेरिका इसकी तलाश में दुनिया भर की खाक छानती रही पर आखिर में ये भी मिला उसी आतंक के अड्डे में, यानी पाकिस्तान में और वहीं मारा गया.

पाकिस्तान में खुलेआम घूमते हैं आतंकी
दुनिया के नक्शे पर पाकिस्तान के वो तमाम नक्शे मौजूद हैं जहां आंतक की फैक्ट्री चलती है. जहां आतंकवादियों के ट्रेनिंग कैंप हैं. हाफिज सईद, मौलाना मसूद अजहर जैसे आतंकवादियों को तो पाकिस्तान में कभी छुपने की भी नौबत नहीं आई. खुल्लमखुल्ला घूमते हैं ये पकिस्तान में.

अपना बोया हुआ काट रहा है पाकिस्तान
पुरानी कहावत है कि इंसान जो बोता है, वही काटता है. आतंक की आग में बुरी तरह झुलस रहे पड़ोसी मुल्क की कहानी कुछ ऐसी ही है. पाकिस्तान में अलग-अलग वक्त पर अलग-अलग हुक्मरानों और फौज ने आतंकवाद को अपने-अपने फायदे के लिए इस्तेमाल किया. अब नतीजा ये है कि वही आतंकवाद सबसे ज़्यादा अब खुद पाकिस्तान को लहूलुहान कर रहा है.

Advertisement

खुद आतंकवाद का शिकार हो रहा PAK
पाकिस्तान में ऐसे आतंकी हमले और उनसे होने वाली मौतों की फेहरिस्त ठीक कहां से शुरू होती है और कहां जा कर खत्म होती है, ये सही-सही किसी को नहीं पता. और इसकी वजह भी सीधी सी है, पाकिस्तान में कब कहां कैसे और किधर से आतंकवादी हमला हो जाए, ये न तो वहां की पुलिस को पता है, न सुरक्षा एजेंसियों को और न ही गद्दी पर बैठे सियासी हुक्मरानों को और यही वजह है कि आज दुनिया पाकिस्तान को आतंक की जन्नत कह कर पुकारने लगी है. हालांकि एक हकीकत ये भी है कि अपनी जमीन पर आतंकवादियों को पनाह देनेवाला पाकिस्तान अब खुद ही इसका सबसे ज़्यादा शिकार हो रहा है.

क्या होगा पाकिस्तान का भविष्य
लेकिन ये सबकुछ जानते हुए भी पाकिस्तानी हुक्मरान, वहां की फौज और आईएसआई जैसी एजेंसियां अपने-अपने मकसद की खातिर दहशतगर्दी के खिलाफ संजीदा नहीं है. बल्कि कभी वो खुद को आतंकवाद का शिकार बता कर रोना रोने लगते हैं और कभी दूसरों पर इल्जाम मढ़ देते हैं. ऐसे में पाकिस्तान का आनेवाला कल खुशनुमा होगा, फिलहाल इस बात की कोई उम्मीद नजर नहीं आती.

क्या है पाकिस्तान के सबसे बड़े ऑपरेशन का सच?
युनाइटेड नेशन में नवाज शरीफ ने दावा किया कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ दुनिया का सबसे बड़ा और कामयाब ऑपरेशन चलाया. दरअसल पाकिस्तान की गोद में बैठे दो सबसे बड़े आतंकवादी संगठन लश्कर और जैश के खिलाफ ये ऑपरेशन कभी चलाया ही नहीं गया. शरीफ ने यूएन में खड़े होकर कहा कि आतंक के खिलाफ दुनिया का सबसे बड़ा और कामयाब ऑपरेशन बस पाकिस्तान ने ही किया तो लीजिए उनकी ही एजेंसी के आंकड़े के जरिए सच सामने आ जाता है.

Advertisement

सबसे बड़े आतंकी संगठनों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं
8 जून 2014 को कराची के जिन्ना इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर आतंकवादी हमले में 28 लोग मारे गए थे. इसी हमले के एक हफ्ता बाद 15 जून 2014 को मियां साहब ने पाक सेना के 30 हजार स्पेशल जवानों की टीम बना कर ऑपरेशने जरब-ए-अज्ब की शुरूआत की. इसके तहत खास तौर पर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, इस्लामिक मुवमेंट ऑफ उजबेकिस्तान, ईस्ट तुर्किस्तान इस्लामिक नेटवर्क, लश्कर-ए-झांगवी, अल-कायदा, जुनदल्ला और हक्कानी नेटवर्क के खिलाफ मुहिम छेड़ी गई. पर कमाल देखिए लश्कर-ए-तय्यबा, जैश-ए-मोहम्मद और डी कंपनी के खिलाफ कभी कोई कार्रवाई नहीं की. जबकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इन तीनों को ना सिर्फ आतंकवादी संगठन और आतंकवादी घोषित किया जा चुका है बल्कि इनके सिर पर इनाम भी है.

दरअसल पाकिस्तानी फौज में शुरू से ही एक बड़ा धड़ा कट्टर इस्लामिक संगठनों का समर्थक रहा है, जिसे आईएसआई की भी हमेशा भरपूर मदद मिलती रही है. पाकिस्तान की अंदुरूनी राजनीति में भी इनकी काफी मजबूत पकड़ है. यही कट्टर धार्मिक संगठन इस्लाम और जेहाद के नाम पर आतंक की फसल तैयार करते हैं और इन्होंने ही पाकिस्तान को आतंक का अड्ड़ा बना दिया है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement