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पाकिस्तान चुनावः ना घर का ना घाट का आतंकी हाफिज़ सईद!

फुलटाइम आतंकवादी हाफिज़ सईद भी अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान के चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहा था. लेकिन पाकिस्तान की अवाम ने उसे पूरी तरह से नकार दिया. हाफिज का दामाद और बेटा दोनों ही चुनाव में हार गए और हाफिज के सपने चूर-चूर हो गए.

पाकिस्तानी अवाम ने आतंकी हाफिज सईद को पूरी तरह से नकार दिया पाकिस्तानी अवाम ने आतंकी हाफिज सईद को पूरी तरह से नकार दिया
परवेज़ सागर/शम्स ताहिर खान
  • नई दिल्ली,
  • 27 जुलाई 2018,
  • अपडेटेड 11:21 AM IST

हमारे यहां एक कहावत है, जो उनके वहां बिल्कुल फिट बैठ गई. ना घर का.. ना घाट का. फुल टाइम आतंकवाद के साथ साथ पार्ट टाइम नेता बनने निकले हाफिज़ सईद का बिलकुल यही हश्र हुआ है. 265 दहशतगर्दों को उसने पाकिस्तान के चुनावी मैदान में उतारा था. बेटा, दामाद सब चुनाव लड़ रहे थे. मगर हाफिज़ सईद की पूरी टीम खाता तक नहीं खोल पाई. पूरी टीम ज़ीरो पर आउट हो गई. यानी कुल मिला कर आतंकी हाफिज़ सईद अपने घर में ही बुरी तरह पिट गया.

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पाकिस्तानी अवाम ने हाफिज को नकारा

पाकिस्तान को भी हाफिज़ सईद नहीं चाहिए. पाकिस्तान को हाफिज़ का बेटा भी नहीं चाहिए. पाकिस्तान को हाफिज़ का दामाद भी नहीं चाहिए. पाकिस्तान को हाफिज़ के गुर्गे भी नहीं चाहिए. हाफिज सईद जैसे आतंकी पाकिस्तान के ज़ेहन में भले ही कितना भी ज़हर भरने की कोशिश कर ले. लेकिन उस मुल्क की आवाम ने जो नतीजा दिया है उससे साफ़ ज़ाहिर है कि पूरे देश की रहबरी का दावा करने वाले इस आतंकी का वहां की अवाम ने डब्बा गोल कर दिया है. 250 से ज़्यादा आतंकियों को चुनावी मैदान में उतार कर हाफिज़ सईद पाकिस्तान का प्रधानमंत्री बनने का ख्वाब देख रहा था. लेकिन मुल्क ने मौलाना को साफ कह दिया कि पाकिस्तानी पॉलिटिक्स में हाफिज़ सईद जैसों के लिए कोई जगह नहीं है.

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आतंकी हाफिज सईद का मिशन फेल

हाफिज का सियासी मंसूबा फुस्स हो गया. पाकिस्तान के चुनावों में हाफिज़ की ज़मानत ज़ब्त हो गई. पहली ही बॉल पर कप्तान ने हाफिज़ को क्लीन बोल्ड कर दिया. पाकिस्तान की आवाम ने आतंकी जमात को 'खुदा हाफिज' कह दिया. और इस तरह से हाफ़िज़ सईद का फ़्लॉप शो!

बुरी तरह हारी हाफिज की पार्टी

पाकिस्तान की अवाम ने इमरान को सरकार बनाने का मौका दिया. वहीं नवाज़ और बेनज़ीर की पार्टी को सम्मानजनक सीटें. यहां तक की हर छोटी पार्टियों ने सीटें जीतीं. काफी तादाद में निर्दलयी उम्मीदवार भी जीते. मगर नहीं जीता तो सिर्फ हाफिज़ सईद, उसका कुनबा और उसके आतंकवादी. 250 से ज़्यादा सीटों से उसके आतंकी चुनाव लड़ रहे थे. मगर सीट जीतना तो दूर की बात. ज़्यादातर जगहों पर उसके आतंकी उम्मीदवारों की ज़मानत ही ज़ब्त हो गई है. पाकिस्तानी अवाम से घर में ही पिट गया हाफिज सईद.

हाफ़िज़ सईद का फ़्लॉप शो!

सरगोदा से हाफिज सईद का बेटा हाफिज़ तलहा सईद हार गया तो लाहौर से उसके दामाद हाफिज़ ख़ालिद वलीद को भी बुरी तरह से हार का मुंह देखना पड़ा. इसी तरह लाहौर की ही दूसरी सीट से हाफिज़ का चेला कारी मोहम्मद शेख़ याकूब भी बुरी तरह से हार गया. क्रिकेट की ज़बान में कहें तो इमरान खान और पूरे पाकिस्तान ने हाफिज़ सईद को इतना धोया की बखिया उधेड़ दी. हालत ये हुई कि मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद का एक भी उम्मीदवार चुनावी लड़ाई में कहीं नजर नहीं आया.

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265 सीटों पर उतारे थे उम्मीदवार

आपको बता दें कि इंडिया के मोस्ट वॉन्टेड आतंकी हाफिज सईद ने पाकिस्तान की 265 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. उसकी अल्लाहु अकबर पार्टी इतनी बुरी तरीके से तो तब भी नहीं हारी थी, जब वो अकेले लड़ती थी. मगर हाफिज़ और उसके कारिंदों ने तो इस पार्टी की भी लुटिया डुबो दी. नतीजों से साफ है कि पाकिस्तान की अवाम को अब कश्मीर के नाम पर दहशतगर्दी नहीं चाहिए.

टूट गया आतंकी का सपना

मतदान से पहले ही ये तय हो गया था कि जनता अपने हक़ के सवाल कर रही है. उसे नौकरी, कानून व्यवस्था और एजुकेशन जैसी मूलभूत चीज़ें चाहिए. हालांकि पाकिस्तान की सभी सियासी पार्टियों के बीच आपसी रस्साकशी को देखते हुए हाफिज सईद को लगा कि इस बार पाकिस्तानी अवाम सीधे नहीं तो पिछले दरवाजे से ही उसे प्रधानमंत्री के दफ्तर और फिर कुर्सी तक जरूर ले जाएगी. मगर आतंक के आका का सपना टूट गया.

हाफिज सईद के चेहरे पर हार के निशान

जो हाफिज सईद कल तक दहाडे मार-मारकर चुनावी रैलियों कर रहा था. आज उस हाफिज सईद की ज़बान सूख गई है. चेहरे पर मुर्दानी छाई है. गला भर्राया हुआ है और जुबां लड़खड़ा रही है. और हो भी क्यों ना. नेता बनने चले हाफिज सईद की पूरी की पूरी टीम अपनी पहली चुनावी पारी में जीरो पर आउट होकर सियासत के मैदान से बाहर हो चुकी है. पाकिस्तान की जनता ने आतंकी को नकार दिया है.

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