
मौजूदा समय में पाकिस्तान के सामने अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर कई चुनौतियां खड़ी हैं. इसमें कमजोर रुपया और चालू खाता घाटा समेत कई दिक्कतें शामिल हैं. सभी मोर्चों पर पाकिस्तान का रिकॉर्ड कुछ बेहतर नहीं रहा है. यहां की अर्थव्यवस्था अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से मिलने वाले बेल-आउट पैकेज पर गुजारा करती है. ये पैकेज इसे इंटरनेशनल मोनेट्री फंड (IMF) और वर्ल्ड बैंक समेत चीन व यूएस से मिलता है.
इस बार भी पाकिस्तान आईएमएफ से 12 अरब डॉलर का बेल-आउट पैकेज लेने पर विचार कर रहा है. पाक को कम से कम 3 अरब डॉलर की तत्काल जरूरत है. ताकि वो आईएमएफ, चीन और विश्व बैंक से लिए गए लोन को डिफॉल्ट न कर दे. देश का व्यापार घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है. फॉरेन रिजर्व्स भी घटते जा रहे हैं. इसकी वजह से पाक की नई सरकार के पास आईएमएफ से मदद मांगने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है. पाकिस्तान की इकोनॉमी कई मोर्चों पर औंधे मुंह गिरी है.
GDP और महंगाई:
पाकिस्तान ब्यूरो ऑफ स्टैटिस्टिक्स के मुताबिक पाक की जनसंख्या 20.07 करोड़ (2017 का आंकड़ा) है. इसका सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 305 अरब डॉलर पर है. विश्व बैंक के मुताबिक वित्त वर्ष 2018 में पाक की जीडीपी ग्रोथ (कॉन्स्टैंट प्राइस) पर 5.5 फीसदी थी. वहीं, महंगाई जुलाई में 5.8 फीसदी रही है.
नीति निर्धारकों का मानना है कि किसी भी विकासशील देश में महंगाई दर 4 फीसदी से ज्यादा नहीं बढ़नी चाहिए. परचेजिंग पावर पैरिटी के मापदंड पर पाकिस्तान की जीडीपी 25वें और नॉमिनल जीडीपी के मामले में यह 42वें पायदान पर है. यह स्थिति पाक के लिए चिंताजनक है.
पाकिस्तान का चालू खाता घाटा 4.1 फीसदी और व्यापार घाटा 5.9 फीसदी के साथ बना हुआ है. कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता और घटता फॉरेन रिजर्व इस देश के लिए चिंता का विषय है. इसके अलावा पाकिस्तान की मुद्रा भी लगातार कमजोर होती जा रही है.
एशियाई देशों में फिलहाल पाकिस्तानी रुपया डॉलर के मुकाबले सबसे कमजोर हुआ है. इसका 10 अरब डॉलर का फॉरेन रिजर्व हर दिन घटता ही जा रहा है. इसके अगले 2 महीने तक भी चलने की उम्मीद नहीं है. एक तरह से पाकिस्तान में वित्तीय आपातकाल की स्थिति पैदा हुई है.
पाकिस्तान की आधी से ज्यादा जनसंख्या कोई टैक्स नहीं देती है. इसका टैक्स-जीडीपी रेशियो दुनिया में सबसे कम रेशियो रखने वाले देशों में से एक है. यह 11.2 फीसदी है. भारत की बात करें तो यह 15 फीसदी है. इस्लामिक देशों के बराबर जनसंख्या वाले ब्राजील का रेशियो 32.2 फीसदी है.
पाकिस्तान की 40 फीसदी जनसंख्या गरीबी रेखा के नीचे महज 2 डॉलर प्रति दिन के हिसाब से बसर करती है. 40 फीसदी से भी ज्यादा लोग ऐसे हैं, जिन्हें या तो पढ़ने नहीं आता या फिर वे लिखना नहीं जानते. मानव विकास सूची की बात करें तो इस मामले में पाकिस्तान दक्षिण एशिया क्षेत्र में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला देश है. पाकिस्तान जीडीपी का महज 3 फीसदी स्वास्थ्य, शिक्षा और पोषण पर खर्च करता है.
आर्थिक मोर्चे पर खड़ी इन चुनौतियों से निपटने के लिए इमरान खान क्या कदम उठाएंगे? या फिर चरमराती अर्थव्यवस्था को लेकर उनका क्या रुख रहेगा. इसको लेकर फिलहाल उन्होंने पत्ते नहीं खोले हैं. ऐसे में देखना होगा कि इमरान पाक की कमजोर पड़ती अर्थव्यवस्था को संभाल पाते हैं या नहीं.