
भारतीय सेना की जासूसी मामले में मिलिट्री इंटेलीजेंस स्पेशल सेल और IB के ज्वाइंट ऑपरेशन में पाकिस्तानी हाई कमीशन के दो अधिकारी और एक ड्राइवर को गिरफ्त में लिया गया है. ये लोग पाकिस्तान सेना से जुड़े थे. भारतीय खुफिया एजेंसियों ने बाकायदा पाकिस्तान के जासूसी प्लान का कच्चा चिट्ठा रिकॉर्ड किया है. आजतक के पास इस स्टिंग ऑपरेशन का पूरा ऑडियो और वीडियो मौजूद है.
पाकिस्तान आर्मी से जुड़े आबिद, जावेद और ताहिर दिल्ली में पाकिस्तान एम्बेसी में तैनात थे और कई साल से ISI के एजेंट के तौर पर काम कर रहे थे. ISI इन तीनों को आर्मी पर्सनल के नंबर देती थी. इसके बाद आबिद उन नंबरों पर किसी न किसी बहाने से कॉल करता और खुद को इंडियन आर्मी का बताकर ट्रैप में लेता और फिर खुफिया जानकारी निकालने की कोशिश करता.
भारतीय खुफिया एजेंसियों ने दबोचा
जैसे ही ISI के इस नापाक मिशन की जानकारी इंडियन आर्मी की इंटेलिजेंस यूनिट को लगी, इन तीनों पर महीनों तक नजर रखी गई. आर्मी इंटेलिजेंस के अफसर ने करोल बाग में मीटिंग फिक्स की और फिर स्टिंग ऑपरेशन प्लान किया गया. मीटिंग का वीडियो और बातचीत का ऑडियो टेप किया गया. एजेंसी को पता था कि बेनकाब होने के बाद पाकिस्तान शोर मचाएगा, इसलिए तमाम सबूतों के साथ इन तीनों को पकड़ा गया.
वीडियो में आबिद करोल बाग के होटल में दाखिल होता दिखाई दे रहा है. इसके बाद मीटिंग शुरू होती है. ऑडियो में आबिद का दावा है कि 11 क्लर्क जुड़े हुए हैं, 4 काम पर लगे हैं. ऑडियो में आबिद बोलता है कि आपको काम बताऊंगा पसंद हो तो ठीक नहीं तो कोई बात नहीं.
पाकिस्तानी जासूस की बातचीत
आबिद- हैलो...ये बताइये आप 1705 आरपीएम में तो नहीं रहे कहीं (आर्मी की किसी यूनिट के बारे में पूछ रहा है)
आर्मी पर्सनल- नहीं सर ये मेरा पहला यूनिट है...
आबिद- मेरा फोन खराब हो गया था तो नया लिया, मेरा एक फ्रेंड था तो मुझे लगा वो आप हो...चलो कोई नहीं...
आबिद- आप 326 यूनिट में हो ना दिल्ली में...
आर्मी पर्सनल- जी जी मेरा पहला यूनिट है...
आबिद- मेरी भी पोस्टिंग 106 में दिल्ली में है लेकिन फैमिली नोएडा में रखी हुई है तो उधर ही चला जाता हूं...
आबिद- मेरा फ्रेंड था राय...वो वेस्ट बंगाल में तैनात था मुझे लगा वो आप ही हो...
आर्मी पर्सनल- नहीं, नहीं...
आबिद- चलो कोई नहीं मेरा नंबर सेव कर लो...कोई दिक्कत हो तो बताना...
आबिद- वॉट्सऐप नंबर नहीं है..
आर्मी पर्सनल- नहीं वॉट्सऐप की परमिशन नहीं है यूनिट में..
आबिद- हमें तो वॉट्सऐप अलाउ है...
आबिद- कोई नहीं छुपछुपकर रख लो, छुपाकर तो चलाया जा सकता है....चलिए कभी बाहर मुलाकात होती है...
बता दें कि पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI के एक सीक्रेट प्लान के तहत 2013 से ये लोग दिल्ली में पाकिस्तानी हाई कमीशन के वीजा सेक्शन में काम करने लगे और एक पेशे से पाकिस्तानी हाई कमीशन का ड्राइवर बन गया. आबिद और ताहिर खुद को भारतीय सेना का क्लर्क बताते थे. ये लोग खुद की पोस्टिंग दिल्ली स्थित भारतीय आर्मी के पोस्ट ऑफिस सेंट्रल बोर्ड पोस्ट ऑफिस में बताकर भारतीय सेना में सेंध लगाने में जुटे थे. ISI अपने प्लान को सफल बनाने के लिए हर महीने एक मोटी रकम इन तीनों को पहुंचाती थी. ISI देश के सभी संवेदनशील बॉर्डर पर फोर्स की तैनाती और इंडियन आर्मी में हथियारों की खेप से जुड़ी गोपनीय जानकारी हासिल करना चाहता थी.
जानकारी के मूताबिक, पाकिस्तान हाई कमीशन के दोनों अधिकारी भारतीय सेना के लोअर ग्रेड के कुछ जवानों के घर तक में घुसपैठ कर चुके थे, ताकि उन्हें ट्रैप में लेकर अपने मिशन तक पहुंचा जा सके. मिलिट्री इंटेलीजेंस के अधिकारियों ने जिस वक्त एक ऑपरेशन के तहत करोल बाग इलाके में आबिद और ताहिर को मिलने बुलाया था तब भी दोनों ने अपना परिचय भारतीय सेना के क्लर्क के तौर पर ही बताया था.