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कई हिंदू परिवार पहुंचे अटारी बॉर्डर, बताया- क्यों छोड़ना चाहते हैं पाकिस्तान

मंगलवार को अटारी बॉर्डर पर पाकिस्तान से आए हिंदुओं का एक दल पहुंचा. इनमें से बीस साल की लाली भी हैं. लाली ने पाकिस्तान के हालात खराब बताते हुए भारत में ही बसने की इच्छा जाहिर की.

पाकिस्तान से आया एक हिंदू परिवार (फोटो-ट्विटर/@mssirsa) पाकिस्तान से आया एक हिंदू परिवार (फोटो-ट्विटर/@mssirsa)
मनजीत सहगल
  • चंडीगढ़,
  • 05 फरवरी 2020,
  • अपडेटेड 8:48 AM IST

  • पाकिस्तान से आने वाले हिंदू भारत को मानते हैं अपना देश
  • नहीं लौटना चाहते पाकिस्तान, भारत में बसना चाहते हैं हिंदू

20 साल की लाली मजबूरी में पाकिस्तान छोड़कर भारत आई हैं, लेकिन अबकी बार वापस जाने के लिए नहीं बल्कि यहीं बसने के लिए आई हैं, क्योंकि वहां पर हालात सही नहीं हैं. उनके मुताबिक पाकिस्तान के अल्पसंख्यक हिंदू कट्टरवादी बहुसंख्यक समुदाय की प्रताड़ना का शिकार हो रहे हैं. लाली के दूर के रिश्ते के एक भाई की हत्या कर दी गई. लाली का कहना है कि पाकिस्तान में बहुत से हिंदू मारे जा चुके हैं.

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लाली ने अटारी बॉर्डर पर जब पत्रकारों से बात की तो तीन बार आग्रह किया उनकी तस्वीर पाकिस्तान में नहीं जानी चाहिए. बेहद घबराई हुई लाली के चेहरे पर चिंता के भाव साफ नजर आ रहे थे.

लाली की बातचीत से लगता है कि वह दूसरी बार भारत आई हैं. पिछली बार जब भारत आई थीं तो उनकी तस्वीर और बातचीत इंटरनेट के जरिए पाकिस्तान भी पहुंच गई जिसके बाद उनको काफी दिक्कत झेलनी पड़ी. लाली पाकिस्तान के कौन से हिस्से से ताल्लुक रखती हैं और पिछली बार कब भारत आई थीं, इसकी जानकारी उन्होंने मीडिया को नहीं दी.

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जब उनसे पूछा गया कि क्या पाकिस्तान में हिंदू और सिख परिवारों की हालत नाजुक है तो सिर्फ इतना कहा कि "हां खराब है. अल्पसंख्यक समुदाय को बहुत सारी दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं और उनके पासपोर्ट भी नहीं बनते." लाली ने बताया कि वह पर्यटक बनकर नहीं आई हैं बल्कि भारत में बसना चाहती हैं. लाली उन 50 अल्पसंख्यक पाकिस्तानी नागरिकों में शुमार हैं जो सोमवार को अपना घर बार छोड़कर अमृतसर पहुंचे. इन लोगों में ज्यादातर युवा पाकिस्तानी हैं जो भारत को अपना मुल्क समझते हैं.

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50 पाकिस्तानी नागरिकों के इस दल में कई महिलाएं और छोटे बच्चे भी हैं. महिलाएं इतनी ज्यादा घबराई हुई हैं कि डर के मारे किसी से बात नहीं कर रहीं. इस दल के ज्यादातर लोग  कैमरे पर बात करने के लिए तैयार नहीं हुए और जो तैयार हुए उन्होंने अपनी पहचान के बारे में गोलमोल जवाब दिए.

पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाले किशोर ने टेलीविजन पर जब अल्पसंख्यक समुदाय के प्रति बढ़ रही हिंसा के समाचार देखे तो पाकिस्तान छोड़ने का फैसला कर लिया. उन्होंने बताया, "हम थोड़ा सामान लेकर आए हैं और हरिद्वार जा रहे हैं. हमने जब टीवी पर खबरें देखीं तो लगा कि ऐसा हमारे साथ भी हो सकता है. हम भारत में रहना चाहते हैं. "

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अल्पसंख्यक पाकिस्तानी नागरिकों के टोले में श्रीराम नाम का एक युवक भी शामिल है जो भले ही पाकिस्तान से आया हो लेकिन भारत को अपना देश मानता है. श्रीराम ने कहा कि, "हम अपने देश आ गए हैं. हम यहां रहना चाहते हैं और वापस नहीं जाना चाहते." इन्हीं लोगों में शामिल भारत सिंह ने भी सीधे-सपाट लहजे में कहा "वह देखना चाहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी उनके लिए क्या करते हैं."

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पाकिस्तानी नागरिकों के इस दल में शामिल कांजी के मुताबिक उन सबको 25 दिनों का वीजा मिला है और सब अपने पूर्वजों के संस्कार करने के लिए हरिद्वार जा रहे हैं. सड़क के रास्ते अटारी बॉर्डर पार करते सोमवार को अमृतसर पहुंचे यह 50 पाकिस्तानी नागरिक अकाली दल नेता मनजिंदर सिंह सिरसा के साथ हरिद्वार चले गए. सिरसा ने भरोसा दिलाया है कि उनकी नागरिकता का मामला गृह मंत्री अमित शाह से उठाएंगे और उनके लिए नागरिकता की मांग करेंगे.

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