
दक्षिण एशिया रणनीति के तहत ठोस कार्रवाई नहीं करने पर अमेरिका ने कोलिजन सपोर्ट फंड के तहत पाकिस्तान को दी जाने वाली 30 करोड़ डॉलर की राशि फिलहाल रोक दी है. वहीं पाकिस्तान का कहना है कि इस राशि को अमेरिकी मदद के तौर पर परिभाषित नहीं किया जा सकता है.
पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने रविवार को कहा कि अमेरिका ने कोलिजन सपोर्ट फंड के तहत 30 करोड़ डॉलर की राशि दी थी. इसे 'आर्थिक मदद' के तौर पर परिभाषित नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा, 'अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो पांच सितंबर को पाकिस्तान आने वाले हैं. हम अमेरिकी राजनयिक के समक्ष अपना पक्ष रखेंगे.'
महमूद कुरैशी ने कहा, 'हम पारस्परिक सम्मान और समझ के सिद्धांतों के अनुसार अपने स्थगित द्विपक्षीय रिश्तों में फिर जान डालने का प्रयास करेंगे.' हालांकि कुरैशी ने कोलिजन सपोर्ट फंड के तहत मिले अमेरिका के 30 करोड़ डॉलर को आर्थिक मदद मानने से इनकार कर दिया. उन्होंने कहा, 'यह पैसा हमारा था जो हमें आतंकवाद के खिलाफ अमेरिकी लड़ाई में शामिल होने की वजह से मिली थी.'
पाकिस्तान की आतंकियों के खिलाफ खराब रिकॉर्ड के बाद डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने यह फैसला लिया है. अमेरिकी सेना की ओर से बताया गया कि पाकिस्तान को दी जाने वाली 30 करोड़ डॉलर यानी तकरीबन 2100 करोड़ रुपये की मदद रद्द कर दी गई है. अमेरिकी सेना के मुताबिक ये फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि पाकिस्तान आतंकी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहा है.
गौरतलब है कि पेंटागन ने अमेरिकी संसद से अनुरोध किया है कि वह कोलिजन सपोर्ट फंड के तहत पाकिस्तान को दी जाने वाली 30 करोड़ डॉलर की राशि पर पुन:विचार करे क्योंकि पाकिस्तान दक्षिण एशिया रणनीति के तहत ठोस कार्रवाई करने में असफल रह रहा है.
पेंटागन के प्रवक्ता कोन फकनर ने बताया कि दक्षिण एशिया रणनीति के तहत पाकिस्तान की ओर से ठोस कार्रवाई नहीं होने के कारण 30 करोड़ डॉलर की राशि पर पुन:विचार किया गया है. रक्षा विभाग ने जून/जुलाई, 2018 में इस पर प्राथमिकता से विचार किया क्योंकि 30 सितंबर, 2018 को इस निधि के प्रयोग की अवधि समाप्त हो जाएगी.
साथ ही रक्षा विभाग अभी तक कोलिजन सपोर्ट फंड के रूप में पाकिस्तान को दी जाने वाली 80 करोड़ डॉलर की राशि पर पुन:विचार कर चुका है. इस निधि पर पुन:विचार इसलिए किया जा रहा है क्योंकि अमेरिका के रक्षा मंत्री जिम मैटिस ने यह प्रमाणपत्र देने से इनकार कर दिया है कि पाकिस्तान ने हक्कानी नेटवर्क और लश्कर-ए-तैयबा के खिलाफ कड़े कदम उठाए हैं. एक सवाल के जवाब में फकनर ने कहा, यह कोई नया फैसला या नई घोषणा नहीं है.
रवैया बदले तो मिल सकती है मदद
रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल कोनी फॉकनर ने कहा है कि अमेरिक रक्षा विभाग अब इस रकम का उपयोग प्राथमिकताओं के आधार पर तय करेगा. अमेरिका का कहना है कि पाकिस्तान उन आतंकी समूहों के लिए सुरक्षित जगह बना हुआ है जो पड़ोसी देश अफगानिस्तान में पिछले कई साल से जंग छेड़े हुए हैं. हालांकि पाकिस्तान इस तरह के आरोप से इनकार करता है. मदद रोकने के फैसले के बाद अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि अगर आतंकी समूहों को लेकर पाकिस्तान अपना रवैया बदलता है तो उसे फिर से मदद मिल सकती है.