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एशियन ह्यूमन राइट्स कमीशन (AHRC) के मुताबिक लोगों को जबरन लापता कर दिए जाने के मामले में पाकिस्तान सबसे कुख्यात है. AHRC ने बीते मंगलवार को 'जबरन गुमशुदगियों के पीड़ितों के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस' मनाया. इस मौके पर पाकिस्तान के लाहौर, कराची और क्वेटा में ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट्स ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन किए.
पाकिस्तान का रिकॉर्ड सबसे खराब
AHRC ने जबरन लापता लोगों के मामले में पाकिस्तान समेत एशिया के देशों का जायजा लिया. इस मामले में पाकिस्तान का रिकॉर्ड सबसे
खराब पाया गया. वहां पावर सेंटर्स से जुड़े अधिकारियों की ओर से राजनीतिक विरोधियों या ह्यूमन राइट्स एक्टिविस्ट्स को काबू में रखने के
लिए उन्हें अगवा कर बेमियादी हिरासत में रखा जाता है. टॉर्चर किया जाता है, हत्याएं कर दी जाती है. ऐसा सब करते हुए किसी सबूत की भी
जरूरत नहीं समझी जाती.
2001 के बाद पाकिस्तान में हालात बिगड़े
AHRC के सीनियर रिसर्चर बशीर नावीद के मुताबिक पाकिस्तान में 2001 के बाद हालात खराब हुए. इससे पहले वहां लोगों को जबरन लापता
किए जाने की इक्का दुकका ही घटनाएं होती थीं. 2001 में आतंकवाद के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अभियान शुरू हुआ. इस मौके को
पाकिस्तान के तत्कालीन फौजी हुक्मरान परवेज मुशर्रफ ने अपने राजनीतिक विरोधियों को ठिकाने लगाने के लिए किया.
एक अनुमान के मुताबिक 2001 के बाद से पाकिस्तान में 20,000 लोग जबरन लापता किए गए. बलूचिस्तान से ही 14,000 लोग लापता है. हालात इतने खराब हैं कि उच्च अदालतें भी 2001 के बाद लापता लोगों का पता लगाने में खास कुछ नहीं कर पा रहीं. ऐसे मामलों में पाकिस्तानी सेना समेत पावर सेंटर्स अदालतों के आदेशों पर भी कोई कान नहीं धरते.
'खुलेआम घूमते हैं आतंकवादी'
बशीर नावीद का कहना है कि कई इलाकों में हर तरफ पाकिस्तानी सैनिकों की मौजूदगी के बावजूद आतंकी खुलेआम घूमते हैं और राजनीतिक
कार्यकर्ता, राष्ट्रवादी एक्टिविस्ट्स गायब हो जाते हैं. पाकिस्तान में लापता लोगों में से कुछ के गोलियों से छलनी शव सड़कों के किनारे मिले हैं.
बलूचिस्तान में ऐसी जगह भी मिली जहां 100 से ज्यादा लोगों के शवों को दफनाया हुआ पाया गया. ऐसे मामलों पर लीपापोती के लिए जांच के
आदेश दिए गए. लेकिन जांच रिपोर्ट को कभी सार्वजनिक नहीं किया गया.
लाहौर, कराची, क्वेटा में विरोध प्रदर्शन
लापता लोगों के मुद्दे को लेकर 30 अगस्त को लाहौर में मानवाधिकार कार्यकर्ताओ ने विरोध रैली निकाली. वहीं सिंध ह्यूमन राइट्स
ऑर्गनाइजेशन ने कराची में बड़ा प्रदर्शन किया. क्वेटा में विरोध प्रदर्शन के दौरान लापता लोगों के रिश्तेदार भी शामिल हुए. क्वेटा में हर साल ईद
पर भी इसी मुद्दे पर प्रदर्शन किया जाता है. बीते 6 साल से इस तरह के प्रदर्शन में बड़ी संख्या में बलोच नागरिक हिस्सा लेते रहे हैं.
पाकिस्तान के असार बर्नी ट्रस्ट इंटरनेशनल का कहना है कि लापता लोगों के रिश्तेदारों को जानने का पूरा हक है कि आखिर उनके अजीज कहां हैं, किस हाल में हैं. जिंदा हैं भी या नहीं. इसके अलावा यूएन ह्यूमन राइट्स के एक्सपर्ट ग्रुप, इंटरनेशनल कमिशन ऑफ ज्यूरिस्ट्स भी इस मुद्दे को हाईलाइट कर चुके हैं.
जीनत शाहजादी के हक में उठी आवाज
पाकिस्तान के ह्यूमन राइट्स कमिशन ने महिला पत्रकार जीनत शाहजादी के अगवा करने का मामला भी उठाया है. 24 वर्षीय जीनत 19 अगस्त
2015 को लाहौर में ऑटो से जा रही थीं. तभी कुछ सशस्त्र लोगों ने उन्हें अगवा कर लिया. तब से उनका कुछ पता नहीं है. ह्यूमन राइट्स
कमिशन का आरोप है कि जीनत को सुरक्षाकर्मियों ने अगवा किया. एमनेस्टी इंटरनेशनल की साउथ एशिया डायरेक्टर चंपा पटेल का कहना है कि
जीनत पाकिस्तान की पहली महिला पत्रकार हैं जो इस तरह लापता हुईं.
आपको बता दें कि जीनत शहजादी वही महिला पत्रकार है जो मुंबई के हामिद अंसारी केस की स्टोरी कवर कर रही थी और कहा जाता है कि इस केस में उसके पास अहम सबूत थे. हामिद फेसबुक के द्वारा एक पाकिस्तानी लड़की से प्यार के बाद पाकिस्तान आर्मी के द्वारा पकड़े जाने के बाद 2012 से पेशावर में बंद है.
और तो और पाकिस्तान सरकार के समर्थित कमिशन ऑफ एन्फोर्स्ड डिसएपीएरेंसेस ने भी माना है कि लोगों के लापता होने के 3000 मामलों में से 1417 अब भी अनसुलझे हैं. इनमें जीनत शाहजादी से जुड़ा केस भी शामिल है.