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पाकिस्तान में एक सिख लड़की ने कथित तौर पर अपने परिवार के खिलाफ जाकर एक मुस्लिम लड़के से शादी कर ली. इस मामले में एक पाकिस्तानी अदालत ने फैसला सुनाते हुए सिख लड़की को मुस्लिम लड़के के साथ जाने या अपनी पंसद से कहीं भी जाने की इजाजत दी है. जिसके बाद दोनों समुदायों के बीच तनाव देखा जा रहा है.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक पाकिस्तान की एक अदालत ने फैसला सुनाया है कि सिख लड़की, जिसने कथित तौर पर अपने परिवार की इच्छा के खिलाफ एक मुस्लिम व्यक्ति से शादी की थी, वह नाबालिग नहीं थी और वह अपने पति के साथ या अपनी पसंद के किसी भी स्थान पर जा सकती है. हालांकि इस फैसले के बाद दोनों समुदायों के बीच तनाव पैदा हो गया है.
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लाहौर हाईकोर्ट ने ननकाना साहिब की जगित कौर को अनुमति दी है. कौर ने अपने परिवार की इच्छा के खिलाफ पिछले साल सितंबर में मोहम्मद हसन से शादी की थी. सितंबर 2019 से कौर दारुल अमान (आश्रय गृह) में रह रही है क्योंकि उसके परिवार ने आरोप लगाया था कि हसन के जरिए उसका अपहरण कर लिया गया, जिसने उससे जबरन शादी की.
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वहीं इस मामले में भारत ने अपहरण और सिख लड़की से जबरन शादी करने पर पाकिस्तान से अपनी चिंता व्यक्त की थी. भारत ने पाकिस्तान सरकार से तत्काल उपचारात्मक कार्रवाई की मांग की थी. वहीं न्यायमूर्ति चौधरी शेहराम सरवर ने हसन की याचिका पर फैसला दिया कि वह अपनी पत्नी कौर की कस्टडी लेगा, जिसने उसे मुस्लिम नाम आयशा दिया था.
सुनवाई के दौरान कड़ी सुरक्षा के बीच पुलिस सिख लड़की को कोर्ट में लाई. इस दौरान उनके भाई और परिवार के अन्य सदस्य भी अदालत में उपस्थित थे, जिन्होंने फैसले पर अपनी नाराजगी जताई. कोर्ट में न्यायाधीश ने याचिका को खारिज कर दिया और फैसला सुनाया कि लड़की आश्रय घर छोड़ने के लिए स्वतंत्र है और अपने पति के साथ रह सकती है या अपनी पसंद के किसी भी स्थान पर जा सकती थी. न्यायाधीश ने पुलिस को कौर को सुरक्षा प्रदान करने का भी आदेश दिया है.
'इच्छा से की शादी'
वहीं पिछली सुनवाई में कौर ने अदालत को बताया कि उसने याचिकाकर्ता से अपनी इच्छा से शादी की है. इस्लाम धर्म में परिवर्तित होने के बाद अब अपने परिवार में वापस नहीं जाना चाहती. वहीं स्थानीय सिख समुदाय ने अपने परिवार की इच्छा के खिलाफ मुस्लिम व्यक्ति से शादी करने के बाद विरोध प्रदर्शन किया.