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पाकिस्तानी मीडिया ने भारत पर फोड़ा NSA बातचीत रद्द होने का ठीकरा

भारत और पाकिस्तान के बीच एनएसए मीटिंग रद्द होने की खबरों से पाकिस्तानी अखबार पटे पड़े हैं. पाकिस्तानी मीडिया ने बैठक रद्द होने का ठीकरा भारत पर फोड़ा है. पाकिस्तानी मीडिया ने भारत को 'अड़ियल' और भारत की शर्तों को 'हास्यास्पद' बताया है.

Sartaj Aziz Sartaj Aziz
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 24 अगस्त 2015,
  • अपडेटेड 8:28 PM IST

भारत और पाकिस्तान के बीच एनएसए मीटिंग रद्द होने की खबरों से पाकिस्तानी अखबार पटे पड़े हैं. पाकिस्तानी मीडिया ने बैठक रद्द होने का ठीकरा भारत पर फोड़ा है. पाकिस्तानी मीडिया ने भारत को 'अड़ियल' और भारत की शर्तों को 'हास्यास्पद' बताया है.

पाकिस्तानी मीडिया ने लिखा है कि भारत ने सरताज अजीज और अजीत डोवाल के बीच होने वाली बैठक से पहले कुछ शर्तें रखीं, जो इस बैठक के रद्द होने का कारण बनीं. मशहूर पाकिस्तानी अखबार 'डॉन' के फ्रंट पेज की हेडलाइन थी, 'NSA की बातचीत भारत की शर्तों की वजह से रद्द.'

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भारत की शर्तों पर मढ़ा दोष
डॉन ने लिखा, 'तीखी कहासुनी के बीच, नई दिल्ली की ओर से विस्तृत एजेंडे और कश्मीरी नेताओं से मुलाकात की इजाजत न मिलने का जिक्र करते हुए, (पाकिस्तानी) सरकार ने भारत के साथ होने वाली एनएसए स्तर की बातचीत रद्द कर दी.'

'द न्यूज इंटरनेशनल' ने शीर्षक दिया है, 'पाकिस्तान ने भारत से कहा- पूर्व शर्तों के साथ नहीं होगी बातचीत.' अखबार ने लिखा है, 'पाकिस्तान ने भारत के 'हास्यास्पद' निर्देशों पर यह कहते हुए जवाब दिया कि वह किसी पूर्व शर्तों की स्थिति में एनएसए की बैठक में हिस्सा नहीं लेगा.' अखबार ने आगे लिखा, 'शुक्र है कि जुबानी लड़ाई शनिवार रात खत्म हो गई. इसमें शांति और बेहतर द्विपक्षीय संबंधों का विचार 'लूजर' बनकर सामने आया.'

चैनलों और उर्दू अखबारों ने की तीखी आलोचना
'द एक्सप्रेस ट्रिब्यून' ने बातचीत के रद्द होने को भारत-पाक संबंधों के सामान्यीकरण के प्रयास के लिए झटका बताया. उसने लिखा, 'सरताज अजीज और उनके भारतीय समकक्ष अजीत डोवाल के बीच बातचीत रद्द होने के पीछे भारत की जिद को दोष दिया जाना चाहिए.'

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'द नेशन' की हेडलाइन थी, 'अड़ियल भारत ने किया शांति की उम्मीदों का कत्ल.' अखबार ने लिखा है कि प्रस्तावित बातचीत रद्द होने की प्रमुख वजह भारत का अड़ियल रवैया रहा. उसने लिखा, 'ढीठ भारत ने पाकिस्तान से होने वाली बातचीत के लिए 'अस्वीकार्य' शर्तें रखकर क्षेत्र में शांति की उम्मीदों को नष्ट कर दिया. हालांकि दोनों पक्षों ने आधिकारिक तौर पर 'संवाद खत्म करने' का ऐलान नहीं किया.'

उर्दू और टीवी चैनलों तो भारत को दोष देने में और भी आगे रहे. पाकिस्तानी मीडिया ने यह दर्शाने की कोशिश की कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की पाकिस्तान से बात करने में दिलचस्पी ही नहीं है.

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