
पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा ने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में दोराहे पर खड़ा है. उसे फैसला करना होगा कि क्या युवा आबादी के फायदों को उठाना चाहता है. या फिर आतंकवाद की मार झेलना चाहता है.
चरमपंथ को नकारने में युवाओं की भूमिका पर विषय पर व्याख्यान में जनरल बाजवा ने कहा कि सेना आतंकवादियों को पराजित कर देगी लेकिन समाज से चरमपंथ का सफाया करने में उसे देश के सहयोग की जरूरत है.
उन्होंने कहा, कि सेना आतंकवादियों से लड़ती है. चरमपंथ एवं आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई कानून प्रवर्तन एजेंसियों व समाज के द्वारा लड़ी जाती है. बाजवा ने कहा कि पाकिस्तान एक युवा देश है जहां 50 फीसदी से अधिक आबादी 25 साल से कम उम्र की है.
चरमपंथ के खात्में के खिलाफ चलाया गया था अभायान
इससे पहले पाकिस्तानी सेना ने देश से चरमपंथ के ख़ात्मे के लिए नया अभियान रद्द-उल-फ़साद शुरू किया था. रद्द-उल-फ़साद नाम से ही पाक सेना के अभियान का मक़सद नज़र आ जाता है. रद्द यानी हटाना, औऱ फ़साद यानी झगड़ा या हिंसा. मतलब हिंसा को खत्म करना. चरमपंथ के खिलाफ ये पहला अभियान था. देश के अलग-अलग हिस्सों से चरमपंथियों का ख़ात्मा करने की योजना बनाई गई.
ये अभियान पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा की निगरानी चलाया गया था. बता दे कि जिस दिन इस अभियान की घोषणा की गई थी उसके अगले ही दिन पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की राजधानी लाहौर में बम धमाका हुआ था. जिसमें छह लोगों की मौत हो गई थी और 30 लोग घायल हुए थे.