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कभी लय में दिखी ही नहीं PAK टीम, शुरू से अंत तक मैदान पर फ्लॉप

अगर बर्मिंघम मैच में पाकिस्तानी टीम के प्रदर्शन पर गौर किया जाए तो कभी उस टीम में वो जज्बा और जुनून नहीं दिखा, जिसके लिए टीम जानी जाती थी.

फोटो क्रेडिट- ICC ट्विटर अकाउंट फोटो क्रेडिट- ICC ट्विटर अकाउंट
अमित कुमार दुबे
  • नई दिल्ली,
  • 05 जून 2017,
  • अपडेटेड 1:41 AM IST

बर्मिंघम के एजबेस्टन मैदान पर भारत और पाकिस्तान के बीच मुकाबले से पहले तमाम तरह के दावे किए जा रहे थे. वैसे बड़े मुकाबले में हमेशा से टीम इंडिया ने पाकिस्तान को शिकस्त दी है. लेकिन चैंपियंस ट्रॉफी के इस मुकाबले को लेकर पाकिस्तानी टीम के साथ-साथ क्रिकेट के जानकार कड़ी टक्कर की बात कर रहे थे. वैसे भी भारत-पाकिस्तान के बीच क्रिकेट का मुकाबला दोनों देशों के लोगों के लिए नाक का सवाल बन जाता है.

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लेकिन अगर बर्मिंघम मैच में पाकिस्तानी टीम के प्रदर्शन पर गौर किया जाए तो कभी उस टीम में वो जज्बा और जुनून नहीं दिखा, जिसके लिए टीम जानी जाती थी. इससे पहले भले ही भारत ने मैचों में पाकिस्तान को शिकस्त दी हो, लेकिन पाक की टीम आखिरी गेंद तक जीत के लिए मैदान में संघर्ष करती दिखती थी. जो एजबेस्टन मैदान में नजर नहीं आया. पाकिस्तानी खिलाड़ियों को देखकर ऐसा लगा जैसा उनके कानों में किसी ने कह दिया हो कि जीत भारत की ही होगी और फिर उन्होंने हथियार डाल दिए.

पाकिस्तान ने टॉस जीतकर पहले गेंदबाजी चुनी. धारदार गेंदबाजी के लिए मशहूर पाकिस्तान की टीम जब मैदान पर उतरी तो लगा कि 28 महीने बाद दोनों टीमें आमने-सामने हैं तो मैच रोमांच से भरा होगा. लेकिन शुरुआत से ही कभी भी पाकिस्तानी खिलाड़ियों में वो दम नहीं दिखा, जो भारत के खिलाफ खेल के मैदान पर देखने को मिलता था. एजबेस्टन का मैदान बल्लेबाजों के लिए माकूल था. लेकिन फिर भी जिस तरह से भारतीय बल्लेबाज रन बटोर रहे थे, और पाकिस्तानी गेंदबाज मैदान पर त्रस्त नजर आ रहे थे. उसी से साफ हो गया कि इस मैच में पाकिस्तानी खिलाड़ियों ने घुटने टेक दिए हैं.

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अगर भारतीय बल्लेबाजों के विकेट गिरे भी तो उसे पाकिस्तानी गेंदबाजी की कामयाबी से जोड़कर नहीं देखा जा सकता, क्योंकि बल्लेबाजों ने अपनी गलती से विकेट गंवाए. चाहे वो शिखर धवन का विकेट हो या फिर कोहली, युवराज का आउट होना. कभी भी पाकिस्तानी गेंदबाजी में धार नहीं दिखी, और ना ही फील्डिंग करते खिलाड़ियों में वो जज्बा. एक दौर था जब पाकिस्तानी प्लेयर हर गेंद पर जोरदार अपील करते थे, मैच का रोमांच अपने चरम पर होता था. और आखिरी गेंद तक जीत के लिए लड़ाई जारी रहती थी.

केवल गेंदबाजी नहीं, जिस तरह से पाकिस्तानी खिलाड़ियों ने आसान कैच छोड़े और फिर कई बार ऐसे रन भारतीय बल्लेबाजों को मिले जो पाकिस्तान खिलाड़ियों के मनोबल पर सवाल खड़े करते हैं. उसके बाद जब बल्लेबाजी की बारी आई तो लगा कि लक्ष्य का पीछा करने के लिए पाकिस्तानी खिलाड़ी जी-जान लगा देंगे. लेकिन अजहर अली को छोड़कर कोई बल्लेबाज क्रीज पर टिक नहीं पाया. लगा ही नहीं वो भारत के खिलाफ जीतने के लिए बल्लेबाजी कर रहे हैं. एक-के-बाद एक विकेट गिरते चले गए और चैंपियंस ट्रॉफी के इतिहास में पाकिस्तान को भारत के हाथों 124 रनों की शिकस्त खानी पड़ी.

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