
पाकिस्तान तहरीक-ए इंसाफ के चीफ इमरान खान ने शनिवार को 22वें प्रधानमंत्री के तौर पर शपथ ले ली है. इमरान की सरकार शांति, विकास और पड़ोसियों के साथ अच्छे रिश्तों जैसे मामलों पर बातचीत करेगी. इमरान खान ने कहा भी था कि उनकी सरकार कश्मीर जैसे महत्त्वपूर्ण मसले का हल भी निकालेगी.
पाकिस्तान की सूत्रों ने उम्मीद जताई है कि तजाकिस्तान की राजधानी दुशांबे में सितंबर माह के आखिर में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन शिखर सम्मेलन (SCO) में पीएम मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की पहली मुलाकात होने की उम्मीद है.
पाकिस्तान के राजनयिक सूत्रों के मुताबिक रिश्तों में सुधार के लिए भारत और पाक दोनों देशों को साथ बैठकर बात करनी होगी. आपस में बातचीत से पहले कोई शर्त नहीं होगी. पाकिस्तान में नई सरकार के साथ सार्क शिखर सम्मेलन आयोजित करने के लिए इस्लामाबाद दुनिया का नया मंच है.
पाकिस्तान के राजनयिक सूत्रों के मुताबिक सियाचिन और सरक्रीक जैसे मुद्दों को जल्द हल किया जा सकता है. जबकि कश्मीर के मुद्दे का समाधान निकालने में समय लगेगा. पाकिस्तान कश्मीर के अलावा अन्य मामलों में फैसला करने के लिए तैयार है. पाकिस्तान ने कहा कि बातचीत की शुरुआत किए बिना कोई उम्मीद संभव नहीं है, दोनों ही देशों को राजनीतिक तौर पर आगे बढ़ने की जरूरत है.
भारत और पाकिस्तान को उन मामलों का समाधान निकालना चाहिए, जिन्हें दोनों देश मिलकर हल कर सकते हैं. हालांकि लंबे समय से चला आ रहा कश्मीर मुद्दा तो इतनी जल्दी हल नहीं होगा लेकिन भारत-पाक को रिश्तों को सुधारने का ये मौका मिलेगा कि दोनों देश एक-दूसरे के दुश्मन नहीं हैं.
गौरतलब है कि पाकिस्तान ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा इमरान खान को फोन करके बधाई देने का स्वागत किया था. पाकिस्तान ने कहा था कि इससे द्विपक्षीय वार्ता की राह बनने की उम्मीद जगेगी.
पाकिस्तान के विदेश विभाग के प्रवक्ता मुहम्मद फैजल ने कहा था कि उन्हें उम्मीद है कि फोन पर बातचीत से दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) के सदस्य देशों के बीच संबंध सुधारने में मदद मिलेगी.
बता दें कि इस्लामाबाद के साथ सार्क सदस्य देशों के संबंधों में 2016 में पाकिस्तान में होने वाले 19वें शिखर सम्मेलन के समय से ही कमजोरी आई है.. भारत द्वारा बहिष्कार करने के बाद वह सम्मेलन रद्द हो गया था क्योंकि अफगानिस्तान, बांग्लादेश और भूटान ने भी सम्मेलन में शामिल होने मना कर दिया था.