
पाकिस्तान ने मुंबई हमला मामले में अभियोजन प्रमुख की सुरक्षा वापस ले ली है, जिसके बाद उसने भावी सुनवाइयों के लिए पेश होने से इनकार कर दिया है. इस हाईप्रोफाइल मामले के रास्ते में यह कई बाधाओं में एक नई बाधा है, जबकि पाकिस्तान सरकार पर पहले से ही इस मामले में अड़ंगा लगाने के आरोप झेल रही है.
दिलचस्प बात यह भी है कि पाकस्तानी सरकार की ओर से मुख्य अभियोजक चौधरी अजहर की सुरक्षा वापस लेने के संबंध में कोई कारण नहीं बताया गया है. चौधरी अजहर संघीय जांच एजेंसी के भी विशेष अभियोजक हैं. उन्होंने कहा कि वह धमकियों का सामना कर रहे हैं और बिना सुरक्षा के इस हाईप्रोफाइल मामले की अदालती कार्यवाही में शामिल नहीं हो सकते.
अजहर ने मई 2013 में मुंबई हमले में मुख्य अभियोजक का कार्यभार संभाला था. उससे पहले उनके पूर्ववर्ती चौधरी जुल्फीकार की प्रतिबंधित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान के दो सदस्यों ने कथित रूप से गोली मारकर हत्या कर दी थी.
'सुरक्षा नहीं मिली तो नहीं जाऊंगा'
अजहर ने कहा, 'मैंने यह मामला निचली अदालत के संज्ञान में लाया, जिसने इस्लामाबाद के पुलिस महानिरीक्षक को मुझे जरूरी सुरक्षा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया.' जब अजहर से पूछा गया कि क्यों संघीय सरकार ने उनकी सुरक्षा वापस ले ली, तो उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है. उन्होंने कहा, 'मैं इसकी वजह से पिछली सुनवाई में नहीं गया और जब तक मेरी सुरक्षा बहाल नहीं की जाती, मैं भावी सुनवाइयों में नहीं जाऊंगा.’
भारतीय गवाहों को पेश करने के आदेश
कुछ साल पहले भी अभियोजन के वकीलों ने जमात-उद-दवा के कार्यकर्ताओं से कथित धमकियां मिलने के आलोक में निचली अदालत से उनकी और गवाहों की सुरक्षा सुनिश्चित कराने का अनुरोध किया था. 17 फरवरी को पिछली सुनवाई के दौरान इस्लामाबाद की आतंकवाद निरोधक अदालत ने संघीय जांच एजेंसी को सभी 24 भारतीय गवाहों को अपना बयान दर्ज कराने के लिए पेश करने, अजमल कसाब द्वारा प्रयुक्त एवं भारत द्वारा नौकाओं को वापस लाने का आदेश दिया था, क्योंकि नौका इस मामले से जुड़ी संपत्ति है और उसका पूर्ण परीक्षण किया जाना चाहिए.
166 लोग मारे गए थे
अदालत द्वारा भारतीय गवाहों को बुलाए जाने को कानून के विशेषज्ञ पहले से देर की शिकार सुनवाई में और देरी करने की तरकीब के रूप में देख रहे हैं. यह मामला छह साल से लंबित है. लश्कर-ए-तैयबा के कमांडर जकीउर रहमान लखवी, अब्दुल वाजिद, मजहर इकबाल, हमद अमीन सादिक, शाहिद जमील रियाज, जमिल अहमद और अंजुम पर नवंबर 2008 के मुंबई हमले की साजिश रचने, उसके लिए धन जुटाने और साजिश को मूर्तरूप देने का आरोप है. इस हमले में 166 लोग मारे गए थे. मामले में 56 साल का लखवी पिछले अप्रैल से जमानत पर है. वह देश में अज्ञात स्थान पर सभी आजादी का उपभोग कर रहा है.