
वो खूंखार आतंकवादी संमगठन लश्कर-ए-तैयबा का सरदार है. वो मुंबई हमले का सबसे बड़ा गुनहगार है और वो संसद पर हुए हमले में जैश-ए-मोहम्मद का जोड़ीदार भी है. सैकड़ों लोगों को मौत के घाट उतारने वाला हाफिज सईद कह रहा है कि उसे आतंकवादी ना कहा जाए. क्या आप यकीन करेंगे कि हाफिज सईद ने संयुक्त राष्ट्र में एक याचिका दायर कर कहा है कि उसका नाम आतंकवादियों की लिस्ट से हटा दिया जाए.
हाफिज सईद का झूठ- वो आतंकी नहीं
बताइये, ऐसा भी कहीं होता है कि क्या, जिसने आतंक की पाठशाला शुरू की हो. जिसने शहर-शहर लोगों को खून के आंसू रुलाया हो. जिसने सैकड़ों लोगों को मौत के घाट उतार दिया हो. जिसने लश्कर-ए-तय्यबा जैसे संगठन को पैदा किया हो. वही कहे कि मेरा नाम आतंकियों की लिस्ट से बाहर निकाल दो. क्योंकि मैं आतंकवादी नहीं हूं. अब आतंकी हाफिज सईद का इससे बड़ा झूठ और क्या होगा.
इंटरनेशनली डेज़िग्नेटेड टेररिस्ट है हाफिज
जी हां. ये अर्जी उसी हाफिज़ सईद की तरफ से है, जो 'इंटरनेशनली डेज़िग्नेटेड टेररिस्ट' है. जिसके सिर पर 10 मिलियन डॉलर का इनाम है. जो लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठन का संस्थापक है. जो हाफिज सईद मुंबई हमले का मास्टरमाइंड है. जिसके हाथ सैकड़ों बेगुनाहों के ख़ून से रंगे हैं. जो कश्मीर में 'टेरर' सप्लाई करने वाला सबसे बड़ा सप्लायर है. जो खुद अपने ही देश में नज़रबंद रहा है.
आतंकी लिस्ट से नाम हटाने की अर्जी
वो खुद को शरीफ बताने की जुगत में लगा है. भारत में जमात-उद-दावा के इस मोस्ट वॉन्टेड आतंकी हाफिज ने संयुक्त राष्ट्र में अर्जी लगाई है कि उसे आतंकवादी न कहा जाए और उसका नाम आतंकियों की लिस्ट से हटा दिया जाए. इसके लिए उसने यूनाइटेड नेशन्स में बाकायदा अर्जी दायर की है. रिपोर्ट्स के मुताबिक हाफिज़ की तरफ से ये अर्जी लाहौर की एक लॉ फर्म मिर्जा एंड मिर्जा ने यूएन में दायर की है. ये अर्जी तभी दायर कर दी गई थी, जब हाफिज सईद लाहौर में मौजूद अपने ही घर में नजरबंद था.
लाहौर की लॉ फर्म ने लगाई याचिका
पाकिस्तान के नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो में पूर्व प्रॉसिक्यूटर जनरल नवीद रसूल मिर्जा ने हाफिज सईद के यूएन में याचिका लगाने की बात की पुष्टि की है. नवीद का बेटा हैदर रसूल मिर्जा ही यूएन में हाफिज का वकील है. वहां दायर य़ाचिका में लाहौर की मिर्जा एंड मिर्जा लॉ फर्म ने कहा "हम हाफिज मोहम्मद सईद की तरफ से पिटीशन दायर कर रहे हैं. हम चाहते हैं कि हाफिज का नाम आईएसआईएस और अल कायदा से जुड़े धड़ों की लिस्ट से हटा दिया जाए. ये लिस्ट यूएन सिक्युरिटी काउंसिल और अल कायदा सैंक्शन्स कमेटी ने तैयार की है."
संयुक्त राष्ट्र ने ही घोषित किया था आतंकी
आपको बता दें कि जिस संयुक्त राष्ट्र के सामने हाफिज़ सईद ने खुद को आतंकी कहे जाने पर ऐतराज़ जताया है. उसे खुद उसी संगठन ने 9 साल पहले दिसंबर 2008 में आतंकी घोषित किया था. जबकि अमेरिका ने तो मुंबई हमलों से पहले ही उसे ग्लोबल टेरेरिस्ट बता दिया था और उसके सिर पर 10 मिलियन डॉलर का इनाम रख दिया था. यहां तक की उसे उसके ही देश में एंटी टेरररिज़्म एक्ट के तहत 11 महीने तक नज़रबंद रखा गया. हां, ये बात अलग है कि सरकार की लापरवाही की वजह से कोर्ट ने उसे पिछले हफ्ते ही रिहा कर दिया.
बेमतलब है हाफिज की अर्जी
अब सवाल ये है कि हाफिज़ सईद ने जो याचिका यूएन में दी है उसका मतलब क्य़ा है? 2008 में जब सुरक्षा परिषद की प्रस्ताव संख्या 1267 के तहत हाफिज़ को आतंकी घोषित किया गया था, तो उस वक्त चीन ने सहमति दी थी. ऐसे में चीन, पाकिस्तान की या हाफिज सईद की मदद कर सकेगा ऐसा मुमकिन नहीं है. इसके अलावा हाफिज ने व्यक्तिगत तौर पर ये अर्जी दायर की है. पाकिस्तान सरकार की तरफ से फिलहाल ऐसी कोई अर्जी दायर नहीं की गई है. लिहाजा हाफिज की कोशिश के कोई मायने नहीं हैं.
अमेरिका ने जताई नाराजगी
अंतरराष्ट्रीय मंच पर आतंकवाद के खिलाफ भारत मजबूती के साथ अपनी बात रख रहा है. इसका असर ये है कि दुनिया के वो देश जो आतंकवाद की समस्या को भारत और पाकिस्तान के बीच का आपसी मामला मानते थे, वो भी अब ये मान रहे हैं कि आतंकियों के कई चेहरे हैं, जो दुनिया को अस्थिर कर रहे हैं. अमेरिका पहले ही हाफिज़ की रिहाई पर पाकिस्तानी सरकार से एतराज़ जता चुका है. ऐसे में लगता नहीं है कि जो ख्याली पुलाव मियां हाफिज़ सईद पाकिस्तान में बैठे-बैठे पकाने की कोशिश में लगा है, वो कभी पकेगी.