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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर से पाकिस्तान को दिए जाने वाले आर्थिक मदद रोके जाने के बावजूद भारत के इस पड़ोसी मुल्क को कोई खास दिक्कत नहीं होने वाली.
ट्रंप के इस कड़े फैसले से इस्लामाबाद को कोई फर्क नहीं पड़ने जा रहा क्योंकि 2010 के बाद से ही अमेरिका ने पाकिस्तान को सैन्य मदद में काफी कमी ला दी थी.
अमेरिका ने 9/11 हमले के बाद से पाकिस्तान को दिए जाने वाले आर्थिक मदद में कटौती करनी शुरू कर दी थी. 2010 तक पाकिस्तान को 4.5 अरब डॉलर की मदद दी गई थी, लेकिन 2016 तक यह मदद घटकर 794 मिलियन डॉलर (79 करोड़ 40 लाख डॉलर) हो गई.
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आंकड़े बताते हैं कि बराक ओबामा के शासनकाल के दौरान ही पाकिस्तान को दिए जा रहे आर्थिक मदद में कमी आने लगी थी. देखा जाए तो 2002 से 2009 के बीच अमेरिका ने पाकिस्तान को औसतन हर साल 2.2 अरब डॉलर की मदद दी. 2010 के वित्तीय साल में 4.5 अरब डॉलर की मदद मिली, जबकि 2016 में यह मदद घटकर 794 मिलियन डॉलर (79 करोड़ 40 लाख डॉलर) हो गई थी.
लगातार घटती रही अमेरिकी मदद
कुल मदद के आधार पर देखा जाए तो अमेरिका ने सुरक्षा के लिए 2010 में पाकिस्तान को 1.24 अरब डॉलर की मदद दी, जो 2016 तक आते-आते यह मदद घटकर 316 मिलियन डॉलर (31 करोड़ 60 लाख डॉलर) हो गई थी.
ऐसे में ट्रंप के पाक को 225 मिलियन डॉलर (25 करोड़ 50 लाख डॉलर) की आर्थिक मदद बंद किए जाने के ऐलान से इस्लामाबाद को कोई फर्क नहीं पड़ने वाला.
कांग्रेसनल रिसर्च सर्विस रिपोर्ट 2013 के अनुसार, ऐतिहासिक आधार पर देखा जाए तो पाकिस्तान उन देशों में शुमार है जो अमेरिका से बड़ी मात्रा में आर्थिक मदद लेता है. अमेरिका की ओर से 1948 से 30 अरब डॉलर से ज्यादा की राशि मदद के रूप में दी गई है, जिसमें आधी तो सैन्य मदद के रूप में है. 2001 के बाद मदद का आंकड़ा दो-तिहाई तक बढ़ गया.
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अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने साल 2018 में अपने शुरुआती ट्वीट के जरिए कहा कि आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के नाम पर पाकिस्तान ने सिर्फ अमेरिका को अब तक मूर्ख बनाया है. उन्होंने कहा कि अमेरिका पिछले 15 सालों में पाकिस्तान को 33 अरब डॉलर से ज्यादा की सहायता दे चुका है, लेकिन उसने हमें झूठ और छल-कपट के अलावा कुछ नहीं दिया. पाकिस्तान हमारे नेताओं को मूर्ख समझता है.
चीन और सऊदी अरब से मिलेगी मदद
दूसरी ओर, अमेरिका से मिलने वाले आर्थिक मदद में कटौती के इतर पाकिस्तान ने अपने नए मददगार तलाश लिए हैं. पाकिस्तान के लिए इन दिनों चीन बड़ा मददगार बना हुआ है. चीन पाक में लगातार निवेश कर रहा है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर धाक जमाने के लिए उसकी हर संभव मदद कर रहा है.
चीन की ख्वाहिश खुद को दुनिया का सिरमौर कहलवाने की है. ऐसे में अमेरिका पाक से हाथ खींचता है तो चीन उसके लिए साथ खड़ा नजर आएगा. चीन के अलावा सऊदी अरब पाक के लिए दूसरा सबसे बड़ा मददगार है जो उसे कई मामलों में मदद देता रहा है.