
जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में बुधवार को एक बार फिर अलगावादियों ने पाकिस्तान का झंडा लहरा दिया. करीब एक महीने पहले पिछली दफा ऐसा ही कुछ सैयद अली शाह गिलानी की रैली में हुआ था, लेकिन इस यह सब मीरवाइज उमर फारूख की रैली में हुआ. यानी रैली में सिर्फ नेता का नाम बदला, लेकिन देश के खिलाफ आवाज तब भी उठे थे और देशद्रोह इस बार भी हुआ.
रैली का आयोजन मीरवाइज मौलवी फारूख की बरसी के लिए किया गया था. इस दौरान अलगावादी नेता के समर्थकों ने हुर्रियत और पाकिस्तान के झंडे को जमकर लहराया और पड़ोसी मुल्क के समर्थन में नारेबाजी भी की. रैली के नाम पर श्रीनगर की सड़कों पर दिन में जो कुछ हुआ, शाम ढलते-ढलते चारों ओर उसका विरोध भी शुरू हो गया और सभी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा.
करीब महीने भर पहले ही सैयद अली शाह गिलानी की रैली में भी पाकिस्तान के समर्थन में नारेबाजी हुई थी और पड़ोसी देश के झंडे भी लहराए गए थे. गिलानी की उस रैली में मसरत आलम भी मौजूद था. तब मामला विधानसभा से लोकसभा तक उछला था. तब मसरत को गिरफ्तार कर लिया गया था और गिलानी को पासपोर्ट नहीं जारी करने का मामला उसी रैली का विस्तार है.
'क्या पाकिस्तान को कश्मीर सौंपना चाहती है सरकार'
पाकिस्तानी झंडा लहराने की इस ताजा घटना के बाद कांग्रेस ने प्रधानमंत्री और बीजेपी पर हमला बोला है. पार्टी नेता मनीष तिवारी ने कहा, 'यह आधारभूत सवाल है कि क्या बीजेपी सरकार कश्मीर को पाकिस्तान के हाथों सौंपना चाहती है? इस तरह झंडा लहराना सीधे तौर पर देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता पर हमला है.'
आम आदमी पार्टी ने भी केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया है. दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने ट्विटर पर लिखा, 'कश्मीर में पाक अपना झंडा लहरा रहा है और केंद्र सरकार LG के जरिए दिल्ली में बाबुओं की ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार हड़पने में व्यस्त है.'
मीरवाइज को किया गया नजरबंद
रैली के ठीक बाद अधिकारियों ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के उदारपंथी धड़े के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक को नजरबंद कर दिया है. ऐसा उन्हें पिता की बरसी के अवसर पर गुरुवार को प्रस्तावित रैली में हिस्सा लेने से रोकने के लिए किया गया है. मीरवाइज के पिता 1990 में हत्या कर दी गई थी.
हुर्रियत के एक प्रवक्ता ने कहा, 'मीरवाइज को आज सुबह नजरबंद कर दिया गया और इस तरह उन्हें हफ्ता शहादत कार्यक्रम में भाग लेने से रोक दिया गया. यह राज्य प्रायोजित आतंकवाद है और आक्रामक राजनीति की मिसाल है. जब कश्मीरी शहीदों को याद करने के लिए हफ्ता शहादत का शांतिपूर्ण ढंग से आयोजन कर रहे हो तो मीरवाइज को नजरबंद करना कश्मीरियों के घाव पर नमक छिड़कने और उनकी भावनाओं से खेलने के समान है.'
गौरतलब है कि ने मीरवाइज के पिता मौलवी मोहम्मद फारूक और हुर्रियत नेता अब्दुल गनी लोन की गुरुवार को बरसी है. इस मौके पर ईदगाह में एक रैली की योजना बनाई गई थी.