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पाकिस्तान के हाई कमिश्नर अब्दुल बासित बोले- सर्जिकल स्ट्राइक का बदला नहीं था बारामूला अटैक

'अगर भारत बातचीत के लिए राजी नहीं होता है तो हम हमेशा इंतजार करने को तैयार हैं. पाकिस्तानी हाई कमिशनर ने कहा कि 'हमारी समस्याओं का समाधान युद्ध नहीं है.'

अब्दुल बासित अब्दुल बासित
प्रियंका झा
  • नई दिल्ली,
  • 04 अक्टूबर 2016,
  • अपडेटेड 10:51 AM IST

भारत में पाकिस्तान के हाई कमिशनर अब्दुल बासित का कहना है कि दोनों देशों को एक-दूसरे से बातचीत करनी चाहिए. PoK में सर्जिकल स्ट्राइक्स के बाद बासित ने पहली बार कोई बयान दिया है. बासित ने कहा कि अगर भारत बातचीत को राजी है तो पाकिस्तान भी तैयार है.

'द इंडियन एक्सप्रेस' को दिए इंटरव्यू में बासित ने कहा कि 'अगर भारत बातचीत के लिए राजी नहीं होता है तो हम हमेशा इंतजार करने को तैयार हैं. पाकिस्तानी हाई कमिशनर ने कहा कि 'हमारी समस्याओं का समाधान युद्ध नहीं है.'

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'पाकिस्तान को आतंकी देश कहा तो कोई सहयोग नहीं देंगे' अब्दुल बासित ने इंटरव्यू में कहा कि दोनों ही देशों के किसी बीच के रास्ते के लिए कूटनीति का इस्तेमाल करना चाहिए. इसके बाद बासित बोले कि भारत और पाकिस्तान को एक-दूसरे की बात करने की बजाय एक-दूसरे से बात करनी चाहिए. बासित ने कहा कि लेकिन अगर भारत अपने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान को आतंकी देश कहना शुरू कर दे, तो आपको किसी तरह का सहयोग नहीं मिल सकेगा.

सर्जिकल स्ट्राइक से किया इनकार
अब्दुल बासित ने अपने देश के दावे को दोहराया और भारत के सर्जिकल स्ट्राइक की बात से इनकार कर दिया. बारामूला हमले को सर्जिकल स्ट्राइक का बदला बताने वाले सवाल पर बासित ने कहा कि 'बारामूला हमले को बदला लेना नहीं कहा जा सकता है क्योंकि कोई सर्जिकल स्ट्राइक हुआ ही नहीं था, सिर्फ क्रॉस बॉर्डर फायरिंग हुई थी.'

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वहीं पाकिस्तानी विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ के परमाणु हमले की धमकी पर बासित ने चुप्पी साधे रखी. हालांकि बाद में उन्होंने यह जरूर कहा कि इस तरह के बयान भारत में भी सुनने को मिले हैं.

'आंतकवाद के अलावा किसी मुद्दे पर नहीं होगी बात: भारत'
इससे पहले सोमवार को खबर आई थी कि पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने भारत के एनएसए अजीत डोभाल से संपर्क किया है और बातचीत की पेशकश की है. उरी में हुए आतंकी हमले और PoK में भारत के सर्जिकल स्ट्राइक के बाद यह पहली बार है जब दोनों देशों के बीच बातचीत हुई है. हालांकि खबरों के मुताबिक नई दिल्ली ने अपना रुख साफ कर दिया है कि वह सिर्फ आतंकवाद के मुद्दे पर बातचीत करेगा.

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