
साल 2018 की पहली रात और इतनी खूनी रात कि सिर्फ 90 मिनट में डेढ़ किलोमीटर के दायरे के अंदर एक-एक कर छह लोगों का कत्ल किया गया. वो भी बेवजह, बेमकसद, बिना किसी रंजिश के. ना कातिल की किसी से दुश्मनी. ना मरने वालों की कातिल से कोई जान-पहचान. फिर भी उसने छह-छह कत्ल किए. क्योंकि तब उसके जेहन में बस कत्ल करने की सनक सवार थी. उसके सामने जो जो आता गया वो उसे मारता गया. यहां तक कि आखिर में जब पुलिस उसके सामने आई तब उसने पुलिस टीम पर भी हमला कर दिया.
दरअसल, उस रात दिल्ली से सटे हरियाणा के पलवल इलाके के एक अस्पताल में एक शख्स सीसीटीवी कैमरे में कैद होता है. जिसके हाथ में लोहे की लंबी रॉड है और वो बेफिक्र वहां घूम रहा है. इसके कुछ देर बाद ही वो एक महिला को अपना शिकार बनाता है और उसके बाद एक एक कर आधा दर्जन लोग उस शख्स की चपेट में आ जाते हैं. हम आपको बताते हैं उस कातिल के हर कत्ल की कहानी.
पहला क़त्ल, रात 2:37 बजे, पलवल हॉस्पीटल
वो शख्स पलवल अस्पताल की पहली मंजिल पर चला जाता है. वहां कैमरा नहीं है. इसलिए दिखाई नहीं देता. मगर इस कैमरे से निकल कर पहली मंजिल पर पहुंचने के मिनट भर के अंदर ऊपर से एक चीख सुनाई देती है. चीख अस्पताल की पहली मंज़िल पर सो रही एक तीमारदार महिला अंजुम की थी. जिसके सिर पर उसने रॉड से ऐसा वार किया कि एक ही वार में अंजुम ने दम तोड़ दिया. वारदात के बाद अगले दो मिनट में ये शख्स गायब हो चुका था.
दूसरा क़त्ल, रात 2:45 बजे, मोती कॉलोनी पार्क
पलवल हॉस्पीटल से फ़क़त सौ मीटर की दूरी पर 37 साल का एक चौकीदार मुंशीराम बैटरी की एक दुकान की चौकीदारी कर रहा था. इसी बीच अचानक पीछे से उसक सिर पर लोहे के ऱॉड से हमला होता है. और एक ही वार में उसकी भी मौत हो जाती है. कातिल वहां से भी गायब हो जाता है.
तीसरा क़त्ल, रात 3:15 बजे, ओल्ड सोहना रोड
नए साल की सर्द रात थी. पूरा पलवल शहर सन्नाटे और नींद की आगोश में था. उसी सन्नाटे भरी रात में एक तीसरी चीख गूंजती है. इस बार रॉड ने 42 साल के गार्ड सुभाष को अपना निशाना बनाया था. सुभाष ओल्ड सोहना रोड पर तैनात था. फ़क़त आधे घंटे में तीन कत्ल हो चुके थे.
चौथा क़त्ल, रात 3:30 बजे, जीटी रोड, पलवल
तीसरे कत्ल वाली जगह से सिर्फ तीन सौ मीटर की दूरी पर सिटी थाने के बिल्कुल करीब सड़क किनारे कोई 50-55 साल का कोई भिखारी शाय़द सो रहा था. लोहे की रॉड इस बार उसके सिर को निशाना बनाती है. रॉड लगते ही उसकी जान चली जाती है.
पांचवा क़त्ल, रात 3:45 बजे, मोहन पार्क
पंद्रह मिनट और गुज़रे. चौथे क़त्ल की जगह से आठ सौ मीटर दूरी पर फिर वही लोहे की रॉड़ घूमी. इस बार सिर पचास साल के सीताराम का था. जो मोहन पार्क की गलियों की चौकादारी कर रहा था. रॉड लगते ही उसके भी प्राण पखेरु उड़ गए.
छठा क़त्ल, सुबह 4:00 बजे, मोहन पार्क
15 मिनट औऱ गुज़रे. तीस सौ मीटर की दूरी और तय हुई. लोहे की रॉड हवा में फिर लहराई. फिर एक सिर पर वार हुआ. फिर शख्स को मौत ने आकर अपनी आगोश में ले लिया. इस बार कातिल के निशाने पर था खेमचंद नाम का शख्स. कत्ल की बाद फिर कातिल वहां से गायब हो गया.
कत्ल के बाद कत्ल
पलवल में करीब डेढ़ किलोमीटर के दायरे के अंदर फकत डेढ़ घंटे में छह-छह कत्ल हो चुके थे. पलवल अस्पताल में हुए पहले कत्ल के बाद ही किसी ने सौ नंबर पर पुलिस को खबर भी कर दी थी. मगर पुलिस जब तक पहले कत्ल की जगह पर पहुंचती दूसरे, तीसरे, चौथे, पांचवें फिर छठे कत्ल की खबर उसका इंताजर कर रही थी.
हालांकि पहले कत्ल के दौरान ही कातिल का चेहरा कैमरे में आ चुका था. लिहाज़ा पुलिस उसी चेहरे की तलाश में जुट गई. मगर डेढ़ घंटे बाद जब तलाश सोहना रोड पर खत्म हुई तब तक छह कत्ल हो चुके थे. इसी दौरान पुलिस को कातिल की ख़बर मिली. इसके बाद पुलिस ने सोहना रोड से कातिल को पकड़ लिया. इससे पहले उसने पुलिस पर भी रॉड से हमला किया, जिसमें कुछ पुलिस वाले जख्मी हो गए. मगर फिर किसी तरह पुलिस ने कातिल पर काबू पाया और उसे गिरफ्तार कर लिया. पुलिस के जवाबी हमले में कातिल भी बुरी तरह जख्मी हो गया. बाद में उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां उसकी हालत नाजुक बनी हुई है.
अब सवाल ये था कि आख़िर नए साल की पहली ही रात में इस क़ातिल ने छङ-छह लोगों की जानें क्यों ले ली? तो जब तफ्तीश की गई तो पता चला कि नरेश नाम का ये शख्स दिमागी तौर पर कमजोर था. वो पहले फ़ौज में अफसर था. वह हरियाणा के कृषि विभाग में भी काम कर चुका था. जिन छह लोगों के उसने मारा उनमें से किसी को जानता भी नहीं था. ना उन छह लोगों का ही आपस में कोई रिश्ता था. बकौल पुलिस बस सनक चढ़ी और उसने डेढ़ घंटे में छह कत्ल कर डाले.