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जम्मू-कश्मीर के उरी में फौज के मुख्यालय को निशाना बनाते हुए आतंकी हमले के बाद एकाएक सरहद पर बदले हालातों और सरहदी इलाकों में बीएसएफ की अतिरिक्त तैनाती के साथ-साथ फ़ौज की बढ़ी गतिविधियों के चलते सरहदी गांवों के बाशिंदे खौफ में जी रहे हैं और सहमे हुए हैं.
ग्रामीणों को कारगिल युद्ध के समय सरहद पर बने हालातों का डर सताने लगा है, फ़ौज द्वारा ग्रामीण इलाकों में रेकी की जा रही है. डिफेंस लाइन कहे जाने वाले बंकरों की साफ़-सफाई भी शुरू कर दी गई है.
जम्मू-कश्मीर के उरी में हुए आतंकी हमले के बाद देश में हाई अलर्ट किया गया है, इसी के मद्देनजर पंजाब के सरहदी इलाके फिरोजपुर, फाजिल्का सेक्टर के अलावा पंजाब में बीएसएफ की अतिरिक्त बटालियन की तैनाती की गई है और फौज द्वारा भी अपनी गतिविधि बढ़ा दी गई है.
फौज द्वारा सरहदी गांवों में रेकी की जा रही है और गांव में किसी भी तरह के संदिग्ध व्यक्तियों के होने के बारे में जानकारी हासिल की जा रही है. बॉर्डर पर बेशक बीएसएफ ने अपनी सतर्कता को बढ़ाने के साथ-साथ जवानों की तादाद भी बढ़ा दी है. वहीं फ़ौज ने भी हालातों को देखते हुए सरहद के नजदीक बने बंकरों की मरम्मत का कार्य शुरू कर दिया है.
फौज के जवान बंकरों की सफाई कर रहे हैं. फ़ौज की इस गतिविधि को देखते हुए ग्रामीण सहमे हुए हैं. उनको डर है कि कही कारगिल के समय बने हालातों की तरह इस बार भी उनको अपने परिवार, मवेशियों के साथ कही गांवों से पलायन ही ना करना पड़ जाये. इसी डर के चलते ग्रामीणों में दबी जुबान में बाते की जा रही है.
सरहदी गांव टिंडी वाला के वासी वजीर सिंह और बलबीर सिंह का कहना है कि 1965 और 71 की जंग के दौरान हम इसी गांव में थे, साढ़े पांच-छह बजे पकिस्तान ने हमला कर दिया. हालात यह थे कि गांव से निकलना मुश्किल हो गया था. दरिया के रास्ते किश्ती के जरिये गांव से बाहर निकले और अपने परिवार को सुरक्षित जगह पर पहुंचाया. उस समय पूरा का पूरा गांव ही खाली हो गया था. अब जब जंग जैसे बने हालातों के बारे में सुन रहे हैं तो मन में डर और सहम का माहौल बना हुआ है और हमें लगता है कि इस बार भी गांव छोड़ कर जाना पड़ेगा. उन्होंने कहा कि बीएसएफ और फौज की गतिविधि को देखते हुए यही लग रहा है कि हमारे फोजियों की भी पूरी तैयारी है. ऐसे हालत में सरहदी गांवों के लोगों को अपना घर-बार और गांव छोड़ कर जाने के अलावा और कोई चारा नहीं है.