
पंजाब सरकार के हालिया कैबिनेट विस्तार को वकील जगमोहन सिंह भट्टी ने पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी है. भट्टी ने इस कैबिनेट विस्तार को असंवैधानिक और गैरकानूनी बताते हुए कहा है कि यह संविधान के आर्टिकल 163 और 164 का उल्लंघन है. क्योंकि नियमानुसार कुल विधायकों में से सिर्फ 15 फीसदी विधायक ही मंत्री बन सकते हैं.
हाल ही में किए गए कैबिनेट विस्तार में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपने मंत्रिमंडल में 9 और मंत्रियों को शामिल किया है. अब पंजाब में कुल 18 विधायक मंत्री बन चुके हैं, जो कि आर्टिकल 163 और 64 का उल्लंघन है.
जगमोहन सिंह भट्टी ने 'आजतक' को बताया कि पंजाब में कुल 117 विधायक हैं. इनमें से सिर्फ 17 मंत्री बन सकते हैं. कुल 18 मंत्री विधायकों का 17.5 बनते हैं, जिसे राऊंड फिगर में 18 फीसदी गिना जाएगा. याचिका स्वीकार करते हुए हाईकोर्ट ने केंद्र, पंजाब और हरियाणा को नोटिस जारी करते हुए 5 मई तक अपने जवाब दाखिल करने को कहा है.
हालांकि, पंजाब सरकार इन आरोपों को नकार रही है. पंजाब के वकील जनरल अतुल नंदा के अनुसार, कैबिनेट का विस्तार नियमों के मुताबिक किया गया है. सरकार जल्द ही अपना जवाब कोर्ट में दाखिल करेगी.
वहीं शिरोमणि अकाली दल ने कैप्टन अमरिंदर सिंह पर कटाक्ष किया है. उन्होंने कहा कि एक ओर जहां उनके कैबिनेट विस्तार से उनकी अपनी ही पार्टी में फूट पड़ गई है. वहीं इस विस्तार से साबित हो गया है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह दोआबा क्षेत्र के अलावा दलित और पिछड़े वर्गों के साथ सौतेला व्यवहार कर रहे हैं. क्योंकि इस विस्तार में इन समुदायों में से किसी एक को भी जगह नहीं दी गई है. दोआबा क्षेत्र से सिर्फ एक विधायक को मंत्री बनाया गया है जो इस क्षेत्र के साथ सौतेला व्यवहार दर्शाता है.
गौरतलब है कि याचिकाकर्ता ने इससे पहले हरियाणा कैबिनेट के विस्तार को भी कोर्ट में चुनौती दी थी. मामला अभी भी हाईकोर्ट में लंबित है. हाईकोर्ट ने नई याचिका स्वीकार करने के बाद दोनों याचिकाओं को इकट्ठा ही सुनने का फैसला किया है.
बहरहाल, हाईकोर्ट में याचिका दाखिल होने के बाद हाल ही कैबिनेट विस्तार का हिस्सा बने 9 विधायकों की चिंताएं बढ़ गई है. क्योंकि अगर कोर्ट ने इस कैबिनेट विस्तार को असंवैधानिक करार दिया तो कुल 18 मंत्रियों में से एक मंत्री को अपनी कुर्सी गंवानी पड़ सकती है.