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दिल्ली में नर्सरी एडमिशन की रेस शुरू हो चुकी है. मंगलवार को दूसरे दिन भी अभिभावक दाखिले से जुड़े नियमों को लेकर उलझन में दिखे. कुछ स्कूलों में दाखिले के लिए बच्चे का आधार कार्ड होना जरूरी था, तो कहीं एड्रेस प्रूफ के तौर पर रेंट एग्रीमेंट नहीं लिए जा रहे, लिहाजा अभिभावक परेशान नजर आए.
मोनिका गोस्वामी अपने बच्चे का फॉर्म लेकर एक स्कूल से दूसरे स्कूल के चक्कर लगा रही हैं, जिनका टारगेट है 12 से 15 स्कूलों के फॉर्म भरना, ताकि बच्चे की सीट पक्की हो जाये... लेकिन जितने स्कूल उतने नियम. मोनिका ने सालवान स्कूल का फॉर्म तो भर दिया है लेकिन अब चिंता है बच्चे का आधार कार्ड बनवाने की, क्योंकि स्कूल के फॉर्म में लिखा है कि बच्चे का आधार कार्ड जरुरी है. और अब मोनिका इस असमंजस में हैं कि वो स्कूल के चक्कर लगाएं या आधार बनवाने के लिए भटकें.
दिल्ली में मिशन नर्सरी एडमिशन शुरू, स्कूलों के नियमों को लेकर कंफ्यूजन
स्कूल मांग रहे बच्चे का आधार कार्ड
मोनिका की तरह कई और अभिभावक भी बच्चे के आधार कार्ड बनवाने की तैयारी में हैं क्योंकि राजधानी के कई स्कूलों में यूनिक आइडेंटिफिकेशन नंबर के बिना ऑनलाइन फॉर्म सबमिट नहीं हो रहे हैं. हालांकि कुछ स्कूलों ने इसे ऑप्शनल रखा है. जिन स्कूलों में आधार कार्ड मांगे जा रहे हैं उनमें डीपीएस आरके पुरम, हंसराज मॉडल स्कूल, सलवान, लक्ष्मण, एनसी जिंदल और स्प्रिंगडेल्स स्कूल शामिल है.
क्या कहता है नियम
ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक अग्रवाल की मानें तो कोई भी स्कूल बच्चे के आधार कार्ड को अनिवार्य नहीं कर सकता. शिक्षा निदेशालय की गाइडलाइन में भी दोनों पेरेंट्स में से किसी एक का आधार कार्ड मांगा गया है. ऐसे में रजिस्ट्रेशन के लिए बच्चे का आधार कार्ड को अनिवार्य करना गैरकानूनी है.
किराये पर रहने वाले परेशान
दाखिले की रेस में उन अभिभावकों को भी दिक्कत आ रही है, जो किराये के मकान में रहते हैं, क्योंकि कई स्कूल ऐसे हैं जिन्होंने बतौर एड्रेस फ्रूफ रेंट एग्रीमेंट का विकल्प ही नहीं रखा है. रीमा मेहता सुभाष नगर में एक किराये के मकान में रहती हैं. उनका वोटर आईडी और आधार कार्ड उनके स्थायी पते का है. जिस मकान में वो किराये पर रहती हैं उसका पानी और बिजली का कनेक्शन भी मकान मालिक के नाम पर है ऐसे में वो एड्रेस फ्रूफ के लिए सिर्फ रेंट एग्रीमेंट दे सकती हैं, लेकिन स्कूलों ने रेंट एग्रीमेंट को दाखिले के दस्तावेज के रूप में मान्य नहीं किया है.
आपको बता दें कि डीडीए की जमीन पर बने सरकारी स्कूलों और EWS केटेगरी के लिए अभी तक सरकार की तरफ से कोई दिशा निर्देश नहीं जारी किये गए हैं, जिसकी वजह से अभिभावक असमंजस में है.