
भारत सरकार के पूर्व अधिकारी चंद्रमौली राय ने रिटायरमेंट के बाद नई पारी
शुरू की तो अपनी कलम को नए ढंग से इस्तेमाल करने की ठानी. परिणाम ये है कि
कुछ ही समय के अंतराल में उनकी दूसरी किताब सामने है. खास बात ये है कि इस किताब का नाम ही 'परिणाम' है.
वैसे तो परिणाम कहानी संग्रह है
लेकिन वास्तव में लेखक ने अपनी जीवन यात्रा के अलग-अलग मोड़ पर मिले
किरदारों की कथा लिख दी है. परिणाम की कहानियों की सबसे खास बात यह है कि
ये बेहद सरल भाषा में सीधा संदेश देती हैं. लेखक ने बेवजह साहित्यिक पुट
देने की कोशिश नहीं की है, न तो भाषा के स्तर पर और न ही शैली के स्तर पर.
बल्कि ये कहना ज्यादा सही होगा कि ये कहानियां साहित्य के नजरिए से लिखी भी
नहीं गई हैं.
इन्हें पढ़ते वक्त ऐसा लगता
है कि आप फिर से दादा-दादी, नाना-नानी के दौर में पहुंच गए हैं और उन्हीं
की सुनाई हुई कोई कहानी पढ़ रहे हैं. कहानियां आपको खुद से जोड़े रखती हैं
और बेहद आसान शब्दों में जीवन के लिए बेहद जरूरी संदेश दे देती हैं.
लेखक
की पहली किताब 'चंद्रमौलिका' थी जिसकी कविता-कहानियों के किरदारों में उनके
करीबियों की झलक मिलती है. परिणाम में उनकी कहानियों के किरदार आपको अपने
आस-पड़ोस के लगेंगे. फिर चाहे वो पूरन-पुष्कर दो भाइयों की कहानी हो या
धार्मिक वृत्ति के रोहन का विश्वास. परिणाम, दादाजी, चुड़ैल, दर्द, साधू,
बीवी का डर और दूध का कर्ज ऐसी ही कहानियां हैं.
अंत में हॉन्गकॉन्ग पर लिखा गया लेख किताब को मनोरंजक और प्रेरणास्पद के साथ-साथ ज्ञानवर्धक भी बनाता है. किताब को रिगी प्रकाशन ने प्रकाशित किया है. 84 पेजों की ये किताब का पेपरबैक संस्करण 170 रुपये में उपलब्ध है.
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पुस्तक: परिणाम
लेखक: चंद्रमौली राय
विधाः कहानी संग्रह
भाषाः हिंदी
प्रकाशक: रिगी प्रकाशन
मूल्य: 170 रुपए
पृष्ठ संख्याः 84