Advertisement

संसद से विदा हुए सचिन और रेखा, 6 साल तक सिर्फ बचाई सदस्यता

संसद में किसी सांसद की जिम्मेदारी का सवाल उठता है तो दोनों ने अपने कार्यकाल के दौरान सवाल पूछना, जवाब देना और कानून बनाने के काम को कोई तरजीह नहीं दी. क्या दोनों को जिसलिए 6 साल पहले मनोनीत कर संसद भेजा गया वह मकसद पूरा हुआ?

संसद में कार्यकाल पूरा करने पर सचिन और रेखा कि विदाई संसद में कार्यकाल पूरा करने पर सचिन और रेखा कि विदाई
राहुल मिश्र
  • नई दिल्ली,
  • 28 मार्च 2018,
  • अपडेटेड 1:03 PM IST

सचिन तेंदुलकर और रेखा बतौर राज्य सभा के मनोनीत सदस्य अपना कार्यकाल पूरा कर रहे हैं. संसद में राज्यसभा से रिटायर हो रहे 85 सांसदों के लिए विदाई समारोह रखा गया. हालांकि इस दौरान दोनों रेखा और सचिन को संसद की बेंच पर नहीं देखा गया. लिहाजा, संभव है कि बीते 6 वर्षों के उनके कार्यकाल की तरह इस मौके पर भी दोनों मनोनीत सदस्यों की क्रिकेट या फिल्म में व्यस्तता की कोई मजबूरी हो. ऐसा इसलिए कि अपने 6 साल के कार्यकाल के दौरान दोनों ने संसद के हुए सभी सत्रों में महज एक या दो दिन सदन में मौजूद रहे. यह मौजूदगी इसलिए भी रहे जिससे उनकी राज्यसभा सदस्यता लगातार बनी रहे.

Advertisement

लेकिन जहां तक संसद में किसी सांसद की जिम्मेदारी का सवाल उठता है तो दोनों ने अपने कार्यकाल के दौरान सवाल पूछना, जवाब देना और कानून बनाने के काम को कोई तरजीह नहीं दी. क्या दोनों को जिसलिए 6 साल पहले मनोनीत कर संसद भेजा गया वह मकसद पूरा हुआ?

राज्यसभा में बतौर सदस्य रेखा के 6 साल

राज्यसभा वेबसाइट पर मौजूद आंकड़ों को देखें तो 6 साल के कार्यकाल के दौरान रेखा ने एक भी सवाल नहीं पूछा. जाहिर है जब सवाल नहीं पूछा तो केन्द्र सरकार द्वारा उनसे कोई संवाद नहीं किया गया. जब कोई सांसद सदन में सवाल पूछता है तो उसका जवाब केन्द्र सरकार द्वारा दिया जाता है और उस सवाल-जवाब को संसद के रजिस्टर में दर्ज कर लिया जाता है और साथ ही उसे राज्यसभा की वेबसाइट पर अपडेट कर दिया जाता है.

Advertisement

हालांकि ऐसा नहीं है कि संसद की तरफ से रेखा को सदन के कामकाज में शामिल करने की कोई पहल नहीं की गई. रेखा को सितंबर 2016 से फूड, कंज्यूमर अफेयर्स और पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन की समिति में बतौर सदस्य शामिल किया गया. इस समिति में रेखा के किसी तरह के योगदान का ब्यौरा संसद के पास नहीं है, जाहिर है यहां भी उन्होंने कुछ भी कहने-सुनने की जरूरत नहीं समझी.

इसे पढ़ें: डेटा लीक: अनदेखे-अनजाने शख्स के दावों पर लड़ पड़े हैं बीजेपी-कांग्रेस

फिल्मी दुनिया में रेखा हमेशा सुर्खियों में रहीं. लेकिन राज्यसभा के उनके कार्यकाल के दौरान कभी संसद में उनके नाम का जिक्र भी नहीं किया गया. जिक्र होता भी क्यों जब उन्होंने कभी भी सांसद की भूमिका में कुछ करने की कोशिश ही नहीं की. संसद में सवाल पूछने के अलावा सांसद द्वारा कोई बिल लाना उसकी जिम्मेदारी का अहम हिस्सा है. लेकिन रेखा ने अपने पूरे कार्यकाल में एक भी बिल संसद में पेश नहीं किया.

अब अंत में रेखा की सदन में मौजूदगी का आंकड़ा बता रहा है कि सभी मनोनीत सदस्यों में उनकी अटेंडेंस सबसे खराब रही है. उनके कार्यकाल में अगस्त 2017 तक हुए संसद के कुल 373 सिटिंग्स में वह 18 सिटिंग्स में शामिल रहीं. यानी पूरे कार्यकाल के दौरान उनकी कुल अटेंडेंस महज 5 फीसदी रही. रेखा ने सिर्फ एक बार सदन के सत्र में शामिल न होने के लिए एप्लीकेशन दी और न शामिल हो पाने की वजह फिल्म में काम करने की मजबूरी बताई. हालांकि कुछ सत्रों से वह बिना एप्लीकेशन दिए गायब रहीं.

Advertisement

हालांकि रेखा ने अपने कार्यकाल के दौरान इतनी सावधानी बरती कि उनकी सदस्यता पूरे कार्यकाल तक बनी रही. संसद के नियम के मुताबिक यदि कोई सांसद संसद के कामकाज से लगातार 60 दिनों तक बिना सूचना गायब रहता है को उसकी सदस्यता खत्म किए जाने का प्रावधान है. लेकिन रेखा की अटेंडेंस कभी भी 60 दिन के इस नियम के खिलाफ नहीं गई और उन्हें पूरे कार्यकाल तक सांसद की सुविधाएं मिलती रही.       

राज्यसभा में बतौर सदस्य सचिन के 6 साल

जहां तक संसद में सवाल पूछने का अधिकार है तो सचिन तेंदुलकर का रिकॉर्ड रेखा से बहुत बेहतर है. रेखा के शून्य सवालों के जवाब में सचिन के रिकॉर्ड में 22 सवाल दर्ज हैं जिनका ब्यौरा राज्यसभा की वेबसाइट पर शामिल किया गया है. उनके सवाल रेलवे नेटवर्क के इलेक्ट्रिफिकेशन, न्यू एजुकेशन पॉलिसी में स्पोर्ट्स को बतौर विषय शामिल करना और रेलवे सुरक्षा जैसे विषयों पर केन्द्रित रहे.

सचिन के इन सवालों के जवाब में केन्द्र सरकार की तरफ से योगा और स्पोर्ट्स को स्कूल सब्जेक्ट बनाने और स्पोर्ट्स को कंपल्सरी सब्जेक्ट के उनके सवालों का जवाब भी दिया गया. सचिन के जिन सवालों के जवाब सरकार द्वारा दिए गए उन्हें सचिन ने दिसंबर 2015 में पूछे थे. संसद की तरफ से उन्हें भी इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी से जुड़ी समिति का 2016 में सदस्य बनाया गया था हालांकि इस समिति में उनके योगदान का ब्यौरा संसद ने जारी नहीं किया है. वहीं उनके कार्यकाल के दौरान राज्यसभा में उनके नाम पर भी कभी कोई चर्चा नहीं की गई.

Advertisement

इसे पढ़ें: केंद्र से तेज भाग रहा था अखिलेश का यूपी, योगी के लिए खड़ी हुई बड़ी चुनौती

जहां तक संसद के अटेंडेंस रजिस्टर का सवाल है सचिन की अटेंडेंस रेखा जितनी खराब नहीं थी लेकिन उनकी अटेंडेंस को अच्छा भी नहीं कहा जा सकता. सचिन के कार्यकाल में अगस्त 2017 तक संसद के कुल 373 सिटिंग्स में वह 25 सिटिंग्स में शामिल रहे हैं. यानी सचिन की अटेंडेंस कुल 7 फीसदी रही.

रेखा की तर्ज पर सचिन ने भी अपने कार्यकाल के दौरान इतनी सावधानी बरती कि उनकी सदस्यता पर कभी खतरा नहीं पैदा हुआ. सचिन ने अपने 6 साल के कार्यकाल में संसद के लगभग सभी सत्रों में एक से 2 दिन हाजिरी लगाई और कभी भी संसद के सत्र के दौरान लगातार 60 दिन तक गायब नहीं रहे. वहीं सचिन 6 साल के दौरान 3 बार संसद को सूचना देते हुए गायब रहे और इसके लिए सचिन ने क्रिकेट मैच और कारोबारी व्यस्तता का हवाला दिया.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement