
अगस्ता वेस्टलैंड मामले में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर 4 मई को संसद में बयान देने वाले हैं. उनका कहना है कि इस पूरे मामले में सबसे बड़ा सवाल यह है कि रिश्वत का पैसा किसने लिया, वहीं इस बीच भारतीय जांच एजेंसियों ने कहा है कि वीवीआईपी हेलिकॉप्टर डील में कथित रिश्वत का कुछ हिस्सा चालाकी से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश यानी एफडीआई के रूप में भारत लाया गया.
अंग्रेजी अखबार 'ईटी' की खबर के मुताबिक, जांच एंजेसियों का मानना है कि इसके लिए मॉरीशस और ट्यूनीशिया की कुछ फर्जी कंपनियों का सहारा लिया गया. हालांकि अभी भी उस 160 करोड़ रुपये के बड़े हिस्से का पता नहीं चल सका है, जो इटली की मिलान कोर्ट ऑफ अपील्स के मुताबिक बिचौलिए गुइडो हाश्क को अगस्ता वेस्टलैंड ने दिए गए थे.
ईडी को मिली है भारतीय इकाइयों की जानकारी
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को ऐसी कंपनियों का पता चला है, जिन्हें भारतीय इकाइयों में 37 करोड़ रुपये लगाने के लिए बनाया गया था. यह रकम उसी 160 करोड़ रुपये का हिस्सा थी. हालांकि, यह अभी साफ नहीं हो सका है कि ट्यूनीशिया के एक बैंक खाते में जाने के बाद बाकी 123 करोड़ रुपये कहां गए. यह जानकारी दिल्ली के वकील गौतम खेतान के खिलाफ प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत ईडी की ओर से दाखिल चार्जशीट में दर्ज हैं.
कंपनियां खड़ी करने में सक्रिय था खेतान
ईडी ने आरोप लगाया है कि इतालवी बिचौलियों हाश्क और कार्लो गेरोसा की ओर से कंपनियां खड़ी करने में खेतान सक्रिय था. ईडी के मुताबिक करीब 29 करोड़ रुपये चंडीगढ़ की कंपनी ऐरोमैट्रिक्स इंफो सलूशंस प्राइवेट लिमिटेड में गए. इसमें से 4.77 करोड़ 'मॉरीशस की इंफोटेक डिजाइन सिस्टम से एफडीआई के रूप में एक क्रिमिनल एक्ट के तहत लाए गए.'
चंडीगढ़ में दिखावे के लिए शुरू की कंपनी
ईडी ने अपनी चार्जशीट में कहा है कि 24.6 करोड़ रुपये एक ट्यूनीशियाई इंटरमीडियरी के जरिए चंडीगढ़ की इसी कंपनी को भेजे गए थे. वह रकम अगस्ता वेस्टलैंड को निर्यात किए गए सॉफ्टवेयर के एवज में दी गई थी. ईडी का कहना है कि सॉफ्टवेयर डवलप करने के कॉन्ट्रैक्ट के लिए अगस्ता ने बिचौलियों को 160 करोड़ रुपये भेजे, लेकिन संभव है कि इन बिचौलियों ने इसका बड़ा हिस्सा ट्यूनीशिया और मॉरीशस में रख लिया और चंडीगढ़ में एयरोमैट्रिक्स यह दिखाने के लिए शुरू की गई कि काम किया जा रहा है.
चार्जशीट के मुताबिक, ऐसा लग रहा है कि 37 करोड़ रुपये का बाकी हिस्सा खेतान सहित कई लोगों को उनके काम के बदले दिया गया. बड़ी रकम ट्यूनीशिया की कंपनी आईडीएस ट्यूनीशिया ने रख ली. ईडी अगस्ता की ओर से ब्रिटिश नागरिक क्रिश्चयन मिशेल को दिए गए 3 करोड़ यूरो की जांच भी कर रहा है. आरोप है कि यह रकम चॉपर डील कराने के लिए दी गई थी.